मुंबई। भारत के सबसे विश्वसनीय आभूषण ब्रांडों में से एक कल्याण ज्वैलर्स ने अपनी आभूषण खरीद अग्रिम योजनाओं पर हालिया अध्यादेश का सकारात्मक प्रभाव नजर आने की उम्मीद जताई है। भारत सरकार ने हाल ही में ‘‘द बैनिंग ऑफ अनरेग्युलेटेड डिपोजिट स्कीम्स ऑर्डिनेंस-2019‘‘ को लागू किया था। यह अध्यादेश ऐसी कंपनियों पर लागू होता है, जो किसी भी नियामक प्राधिकरण के अधीन नहीं हैं और जो आभूषणों की खरीद के लिए अग्रिम के रूप में धन एकत्र करते हैं।
कल्याण ज्वैलर्स के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर राजेश कल्याणरमन ने कहा, “हालिया अध्यादेश आभूषण क्षेत्र को औपचारिक रूप देने के निरंतर प्रयासों के अनुरूप ही है। इसके तहत आभूषण अग्रिम खरीद योजनाओं को नियंत्रित करते हुए एकमात्र स्वामित्व और साझेदारी फर्मों को विनियामक के अधीन किया गया है। इस तरह कहा जा सकता है कि यह उद्योग के लिए समान स्तर पर काम करने का अवसर उपलब्ध कराने के बराबर है।‘‘
राजेश कल्याणरमन ने आगे कहा, ‘‘पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में, कल्याण ज्वैलर्स इंडिया लिमिटेड (‘‘केजेआईएल‘‘) पर इस अध्यादेश को लागू करने का कोई प्रभाव नहीं पडा है। केजेआईएल द्वारा संचालित आभूषण खरीद अग्रिम योजनाएं पूरी तरह ‘विनियमित‘ और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा अनुमोदित और स्वीकृत हैं, और हम रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) अधिनियम के तहत अनिवार्य तौर पर रिटर्न दाखिल करते हैं। इसलिए हम मानते हैं कि भारत में 102 शोरूम और 650 से अधिक माई कल्याण स्टोरों का हमारा विशाल नेटवर्क हमारी धनवर्षा और अक्षय खरीद अग्रिम योजनाओं के विकास को बढ़ावा देने की दिशा में काम करने लिए तैयार हैं।‘‘
कल्याण ज्वैलर्स ने 2014 में कंपनी (एक्सेप्टेंस ऑफ डिपॉजिट्स) रूल्स 2014 (‘‘रूल्स‘‘) को लागू करने के बाद अपनी पूर्ववर्ती ज्वैलरी खरीद एडवांस स्कीम को बंद कर दिया था। उक्त नियमों के अनुसार, निजी सीमित कंपनियों को ऐसी पारंपरिक आभूषण योजनाओं को संचालित करने से रोक दिया गया था, जिनमें बोनस, लाभ आदि का भुगतान करना शामिल था। हालांकि उक्त प्रतिबंध ऐसे ज्वैलर्स के लिए अनिवार्य नहीं थे, जो भागीदारी, एकमात्र स्वामित्व, एलएलपी आदि थे। इसके बाद जून 2016 में केजेआईएल एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन गई और तब से नियमों और विनियमों का सख्ती से पालन करते हुए कंपनी ज्वैलरी खरीद अग्रिम योजनाओं का संचालन कर रही है।
केजेआईएल वर्तमान में धनवर्षा और अक्षय खरीद अग्रिम योजनाओं को संचालित करती है। उक्त योजनाओं में नामांकित ग्राहक 11 महीने के लिए मासिक किस्त का भुगतान कर सकते हैं और उसके बाद कंपनी अधिनियम के तहत अनुमोदित तरीके से लाभ के साथ भुगतान की गई कुल राशि के लिए आभूषणों को भुना सकते हैं। धनवर्षा और अक्षय खरीद अग्रिम योजनाएं वैधानिक नियमों की अनुपालना करती हैं और इसीलिए इन्हें उपभोक्ताओं के बीच अच्छी तरह से स्वीकार किया जाता है। मासिक किस्तों का भुगतान नकद, चेक, डीडी और ऑनलाइन भुगतान द्वारा किया जा सकता है।
कल्याण ज्वैलर्स की नजरें अब अपनी आभूषण खरीद अग्रिम योजना के तहत और अधिक ग्राहकों को जोडने पर हैं। कल्याण ज्वैलर्स ऐसे ग्राहकों की पहली पसंद के ब्रांड के रूप में खुद को कायम करने की कोशिश करेगा, जो भरोसेमंद और पूरी तरह विनियमित ज्वैलरी एडवांस खरीद स्कीम का संचालन करते हैं।
“ग्राहकों का एक बडा वर्ग ऐसी योजनाओं के लाभों को समझता है और हमें यकीन है कि हमारी आभूषण अग्रिम योजनाओं से संबंधित राजस्व में 25 प्रतिशत की वृद्धि होने की पूरी संभावना है।‘‘
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