मु॑बई। भारतीय निर्यात.आयात बैंक ( एक्ज़िम बैंक) भारत की परंपरागत कला और शिल्प को सहेजने और शिल्पकारों को सतत आजीविका प्रदान करने के दोहरे उद्देश्य से देशभर के ग्रासरूट उद्यमों और शिल्पकारों को उत्पाद एवं डिजाइन विकास और पैकेजिंग के प्रति जागरूक करने के लिए सहयोग प्रदान करता रहा है।
बैंक ने अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों और कार्यशालाओं के जरिए नई पीढ़ी के शिल्पकारों को अपनी परंपरागत शिल्प कलाओं को सीखने और व्यवसाय का मॉडल खड़ा करने के लिए प्रेरित करते हुए विभिन्न शिल्प कलाओं को भारत तथा विदेशों में अनेक मंचों पर पहचान दिलाने में सहयोग प्रदान किया है।
अपने इन प्रयासों को बढ़ाते हुए एक्ज़िम बैंक ने सेंटर फॉर माइक्रोफायनेंस एंड लाइवलीहुड (सीएमएलए ) टाटा ट्रस्ट की पहल के साथ मिलकर मणिपुर के थौबल जिले में कौना क्लस्टर के शिल्पकारों के लिए डिजाइन विकास प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया। इस दौरान सीएमएल के साथ सहयोग ज्ञापन के तहत क्षमता निर्माण कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। ये कार्यशालाएं मास्टर कारीगरों,मध्यावधि,दीर्घावधि डिजाइन कार्यशाला और उत्पाद विशाखन जैसे विभिन्न स्तरों पर आयोजित की जा रही हैं। सीएमएल प्रोग्राम मैनेजर सीएमएल की ही एक कंपनी लाइवलीहुड प्रोपल्शन एंड सपोर्ट सर्विसेज और ओदेश के साथ मिलकर इन कार्यशालाओं का प्रबंधन कार्य देख रहे हैं। साथ ही वे इस कार्यक्रम की समाप्ति के बाद छह महीने तक इस कार्यक्रम में प्रशिक्षित शिल्पकारों के व्यवसाय रोजगार सृजन में होने वाली प्रगति की भी निगरानी करेंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कार्यशाला का लाभ शिल्पकारों को वास्तविक रूप में मिला है।
एक्ज़िम बैंक के महाप्रबंधक उत्पल गोखले ने कहा कि बैंक अपने ग्रासरूट विकास ग्रिड कार्यक्रम के जरिए शिल्पकारों और कारीगरों को हैंडहोल्डिंग प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि बैंक बहुत से ग्रासरूट शिल्पकारों को नवीनतम डिजाइन पैकेजिंग तकनीकों में प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। इससे उन्हें रोजाना इस्तेमाल की नई.नई वस्तुएं बनाने और अपनी परंपरागत कला को सामने लाने में मदद मिली है।
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