नई ट्रांसयूनियन सीआईबीआईएल इंडस्ट्री इनसाइट्स रिपोर्ट में हुआ उपभोक्ता ऋण बाजार के बदलते पहलुओं का खुलासा
मुंबई. हाल ही में जारी ट्रांसयूनियन सिबिल (सीआईबीआईएल) 2018 इंडस्ट्री इनसाइट्स रिपोर्ट (आईआईआर) का कहना है कि पिछले एक वर्ष में भारतीय उपभोक्ता ऋण बाजार का विस्तार जारी रहा है, इसका श्रेय क्रेडिट कार्ड, व्यक्तिगत ऋण और कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन जैसी असुरक्षित ऋण की प्रमुख श्रेणियों में वृद्धि को दिया जा सकता है। इस बीच, इन श्रेणियों में इससे पहले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में कैलेंडर वर्ष 2018 की चौथी तिमाही में कुल बैलेंस 31.3 फीसदी बढ़ा।
सुरक्षित ऋण देने वाली श्रेणियां- लोन अगनेस्ट प्रॉपर्टी (एलएपी), ऑटो लोन और होम लोन- ने तुलनात्मक रूप से कैलेंडर वर्ष 2018 की चौथी तिमाही में 21.8 फीसदी, 17.4 फीसदी और 17.1 फीसदी के मजबूत स्तर पर विस्तार करते हुए इससे पिछले वर्ष की इसी अवधि से तुलनात्मक रूप से अधिक मध्यम कुल बैलेंस ग्रोथ का अनुभव किया। विकास के इस स्वस्थ स्तर से पता चलता है कि भारतीय उपभोक्ताओं की ओर से ऋण के लिए मांग मजबूत बनी हुई है और उधारदाताओं ने इस मांग को पूरा करने के लिए उधारकर्ताओं को ऋण उपलब्ध करवाने की हरसंभव कोशिश को जारी रखा है।
ट्रांसयूनियन सिबिल में डेटा साइंस और एनालिटिक्स के वाइस प्रेसिडेंट योगेंद्र सिंह ने कहा, ’उपभोक्ता ऋण भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण चालक बना हुआ है। हालांकि, जीडीपी की वृद्धि हाल की तिमाहियों में कम हो गई है, फिर भी भारत में उपभोक्ता ऋण दिए जाने की समग्र दर अभी भी दुनिया की अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में काफी अधिक है।’ उन्होंने कहा, ’चूंकि अपने आकार और तरीके में भारतीय ऋणदाता लगातार वृद्धि करना जारी रखे हुए हैं, ऐसे में वे उपभोक्ताओं की दुनिया तक ऋण का विस्तार करने में जुटे हुए हैं, वे नए डेटा स्रोतों और विश्लेषणात्मक उपकरणों के अनुसार अपनी अंडरराइटिंग कैपेसिटी और ऋण देने में सुलभता को विकसित कर रहे हैं। रिटेल लेंडिंग ग्रोथ को बनाए रखने के लिए फंड की उपलब्धता और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में विरोधी हवाओं के मद्देनजर क्षमताओं में यह निरंतर विकास महत्वपूर्ण है। “
ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के आंकड़ों के अनुसार, भारत के लिए वर्ष-दर-वर्ष सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि कैलेंडर वर्ष 2018 की चौथी तिमाही में 6.6 फीसदी तक धीमी हो गई, जबकि तीसरी तिमाही में 7.0 फीसदी और 2018 की पहली छमाही में 7 फीसदी से ऊपर का स्तर था।
सभी क्षेत्रों में यह बदलाव कर्जदाताओं के पक्ष में गया
सभी प्रमुख उपभोक्ता ऋण देने वाले उत्पादों ने चौथी तिमाही में खातों की कुल संख्या में दोहरे अंकों की प्रतिशत वृद्धि का अनुभव किया। उत्साहजनक रूप से, खातों की संख्या के हिसाब से सबसे बड़ा उत्पाद खंड, क्रेडिट कार्ड भी विकास की उच्चतम दरों में से एक है, कुल बैलेंस में भी और खातों की संख्या में (वर्ष-दर-वर्ष आधार पर कैलेंडर वर्ष 2018 की चौथी तिमाही में इस मापक में क्रमशः 31.4 फीसदी और 28.6 फीसदी की वृद्धि हुई है)। 2018 के अंत में 2.5 करोड़ से अधिक भारतीय उपभोक्ताओं के पास क्रेडिट कार्ड थे, 2016 के अंत की तुलना में लगभग 50 फीसदी की वृद्धि, जो नवंबर 2016 के विमुद्रीकरण के तुरंत बाद की बात है।’
सिंह ने आगे कहा, ’पिछले दो वर्षों में उपभोक्ता क्रेडिट कार्ड की पहुंच में महत्वपूर्ण विस्तार विमुद्रीकरण के अनुभव के कारण हो सकता है। उपभोक्ताओं ने खर्च की सुविधा के साथ-साथ चलनिधि और उधार लेने की शक्ति प्रदान करने में क्रेडिट कार्ड के महत्व और मोल को स्वीकार किया।’
’व्यक्तिगत ऋण, उपभोक्ता टिकाऊ ऋण और दोपहिया ऋण सहित सभी छोटे आकार-प्रकार के ऋणों के लिए भी खातों में मजबूती और बैलेंस में वृद्धि और शेष के विकास की यही कहानी है। कई प्रकार के खाता प्रकारों में यह वृद्धि दर्शाती है कि हाल की तिमाही में मजबूत उपभोक्ता ऋण मांग और ऋण तक पहुंच का रुझान जारी रहा।’
सिंह ने कहा, ’यह स्पष्ट है कि कैलेंडर वर्ष 2018 की चौथी तिमाही में ऋण को लेकर पूछताछ या इंक्यावरी वर्ष-दर-वर्ष 40 फीसदी से बढ़ी है, भारतीय उपभोक्ताओं के बीच कर्ज के लिए अभी भी महत्वपूर्ण मांग है। हालांकि, आपूर्ति में काफी तेजी नहीं है और अनुमोदन दर ने 2017 की पहली तिमाही के बाद से लगातार गिरावट की प्रवृत्ति प्रदर्शित की है। । यह प्रभाव नॉन-प्राइम, उच्च-जोखिम वाले उपभोक्ताओं के क्रेडिट मार्केटप्लेस में प्रवेश करने के बढ़ते प्रतिशत से प्रेरित है और दर्शाता है कि ऋणदाता अपने जोखिम को प्रबंधित करने और इस तरह अपने समग्र पोर्टफोलियो को व्यवस्थित करने में लगे हैं।’
चूंकि अधिकांश खुदरा ऋण उत्पादों में खाते और शेष बढ़ते रहे हैं, ऐसे में कहा जा सकता है कि उपभोक्ताओं ने आम तौर पर उन उत्पादों पर अच्छा प्रदर्शन करना जारी रखा है जो उन्होंने लिए हैं। कैलेंडर वर्ष 2018 की चौथी तिमाही में अधिकांश प्रमुख उपभोक्ता ऋणों की श्रेणियों में विलंबता दर अपेक्षाकृत स्थिर रही, वहीं क्रेडिट कार्ड, होम लोन और व्यक्तिगत ऋणों के लिए वर्ष-दर-वर्ष आधार पर गंभीर विलंब या चूक भी लगभग स्थिर रही। पिछले एक वर्ष में ऑटो लोन ने एक मजबूत सुधार दिखाया, जिसमें गंभीर विलंब दर 116 बेस पाइंट (बीपी) गिरकर 2.75 फीसदी हो गई। गंभीर विलंब दरों को 90 या उससे अधिक दिनों के शेष के प्रतिशत के रूप में मापा जाता है।
संपत्ति के खिलाफ ऋण (एलएपी) प्रमुख उधार उत्पादों के बीच विलंब की प्रवृत्ति में एक अपवाद हैं, जिसमें 2018 के अंत में गंभीर विलंब दरें वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 53 बीपी हो गई, इसमें 3.45 फीसदी की वृद्धि हुई। इसने पिछले दो वर्षों में बढ़ती हुई डिलिंगक्वन्सी रेट की प्रवृत्ति को जारी रखा है। यह उल्लेखनीय है कि प्रति उधारकर्ता औसत बैलेंस अन्य उधार उत्पादों की तुलना में बहुत बड़ा है। हालांकि, अन्य उत्पाद प्रकारों की तुलना में एलएपी खातों (19 लाख) की अपेक्षाकृत कम संख्या का मतलब है कि बाजार का जोखिम कम संख्या में उधारकर्ताओं तक सीमित है।
सिंह ने कहा, ’कैलेंडर वर्ष 2018 की चौथी तिमाही में समग्र विलंब दर की सापेक्षिक स्थिरता उत्साहजनक है और यह बताता है कि ऋणदाता प्रभावी रूप से जोखिम का प्रबंधन कर रहे है, वहीं भारतीय उपभोक्ता अपने व्यक्तिगत वित्त में शीर्ष पर है। पिछली रिपोर्टों में हमने रियल एस्टेट से संबंधित सुरक्षित ऋण उत्पादों जैसे कि होम लोन और संपत्ति के खिलाफ ऋण के लिए विलंब में बढ़ते चलन के बारे में बताया था। यह चलन लगातार विश्लेषण में आ रहा है, विशेष रूप से भारतीय और वैश्विक आर्थिक विकास के संदर्भ में साथ ही, पिछले एक साल में होम लोन के लिए विलंबता की स्थिर दर स्वागत योग्य समाचार है।’
नॉन-बैंक फाइनेंशियल कंपनियों की ऋण वृद्धि में गिरावट की आशंका
हाल के वर्षों में, भारत ने उपभोक्ता की मानसिकता को एक बचत-केंद्रित और ऋण-ग्रस्त देश से खपत-केंद्रित अर्थव्यवस्था में बदलते देखने का अनुभव किया है। परिवर्तन की यह दर अभी भी कई कारणों के साथ बनी हुई है, जिनमें जनसांख्यिकी, शहरीकरण, बढ़ता डिजिटलकरण और इसके साथ ई-कॉमर्स का उदय, खुदरा उधार में सुधार और निर्यात में वृद्धि। इसके साथ-साथ अल्पकालिक, छोटे आकार के ऋणों के अनुपात में भी विशेष वृद्धि हुई है - खासतौर पर नॉन-बैंक फाइनेंशियल कंपनी (एनबीएफसी) के ऋणदाताओं में, जिनमें हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां (एचएफसी) भी शामिल हैं।
एनबीएफसी उधार भारतीय उपभोक्ता ऋण बाजार में विकास का एक महत्वपूर्ण चालक रही है, और पिछले तीन वर्षों में सभी नए खाता खोलने में एक तिहाई से लेकर आधे हिस्से (कर्ज की श्रेणी के आधार पर) के बीच रही है। संपत्ति के खिलाफ ऋण के लिए एनबीएफसी कर्जदाताओं (एचएफसी सहित) ने 2018 में नए खातों को खोलने में अपेक्षाकृत अधिक हिस्सा अर्जित किया है, लगभग 62 फीसदी।
हालांकि, बाजार में ऐसे संकेत हैं कि वृद्धि की यह दर कम हो सकती है क्योंकि गैर-बैंक कर्जदाता शीर्षासन का अनुभव करने लगे हैं। यह कैलेंडर वर्ष 2018 की चौथी तिमाही के लिए होम लोन के लिए जानकारी चाहने वालों के आंकड़ों से स्पष्ट है। एनबीएफसी होम लोन की पूछताछ में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 7.9 फीसदी की गिरावट प्रदर्शित हुई जो कि बैंकों में 9.3 फीसदी की वृद्धि के विपरीत है।
निष्कर्ष रूप में सिंह कहते हैं, ’हाल के वर्षों में गैर-बैंक वित्तीय ऋणदाता समग्र उपभोक्ता ऋण वृद्धि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं, लेकिन जैसे-जैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी पड़ रही है और गैर-बैंक वित्तीय बाजार पुराने हो रहे हैं, प्रारंभिक संकेत यही मिलता है कि यह क्षेत्र ठंडा होने लगा है। यद्यपि हम गैर-बैंक उधारदाताओं के बीच निरंतर वृद्धि की उम्मीद करते हैं, यह अनुमान है कि यह अधिक मध्यम दर पर हो सकता है। यदि ऐसा होता है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि उपभोक्ता ऋण बाजारों का यह महत्वपूर्ण हिस्सा कैसे समायोजित होता है और बैंक किस हद तक बाजार के बड़े हिस्से पर कब्जा करने के लिए कदम बढ़ाते हैं। पिछले कई वर्षों से उपभोक्ता ऋण बाजार में तेजी से वृद्धि के बदलाव को देखते हुए और इस बदलाव का फायदा उठाने के लिए कर्जदाताओं के जतन को ध्यान में रखते हुए यह उम्मीद की सकती कि है कि यह बाजार आगे भी बढ़ता रहेगा और कर्जदाता, उधारकर्ताओं को लुभाना जारी रखेंगे।
ट्रांसयूनियन सिबिल इंडस्ट्री इनसाइट्स रिपोर्ट के बारे में
ट्रांसयूनियन सिबिल इंडस्ट्री इनसाइट्स रिपोर्ट एक गहन, जनसांख्यिकी स्तर पर पूर्ण समाधान है जो ट्रांसयूनियन सिबिल के कंज्यूमर ब्यूरो डेटाबेस से प्रत्येक तिमाही में सांख्यिकीय जानकारी प्रदान करता है, जिसमें वर्चुअल तौर पर हर लाइव क्रेडिट रिकॉर्ड शामिल है। प्रत्येक फाइल में सैकड़ों क्रेडिट वेरिएबल होते हैं जो उपभोक्ता कर्ज के उपयोग और प्रदर्शन को चित्रित करते हैं। इस इनसाइट रिपोर्ट का लाभ उठाकर, विभिन्न उद्योग, समूचे भारत और विभिन्न भौगोलिक स्थानों पर उपभोक्ता व्यवहार को समझने में मदद करते हुए एक संपूर्ण व्यापार चक्र पर बाजार की गतिशीलता का विश्लेषण कर सकते हैं।
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