जयपुर। भारत में होटल्स, होम्स और लिविंग स्पेसेज़ की अग्रणी चेन ओयो ने कुछ लोगों से मिल रही बहिष्कार की धमकियों के लिए कड़ी प्रतिक्रिया दी है, इनमें से ज़्यादातर लोगों की कोई भी प्रॉपर्टी ओयो के साथ जुड़ी हुई नहीं है। ओयो ने कहा है कि अगर कोई भी इन निहित समूहों के प्रभाव में, अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन करता है तो उनके खिलाफ़ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। कंपनी ने पुष्टि की है कि कुछ लोग निजी हितों के चलते झूठे आरोप लगा रहे हैं कि ओयो 40 फीसदी फ्रेंचाइज़ शुल्क लेती है। ओयो ने कभी भी 25 फीसदी से ज़्यादा फ्रैंचाइज़ शुल्क नहीं लिया है और न ही ऐसा कभी ऐसा करेगी, जब तक इसे प्रॉपर्टी में पूंजी न लगानी हो। कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के चलते बाज़ार के डायनामिक्स के खिलाफ़ कीमतें बढ़ाने की धमकियां दे रहे हैं और अपनी उपभोक्ता सेवाओं को ओयो होटल्स की गुणवत्ता के समकक्ष लाए बिना बजट अकॉमोडेशन के लिए उपभोक्ताओं से ज़्यादा कीमत वसूलना चाहते हैं।
ओयो होटल्स के बहिष्कार की धमकियों पर टिप्पणी देते हुए आयूष माथुर, हैड ऑफ सप्लाई, ओयो होटल्स एण्ड होम्स ने कहा, ‘‘हमें हमारे सम्पत्ति मालिकों की और से कोई औपचारिक जानकारी नहीं मिली है। वास्तव में हमारे 90 फीसदी होटल मालिक हमारी सेवाओं से संतुष्ट हैं और अपनी नई प्रॉपर्टीज़ को हमारे साथ जोड़ना चाहते हैं। बहिष्कार के ज़्यादातर दावे कुछ छोटे समूहों या लोगों द्वारा अपने निजी हितों के कारण किए जा रहे हैं जिनकी कोई भी प्रॉपर्टी ओयो होटल्स के साथ फ्रैंचाइज़्ड या लीज़्ड मॉडल के तहत नहीं जुड़ी हुई है। फ्रैंचाइज़र के रूप में हम अपने साथ जुड़े होटल मालिकों के साथ सीधे बातचीत कर किसी भी समस्या का समाधान करते हैं। साथ ही हम सुनिश्चित करते हैं कि उपभोक्ता किफ़ायती, भरोसेमंद और उच्च गुणवत्ता की अकॉमोडेशन सेवाओं से लाभान्वित हो सकेंगे।’’
ओयो द्वारा ज़्यादा कमीशन लगाए जाने के गलत दावों पर बात करते हुए आयूष ने कहा, ‘‘यह पूरी तरह से गलत है। इसके विपरीत हमने कैपेक्स में हज़ारों करोड़ रु का निवेश किया है, सैंकड़ों जीएम नियुक्त किए हैं जो उपभोक्ता सेवाओं और ऑपरेशन्स पर निगरानी रखते हैं। ओयो चेन के साथ जुड़ने के बाद हम अनब्राण्डेड होटल की सेवाओं को ब्राण्डेड होटलों के समकक्ष लाते हैं। ओयो होटल्स के साथ जुड़ने के बाद होटलों की ऑक्युपेन्सी औसतन 20-30 फीसदी बढ़ जाती है, त्मअच्ंत में 2.5 गुना बढ़ोतरी होती है।’’
ज़्यादा डिस्काउन्ट के दावों पर जवाब देते हुए आयूष माथुर ने कहा, ‘‘ओयो होटल्स एण्ड होम्स फ्रैंचाइज़्ड और लीज़्ड होटल्स, होम्स और लिविंग स्पेसेज़ की चेन है, यह एग्रीगेटर या ओटीए नहीं है। होटल मालिकों के साथ हमारे समझौते के अनुसार, फ्रैंचाइज़्ड मॉडल पर काम करने वाले कई अन्य ब्राण्ड्स की तरह ओयो द्वारा कीमतों का निर्धारण किया जाता है। हमारे पास 100 फीसदी इन्वेंटरी है। हम डायनामिक प्राइसिंग प्रणाली के अनुसार कीमतों का निर्धारण करते हैं, ताकि होटल मालिकों का मुनाफ़ा बढ़े और साथ ही उपभोक्ता भी किफ़ायती और सुलभ अकॉमोडेशन सेवाओं का लाभ उठा सकें। कमरों की कीमतें हमारे द्वारा तय की जाती है, ऐसे में डिस्काउन्ट का सवाल ही नहीं उठता। लोग हमारे बिजनेस मॉडल को गलत समझ रहे हैं और हमें ‘एग्रीगेटर’ समझ कर हम पर गलत आरोप लगा रहे हैं।’’
एफएचआरएआई डेवलपमेन्ट पर बात करते हुए आयूष ने कहा, ‘‘हम एफएचआरएआई, जो कि सभी होटल मालिकों एवं सम्बंधित कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली मुख्य संस्था हैे, उनके साथ निरन्तर संपर्क में हैं। हम इस मुद्दे के समाधान के लिए किसी भी तरह की चर्चा के लिए तैयार हैं और देश भर से सभी होटल चेन्स को भी आमंत्रित करते हैं जो लीज़्ड या फ्रैंचाइज़्ड मॉडल के तहत अपनी गतिविधियों का संचालन करते हैं।’’
मूल जानकारी
सबसे पहले हम यह स्पष्ट करना चाहेंगे कि ओयो भारत में फ्रैंचाइज़्ड और लीज़्ड होटलों की सबसे बड़ी चेन है। हम कोई ऑनलाईन पोर्टल या ऑनलाईन टैवल एजेन्ट या एग्रीगेटर नहीं हैं। एक होटल चेन होने के नाते हम ‘बुकिंग पोर्टल्स’ पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। एग्रीगेटर अपने पोर्टल पर होटल और होम की सर्च के लिए कमीशन लेते हैं। ओयो होटल्स एण्ड होम्स फ्रैंचाइज़्ड एवं लीज़्ड होटलों का संचालन करती है। हम होटल ट्रांसफोर्मेशन और ऑपरेशन के कारोबार से जुड़े हैं, और आपसी सहमति से या तो फ्रैंचाइज़ शुल्क या फिक्स लीज़ शुल्क लेते हैं।
कमीशन यहां इस्तेमाल किया जाने वाला गलत शब्द है। क्योंकि ओयो होटल्स एक फुल फ्लेज्ड होटल चेन है, यह एग्रीगेटर या ऑनलाईन पोर्टल नहीं है। ओयो होटल्स फ्रैंचाइज़ शुल्क लेती है और फिक्स लीज़ का भुगतान करती है।
हमारे पास 100 फीसदी इन्वेंटरी है। होटल मालिकों के साथ हमारे समझौते के अनुसार, फ्रैंचाइज़्ड मॉडल पर काम करने वाले कई अन्य ब्राण्ड्स की तरह ओयो द्वारा कीमतों का निर्धारण किया जाता है। हम डायनामिक प्राइसिंग प्रणाली के अनुसार कीमतों का निर्धारण करते हैं, ताकि होटल मालिकों का मुनाफ़ा बढ़े और साथ ही उपभोक्ता भी किफ़ायती और सुलभ अकॉमोडेशन सेवाओं का लाभ उठा सकें।
चुनाव बिल्कुल सरल हैः क्या हमें प्रॉपर्टी की कीमत 3000 रु तय कर 30 फीसदी ऑक्यूपेन्सी से संतुष्ट हो जाना चाहिए या 1500 रु की कीमत तय कर 70 फीसदी ऑक्यूपेन्सी पर ध्यान देना चाहिए। यही वह पहलू है जहां डायनामिक प्राइसिंग काम करती है। ऐसे में ‘डिस्काउन्ट’ जैसे उपरोक्त तथ्य पूरे हॉस्पिटेलिटी कारोबार के लिए घातक हो सकते हैं। जिसका बुरा असर होटल मालिकों के कारोबार, उपभोक्तासेवाओं की गुणवात्ता पर पड़ेगा और परिणामस्वरूप किफ़ायती दरों पर गुणवत्तापूर्ण अकॉमोडेशन की उपलब्धता कम होगी।
इस संदर्भ में आप चाहे चाहे कोई भी फ्रैंचाइज़ी चुनें, जैसे आप मैक डॉनेल्ड आउटलेट पर जाते हैं, वहां कीमतों का निर्धारण मैक डॉनेल्ड द्वारा किया जाता है ना कि फ्रैंंचाइज़ी के द्वारा।
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