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Tuesday, May 7, 2019

रत्नों और आभूषणों की वैश्विक और अमेरिकी बाजार में खपत में लगातार बढ़ोतरी - जीजेईपीसी





 Global gems and jewellery demand looks optimistic


मुंबई। वित्त वर्ष 2018-19 में भारत की तरफ से संयुक्त राज्य अमेरिका को किए गए कट और पॉलिश हीरों के निर्यात में 8.33 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इस प्रकार यह निर्यात कुल 8308.73 मिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा, जबकि वर्ष 2017-18 में कुल 7669.88 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ही निर्यात हुआ था।
वित्त वर्ष 2018-19 में संयुक्त राज्य अमेरिका को सादे और जड़ित सोने के आभूषणों के भारत के निर्यात में 7.76 प्रतिशत की वृद्धि हुई और वित्त वर्ष 2017-18 में 1469.39 मिलियन अमेरिकी डालर की तुलना में 1583.39 मिलियन अमेरिकी डालर तक पहुंचा।
ट्रेड ऑर्गनाइजेशन ने इस सप्ताह की शुरुआत में जो रिपोर्ट दी है, उससे पता चलता है कि मार्च महीने में कुल खरीद मूल्य 3.6 प्रतिशत वर्ष दर वर्ष बढ़ा और महीने दर महीने के आधार पर लगभग हर रिटेल सेक्टर में बिक्री में बढ़ोतरी दर्ज की गई।
नेशनल रिटेल फैडरेशन (एनआरएफ) के अनुसार इस बार मदर्स डे के अवसर पर अमेरिकी उपभोक्ताओं द्वारा आभूषणों पर 13 प्रतिशत अधिक रकम खर्च करने की उम्मीद है।
दी जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल कहते हैं, ‘‘अमेरिकी बाजार में रत्न और आभूषण उत्पादों का भारत का निर्यात उत्साहजनक है और इसका प्रमुख कारण अमेरिका में बढ़ती जीडीपी वृद्धि, रोजगार दर और निजी उपभोग व्यय है। ऐसा अनुमान है कि अमेरिकी बाजारों में मांग की यह गति आगे भी जारी रहेगी और इसे भारतीय रत्न और आभूषण निर्यात के लिए एक अच्छा संकेत भी माना जा सकता है।”
रत्न और आभूषण निर्यात के लिए भारत सरकार के शीर्ष निकाय रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) द्वारा उपलब्ध कराए गए निर्यात संबंधी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 19 में अमेरिकी बाजार की रत्न और आभूषण की मांग का 16 प्रतिशत से अधिक हिस्सा भारत ने पूरा किया। वित्त वर्ष 2018-19 में अमेरिका को निर्यात किए गए आभूषणों में 3.97 प्रतिशत की वृद्धि रही और यह 10475.80 मिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में यह राशि 10075.83 अमेरिकी डॉलर थी।
व्यापार संगठनों के एक वार्षिक सर्वेक्षण के अनुसार, अमेरिकी उपभोक्ताओं द्वारा इस वर्ष रत्न और आभूषणों पर 5.2 बिलियन डॉलर से अधिक खर्च करने की उम्मीद है, जबकि 2018 में 4.6 बिलियन डॉलर खर्च किए गए थे। पिछले साल की तुलना में इस बार मदर्स डे के अवसर पर आभूषणों पर कुल 31 प्रतिशत अनुमानित वृद्धि की संभावनाएं हैं। 12 मई को आने वाले मदर्स डे के लिए कुल मिलाकर खर्च 8 प्रतिशत बढ़कर 25 बिलियन डॉलर तक पहुंचनेे का अनुमान है।
दी जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के वाइस चेयरमैन  कोलिन शाह कहते हैं, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में भारत दुनिया का सबसे बड़ा हीरा प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट हब बन गया है, जिसका कुल योगदान 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है, जो भारत के समग्र निर्यात में सबसे बड़ा योगदान है। भारत को यह सम्मान उद्योग के प्रयासों और लाखों शिल्पकारों की बदौलत मिला है, जो उद्योग के लिए रीढ़ के समान हैं। जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट्स प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) ने अपने पांच दशक के कार्यकाल के दौरान भारत को ऊंचाई तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।‘‘
कोलिन शाह ने आगे कहा, ‘‘यह देखा गया है कि रत्न और आभूषण क्षेत्र के लिए बैंकिंग क्षेत्र का योगदानकुल आवश्यकता का सिर्फ 2.5-3 प्रतिशत है। उद्योग आग्रह करता है कि इस सेक्टर को कार्यशील पूंजी उधार देने के लिए बैंकों को अपने कुछ मानदंडों को शिथिल करना चाहिए। दरअसल अब वह समय आ गया है जब बैंकिंग क्षेत्र को रत्न और आभूषण क्षेत्र को गंभीरता से देखना चाहिए।”
वित्त वर्ष 2018-19 में भारत के रत्नों और आभूषणों का कुल निर्यात 40 बिलियन अमेरिकी डालर के बराबर था। मार्च तिमाही में सोने का आयात 20 फीसदी बढ़ा है, क्योंकि बाजार में अच्छी संभावनाएं देखने वाले ज्वैलर्स ने अक्षय तृतीया से पहले इन्वेंट्री का स्टॉक करना शुरू कर दिया है। खुदरा मांग में तेजी आने लगी है और अक्षय तृतीया के दौरान 7 मई को होने वाली बिक्री में सोने की कीमतों में सकारात्मक       दृष्टिकोण से बिक्री में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।
इसके अलावा श्री अग्रवाल ने दुनिया भर में हीरा संवर्धन की पहल पर जोर दिया। प्राकृतिक हीरों के प्रचार के लिए प्रमुख हीरा खनन कंपनियों के एक वैश्विक गठबंधन ‘द डायमंड प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (डीपीए)‘ ने हाल ही संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और भारत के बाजार के लिए ‘रियल इज रेयर‘ अभियान शुरू किया है। यह संगठन दुनिया के 75 प्रतिशत डायमंड प्रोडक्शन का प्रतिनिधित्व करता है। इस मार्केटिंग अभियान का उद्देश्य हीरे के उत्पादों और उपभोक्ता के बीच एक भावनात्मक जुड़ाव पैदा करके हीरे के अनुभव को रूपांतरित करना है, ताकि हीरे के आभूषणों की मांग के लिए अवसरों को और अधिक बढाया जा सके।
डीपीए ने संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और भारत के बाजारों के लिए 2019 में मीडिया पर 72 मिलियन डॉलर से अधिक खर्च किया है और अकेले भारत में ही इसने 10 मिलियन अमेरिकी डालर खर्च किए हैं।
हीरे की खनन कंपनियों के संदर्भ में, अलरोसा अपनी अखैल भूमिगत जमा को गहरा करेगा, खदान के जीवन को 10 साल तक बढ़ाएगा और संसाधन में 20 मिलियन कैरेट जोड़ देगा। कंपनी ने सोमवार को कहा कि इस परियोजना की लागत रूस स्थित खननकर्ता आरबीबी 10 बिलियन डॉलर (156.9 मिलियन डॉलर) होगी और इसे 2020 से शुरू होने वाले चरणों में किया जाएगा। निचली गहराई से अयस्क निष्कर्षण 2027 में शुरू होने और 2044 तक जारी रहने की उम्मीद है।
ऐसा देखा गया है कि भारत को लेकर हीरा खनन कंपनियों का रुख भी सकारात्मक है और वे भारत में निवेश करने की इच्छुक नजर आ रही हैं। हाल ही में, अलरोसा ने सूचित किया कि वह भारत में अपने विपणन खर्च को बढ़ा रही है, ताकि वह भारत में अपने साथियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने का प्रयास कर सके। अलरोसा ने 18 भारतीय कंपनियों के साथ दीर्घकालिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। कुल मिलाकर भारत की 173 कंपनियां नीलामी में और एक बार के अनुबंधों के माध्यम से अलरोसा के हीरे खरीदती हैं।




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