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Saturday, December 22, 2018

हल्दी, जीरा और धनिया पर रिसर्च रिपोर्ट


Research report on turmeric, jeera and Dhaniya

हल्दी
हल्दी वायदा (अप्रैल) 6500-6450 के स्तर की ओर बढ़ने की संभावना है। नई फसल के दिसंबर के अंत तक आने की संभावना है और उत्पादन भी गत वर्ष के मुकाबले अधिक होने की संभावना है इसके चलते हल्दी वायदा में गिरावट का रुख बना हुआ है। क्योंकि पूरे सीजन में मौसम अनुकूल बना रहा और बुआई अच्छी हुई। तेलंगाना में 26 सितंबर 2018 तक हल्दी के अंतर्गत आने वाला क्षेत्र 47888 हेक्टेयर था पिछले वर्ष की इसी अवधि में 44956 हेक्टेयर हल्दी की बुवाई  हुई थी। निजामाबाद में हल्दी की बुवाई 13965 हेक्टेयर दर्ज की गई है जब कि पिछले वर्ष में 12800 हेक्टेयर में हल्दी की बुवाई हुई थी। जगतील में पिछले साल के 12378 हेक्टेयर के मुकाबले अब तक 13250 हेक्टेयर और वारंगल (ग्रामीण) में पिछले साल के 4250 हेक्टेयर की तुलना में 5521 हेक्टेयर और आंध्र प्रदेश में  पिछले वर्ष की इसी अवधि में 14830 हेक्टेयर की तुलना में 17914 हेक्टेयर क्षेत्र में हल्दी की बुवाई की गई। उत्पादन बढ़ने की संभावना के चलते आने वाले दिनों में हल्दी वायदा पर हल्का सा दबाव रहने की संभावना है।
जीरा
 जीरा वायदा में मंदी का रुख जारी रहने की उम्मीद है
(जनवरी) और यह 17500-17225 स्तरों का परीक्षण कर सकता है। मौसम के अनुकूल प्रमुख क्षेत्रों में खेती के तहत क्षेत्र को बढ़ावा देने की उम्मीद है। गुजरात और राजस्थान, मिट्टी में नमी की मात्रा बढ़ गई है, प्रचलित शीत लहर जो फसल के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है। नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि गुजरात में बुआई 90% तक पूरी हो चुकी है,
जबकि राजस्थान में इस मौसम में इस क्षेत्र में 110-125% वृद्धि की उम्मीद है।
धनिया
धनिया वायदा (जनवरी) को 6450 के करीब प्रतिरोध का सामना करने पढ़ सकता है। राजस्थान में पहले कम बुवाई की खबरें थीं लेकिन कीमतों में बढ़ोतरी के बाद किसान अब बुआई में तेजी ला रहे हैं। मौसम अनुकूल है और आगे पैदावार बढ़ सकती है। तो आने वाले समय में धनिया वायदा को₹6000 पर समर्थन और 6500 के आसपास दबाव देखने को मिल सकता है। कमोडिटी विशेषज्ञ मुकेश भाटिया के अनुसार राजस्थान और गुजरात में ज्यादा फसल नहीं है इस स्थिति को देखते हुए लगता है कि  अगर धनिया की बुवाई में कुछ सुधार भी हुआ तो भी इसके भावों में ज्यादा गिरावट आने की आशंका नहीं है।

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