मुंबई। टाटा मोटर्स ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा का मानना था कि ‘सभी साझीदारों का कल्याण होना चाहिये, क्योंकि वे हमारे अस्तित्व का उद्देश्य हैं’। इस विजन के अनुसार टाटा मोटर्स अपने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के एजेंडा से स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगारशीलता और पर्यावरण को बढ़ावा देने में अग्रणी रही है। विगत वर्षों में कंपनी ने अपने परिचालन में वृद्धि करते हुए सामुदायिक विकास पर भी जोर दिया है। राष्ट्र निर्माण के लिये अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए टाटा मोटर्स ने लगभग 7लाख लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है, जिनमें से करीब 40 प्रतिशत लोग एससी और एसटी समुदायों से आते हैं, ताकि समावेशी, समानतापूर्ण और सर्वांगीण विकास हो सके।
टाटा मोटर्स के सिद्धांत में स्थायित्वपूर्ण विकास को महत्व दिया जाता है और जिस समुदाय की सेवा की जाती है, वह लंबी अवधि तक प्रभावित हो, यह सुनिश्चित करने के लिये प्रत्येक कार्य किया जाता है। पिछले 5 वर्षों में कंपनी ने लगभग 2.45 मिलियन लोगों को लाभ दिया है और इसके लिये लगभग 100 करोड़ रूपये का निवेश किया गया है।
महत्वपूर्ण तथ्यः
अपने स्वास्थ्य कार्यक्रम आरोग्य के तहत कंपनी ने सूखा प्रभावित 450 क्षेत्रों में कुपोषण से लड़ने और सुरक्षित पेयजल प्रदान करने का काम किया है, जिससे लगभग3.8 लाख लोगों को लाभ हुआ है, खासकर आदिवासी क्षेत्रों में।
शिक्षा के लिये अपने कार्यक्रम विद्याधनम के तहत कंपनी ने करीब 1 लाख सेकेंडरी/कॉलेज जाने वाले विद्यार्थियों को उनकी आवश्यकता के आधार पर आर्थिक सहयोग दिया है और उनके लिये विशेष कोचिंग क्लासेस की व्यवस्था की है। टाटा मोटर्स भारत का पहला कॉर्पोरेट है,जिसने वित्तीय सहयोग कार्यक्रम के लिये अफर्मेटिव एक्शन (एए) के अंतर्गत आईआईटी बॉम्बे को सहयोग प्रदान किया है। इस कार्य से सरकारी स्कूलों में उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत वर्ष 2015 के 55प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2019 में 80 प्रतिशत हो गया।
कंपनी ने बेरोजगार युवाओं के कुशलता प्रशिक्षण में भी मदद की, जो ऑटो ट्रेड्स, नॉन-ऑटो ट्रेड्स और कृषि तथा सम्बद्ध गतिविधियों में ‘कौशल्या’ कार्यक्रम के अंतर्गत एनएसडीसी प्रमाणन के साथ दिया गया। कंपनी महिलाओं और किसानों के समुदाय आधारित समूहों से भी जुड़ी और कृषि तथा संबद्ध कार्यक्रमों द्वारा पूरक आय अर्जित करने में उनकी सहायता की। पिछले वर्ष इस कार्यक्रम से करीब 1 लाख युवा जुड़े, जिनमें से 56प्रतिशत को नौकरी मिली और 4 प्रतिशत ने तो अपना उद्यम शुरू कर दिया।
समुदायों का स्थायित्व और पर्यावरण पर जागरूक करने के लिये अपने कार्यक्रम ‘वसुंधरा’ के अंतर्गत कंपनी ने देशज किस्मों के 11 लाख पौधे लगाये और 89000लोगों को संवेदनशील बनाया, जिनमें से अधिकांश बच्चे थे।
सहभाग (महाराष्ट्र सरकार की सीएसआर इकाई) के साथ कंपनी की एकीकृत ग्राम विकास परियोजना से पालघर जिले की जव्हार (Jawhar) तहसील की पाथर्दी ग्राम पंचायत के 3000 आदिवासियों का जीवन सुधरा, जिसमें उपयोग किये गये 70 प्रतिशत संसाधन सरकार की ओर से प्रदान किये गये थे।
उपरोक्त में से कोई भी कार्य टाटा मोटर्स के कर्मचारियों के सतत् सहयोग के बिना संभव नहीं था। सामाजिक विकास के लिये 10500 कर्मचारियों (कुल कार्यबल का लगभग 40 प्रतिशत) ने करीब 60000 घंटे काम किया।
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