वार्षिक आधार पर लाभ की स्थिति में
चालू वर्ष में 3000 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित करना लक्ष्य
बेंगलुरू। दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण एजुकेशन कंपनी और स्कूली छात्रों के लिए भारत के सबसे लोकप्रिय शिक्षण ऐप की निर्माता बायजूस ने वित्त वर्ष 2018-19 में अपने राजस्व में तीन गुना वृद्धि के साथ इसे 1430 करोड़ रुपए पर पहुंचा दिया है, कंपनी समूचे वर्ष के लिए लाभदायक स्थिति में रही है। अप्रैल 2019 में, बायजूस ने मासिक राजस्व में 200 करोड़ रुपए को पार कर लिया है और इस वर्ष 3000 करोड़ से अधिक के राजस्व की उम्मीद लगा रही है।
राजस्व में वृद्धि पूरे भारत में कंपनी की गहरी पैठ और सशुल्क ग्राहकों की संख्या में महत्वपूर्ण वृद्धि से हुई। वर्तमान में, सीखने के कार्यक्रम अंग्रेजी और हिंदी दोनों में उपलब्ध हैं। बायजूस, विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षण कार्यक्रम बनाने पर काम कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर क्षेत्र के छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षण सामग्री और शिक्षकों तक अपनी पहुंच बना पाएं।
कंपनी के आज 35 मिलियन से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ता और 2.4 मिलियन सशुल्क ग्राहक हैं; यह जून 2018 में 1.26 मिलियन से लगभग दोगुना आंकड़ा है। औसतन हर ग्रेड में नवीकरण की दर 85 फीसदी है, वहीं अधिकांश ग्रेड 90 फीसदी से अधिक पर है।
बायजूस लर्निंग ऐप के संस्थापक और सीईओ, बायजू रवीन्द्रन ने कहा - हमने हमसे सीखने वाले छात्रों की संख्या में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी है और आज, हमारे 60 फीसदी छात्र शीर्ष 10 बडे शहरों के बाहर से हैं। यह एक स्पष्ट संकेत है कि ऑनलाइन शिक्षण एक महत्वपूर्ण आवश्यकता को पूरा कर रहा है और इसकी काफी जरूरत हैँ हम कई क्षेत्रीय भाषाओं में लर्निंग प्रोग्राम बनाने पर भी काम कर रहे हैं और हमारा मानना है कि यह कदम वास्तव में छात्रों को उनके घरों में और उनकी पसंद की भाषा में सीखने में मदद करने वाला गेम चेंजर होगा। जबकि लाभप्रदता हमारे लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, एक कंपनी के रूप में हमारा मुख्य ध्यान शिक्षण अनुभव को आकर्षक बनाने पर है जो छात्रों की लर्निंग को मजबूत करेगा। आखिरकार, इस क्षेत्र में होने का सबसे अच्छा हिस्सा यह है कि आप समाज के लिए दीर्घकालिक रूप से सकारात्मक प्रभाव देने वाला काम कर सकते हैं।
इन बीते वर्षों में, बायजूस अपने पर्सनलाइज्ड लर्निंग प्रोग्राम के माध्यम से भारत में स्कूली छात्रों के लिए व्यक्तिगत और बेहतर सीखने का पर्याय बन गया है। एक छात्र द्वारा ऐप पर बिताए जाने वाले मिनटों की औसत संख्या पिछले 12 महीनों में 64 मिनट से 71 मिनट तक बढ़ गई है।
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