नई दिल्ली। अदाणी फाउंडेशन द्वारा क्रियान्वित अदाणी विल्मर सुपोषण कार्यक्रम ने नई दिल्ली में स्वास्थ्य संबंधी श्रेणी में “बीएसएनएल दैनिक जागरण सीएसआर पुरस्कार” हासिलकिया। यह पुरस्कार केंद्रीय संचार और रेलवे राज्य मंत्री मनोज सिन्हा की ओर से प्रदान किए गए।
अदाणी फाउंडेशन की चेयरपर्सन डॉ. प्रीति अदाणी ने कहा,“एनीमिया और कुपोषण की समस्या को कम करने के लिए लंबे समय तक विभिन्न स्तरों पर दखल की जरूरत है। सुपोषण कार्यक्रम में बच्चों, किशोर उम्र की लड़कियों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं को पर्याप्त पोषण प्रदान करने पर अपना ध्यान केंद्रित किया जाता है। सुपोषण प्रदान करने के लिए उपचारात्मक और निषेधात्मक तरीकों के साथ प्रभावित वर्गों को सुपोषण के लाभ भी बताए जाते हैं। सुपोषण के लिए स्थायी तौर पर सामाजिक जागरूकता पैदा करने के उपायों को भी अमल में लाया जाता है। यह पहचान नंगे पांव चलने वाले हमारे सैनिकों “सुपोषण संगिनी” के प्रति समर्पित है, जो अपने प्रयासों से भारत का परिदृश्य बदल रहे हैं।”
अदाणी फाउंडेशन ने भारत के 11 राज्यों में सुपोषण को लागू किया है, जो अब तक 15 लाख लोगों तक पहुंच गया है। इस सामुदायिक दखल ने अब तक 8687 कुपोषित बच्चों को पर्याप्त पोषण मुहैया कर स्वस्थ रहने में मदद की है। इस परियोजना ने अपनी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को समझाने और इन मुद्दों को सुलझाने के लिए 1 लाख माताओं और महिलाओं की मदद की है। इसके अलावा उन्हें काउंसलिंग और समर्थन मुहैया कराकर एनीमिया से मुक्त होने में मदद भी मुहैया कराई गई है।
अदाणी फाउंडेशन की सुपोषण परियोजना से कुपोषण और एनीमिया की समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। कुपोषण को दूर रखने के लिए लाइफ साइकिल संबंधी अप्रोच अपनाई जाती है, जिसमें समुदाय पर आधारित प्रबंधन भी शामिल होता है। कुपोषण और एनीमिया को फिर दोबारा होने से रोकने के लिए सुपोषण की नीति में इसके इलाज और निषेधात्मक पहलुओं का अच्छा संतुलन कायम रखा जाता है।
“सुपोषण संगिनी” ग्रामीण स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले स्वयंसेवक है, जो अपने लक्षित समूहों में कुपोषण के प्रति जागरूरकता फैलाने के लिए उन्हें इसके फायदे बताते हैं और व्यवहार में परिवर्तन लाने को बढ़ावा देते हैं। कुल मिलाकर 570 सुपोषण संगिनी देश भर की 94 झुग्गी बस्तियों और 1200 गांवों में 3,00,750 घरों में पर्याप्त पोषण प्रदान करने का काम कर रहे हैं।
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