भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी ने बिहार के युवाओं के कौशल विकास पर किया फोकस - Karobar Today

Breaking News

Home Top Ad

Post Top Ad

Sunday, June 16, 2019

भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी ने बिहार के युवाओं के कौशल विकास पर किया फोकस



Bhartiya Skill Development University focuses on Skill Development of Bihar’s Youth




डॉ. (ब्रिगेडियर) सुरजीत सिंह पाब्ला ने राज्य में युवाओं के लिए कौशल कार्यक्रमों और पाठ्यक्रमों की पहल का सुझाव दिया।
बिहार सरकार ने कौशल विकास के लिए योजनाएं लागू की हैं, जैसे कि अप्रेन्टिसशिप ट्रेनिंग स्कीम, क्राफ्ट्मैन ट्रेनिंग स्कीम आदि।
बीएसडीयू के कुलपति डॉ. (ब्रिगेडियर) सुरजीत सिंह पाब्ला ने बिहार में रोजगार की चुनौतियों पर ध्यान देने की आवश्यकता जताई।


पटना। भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी (बीएसडीयू) ने  बिहार में रोजगार की कमी के बारे में चर्चा करने के लिए पटना में एक सम्मेलन का आयोजन किया और इस मुद्दे के एक व्यवहार्य समाधान के रूप में कौशल विकास पर विमर्श किया। सम्मेलन में यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. (ब्रिगेडियर) सुरजीत सिंह पाब्ला ने बताया कि कैसे कौशल-आधारित पाठ्यक्रम युवाओं को विभिन्न कौशलों में प्रशिक्षित होने और कैरियर के उपयुक्त विकल्प खोजने में मदद कर सकते हैं। इस सम्मेलन का उद्देश्य बिहार में रोजगार और कौशल से संबंधित मुद्दों का सामना करने वाले लोगों पर ध्यान देना था। भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी (बीएसडीयू) जयपुर ने उपयुक्त कौशल सेट में युवाओं को शिक्षित और प्रशिक्षित करने के बारे में एक चर्चा शुरू की, जो इससे निपटने में मदद कर सकते हैं। बिहार में बड़े टैलेंट पूल का दावा किया जाता है, जिसे कैरियर ओरिएंटेशन और स्किलिंग के संदर्भ में सही दिशा की जरूरत है, जिससे राज्य में बेरोजगारी की बढ़ती चुनौती को लगातार सुधारने और नौकरी के परिदृश्य को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।
बीएसडीयू के कुलपति डॉ (ब्रिगेडियर) सुरजीत सिंह पाब्ला ने इस सम्मेलन के दौरान कहा, “आज प्रत्येक संगठन प्रशिक्षित कर्मचारी को नियुक्त करना चाहता है। आज की दुनिया कुछ पेशेवर कैरियर विकल्पों के इर्द-गिर्द घूम रही है, जो प्रासंगिक होने के साथ-साथ व्यावहारिक भी हैं, जैसे प्रबंधन, प्रशासनिक, लेखा, तकनीकी आदि। ऐसे कार्यात्मक क्षेत्रों में व्यावहारिक प्रशिक्षण कभी भी पूर्वनिर्धारित नहीं होता है। हमने बीएसडीयू में प्रशिक्षण मॉड्यूल बनाए हैं जो छात्रों को मशीन लर्निंग और फंक्शन लर्निंग की सभी प्रक्रियाओं  से गुजरने में सक्षम बनाते हैं। बी. वोक. और एम. वोक. जैसे पाठ्यक्रमों को ही भविष्य की डिग्री माना जाना चाहिए, क्योंकि इनके माध्यम से ही हम ऐसे ग्रेजुएट छात्र तैयार कर पाएंगे, जिन्हें सामान्य शिक्षा सामग्री के अलावा उनके द्वारा चुने गए कौशल क्षेत्रों में मजबूत कौशल ज्ञान और अनुभव हासिल होगा। जाहिर है कि उनकी रोजगार हासिल करने की क्षमता भी बहुत व्यापक होगी और इस तरह देश में बेरोजगारी दर को बहुत कम करने में सहायता मिलेगी।”

डॉ पाब्ला आगे कहते हैं, ‘‘हम आज के युवाओं में कौशल संबंधी कमी को दूर करने के लिए अपने ‘स्विस ड्यूअल एजुकेशन सिस्टम‘ के साथ सर्वोत्तम सलाह और समर्थन प्रदान करके राज्य सरकार की मदद करना चाहते हैं। हमने हाल ही में झारखंड सरकार और राजस्थान सरकार को भी इस क्षेत्र में अपना समर्थन दिया है।‘‘

2011 की जनगणना के अनुसार, 10.41 करोड़ की आबादी के साथ, भारत में बिहार तीसरा सबसे बड़ा राज्य है। देश में साक्षरता दर 63.82 फीसदी है और कुल जनसंख्या में से 61 फीसदी 15-59 वर्ष की आयु वर्ग के अंतर्गत आती है। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की कुल आबादी में लगभग 33 फीसदी लोग ही काम कर रहे हैं; कुल पुरुष आबादी में से लगभग 46 फीसदी कार्यरत हैं, जबकि बिहार में केवल 19 फीसदी महिलाएं कार्यरत हैं जबकि इंडिया स्किल रिपोर्ट 2019 के अनुसार भारत में एम्प्लॉयबिलिटी 47.38 फीसदी है। बिहार के लगभग आधे युवा जीवन यापन के लिए खेती पर निर्भर हैं, लगभग 53 फीसदी श्रमिक कृषि मजदूर हैं। राज्य में बड़े पैमाने पर काम करने की उम्र वाली आबादी होने के बावजूद तुलनात्मक रूप से बहुत कम लोग कार्यरत हैं। इसके कारण, लोगों की आजीविका प्रभावित होती है क्योंकि यह उन्हें आवश्यकताओं और जीवन के अच्छे स्तर से वंचित करता है। इससे सामाजिक अस्थिरता पैदा हो सकती है और यह केवल बेरोजगार लोगों को ही नहीं, बल्कि उन लोगों को भी प्रभावित करता है जो इस पर निर्भर हैं।
भारत सरकार वर्षों से रोजगार के कई मुद्दों पर काम कर रही है। इनमें से सबसे बड़ा मुद्दा नौकरी के अवसरों की कमी है, ऐसे में रोजगार बढ़ाने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। ऐसी ही एक योजना है स्किल इंडिया, जिसके तहत युवाओं को कुशल रोजगार के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। बिहार सरकार ने 15 विभाग भी बनाए हैं जो राज्य के युवाओं के कौशल विकास की दिशा में काम कर रहे हैं। ये विभाग राज्य के विभिन्न लक्षित समूहों के कल्याण के लिए नई योजनाएं लागू करते हैं। इन योजनाओं में से कुछ हैं कौशल विकास पहल योजना, प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना और शिल्पकार प्रशिक्षण योजना।
सरकार की योजना के समर्थन में देश की पहली और एकमात्र कौशल-आधारित संस्था भारतीय स्किल डवलपमेंट यूनिवर्सिटी (बीएसडीयू) अपने स्विस ड्यूल-एजुकेशन सिस्टम के आधार पर कौशल प्रशिक्षण प्रदान करती है, यूनिवर्सिटी ने अपनी स्थापना के बाद से देश में 5000 से अधिक छात्रों को प्रशिक्षित किया है। 2016 में स्थापित, विश्वविद्यालय का दृष्टिकोण कौशल विकास के क्षेत्र में वैश्विक उत्कृष्टता उत्पन्न करना है ताकि भारतीय युवाओं की प्रतिभाओं के विकास के लिए अवसर, स्थान और गुंजाइश बनाई जा सके और उन्हें वैश्विक स्तर पर फिट बनाया जा सके। बीएसडीयू न केवल शैक्षणिक, बल्कि सरकार की योजनाओं को औद्योगिक समर्थन भी प्रदान कर रही है।
बी.वोक. कार्यक्रम की संरचना माड्यूलर रूप में की गई है। इसमें सर्टिफिकेट (6 माह के बाद), डिप्लोमा (1 वर्ष के बाद), एडवांस्ड डिप्लोमा (2 वर्ष के बाद) और बी.वोक. (3 वर्ष के बाद) के दौरान अनेक एंट्री और एक्जिट प्वाइंट हैं। छात्रों को हर वैकल्पिक सेमेस्टर में औद्योगिक इंटर्नशिप के लिए भेजा जाता है। इस तरह विद्यार्थियों को तीन साल के बी. वोक. कार्यक्रम के दौरान 18 महीने का औद्योगिक अनुभव हासिल होता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि छात्र हर एक्जिट लेवल पर इंडस्ट्री के लिए तैयार होता है। इंटर्नशिप के दौरान ‘सीखें और कमाएं‘ सिस्टम के तहत छात्रों को 7000 रुपए से लेकर 15000 रुपए प्रति माह तक का स्टाइपेंड मिलता है। साथ ही, कई छात्रों को उन कंपनियों द्वारा नियमित रोजगार की पेशकश की जाती है जहां वे इंटर्नशिप के लिए जाते हैं। वे बहुत ही कम उम्र में उद्योग में शामिल होने के लिए अनेक एक्जिट पॉइंट्स का लाभ उठाते हैं। बाद में उद्योग में पदोन्नति के दौरान वे अपनी डिग्री पूरी करने के लिए विश्वविद्यालय में वापस आ सकते हैं। विश्वविद्यालय कौशल संबंधी अनेक क्षेत्रों में मास्टर प्रोग्राम एम. वोक. और पीएच. डी. भी प्रदान करता है।


राजस्थान राज्य सरकार ने एक कौशल ओलंपियाड का आयोजन किया है जिसमें बीएसडीयू के छात्र भी भाग ले रहे हैं। डॉ. पाब्ला ने सुझाव दिया कि अन्य सरकारों को भी छात्रों के लिए ऐसे अवसरों की शुरुआत करनी चाहिए। इसके अलावा, स्कूलों को स्कूल पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में भी कौशल जोड़ना चाहिए, ताकि छात्र कौशल-आधारित कैरियर के अवसरों के बारे में जान सकें जो वे स्नातक होने के बाद से चुन सकते हैं। ऐसे में विज्ञान, कला, सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों के अलावा, छात्र कौशल कार्य के बारे में सीख सकते हैं और यह एक व्यवहार्य करियर विकल्प भी बन सकता है।
बीएसयूडी का परिसर 50 एकड क्षेत्र में फैला है, जिसमें 73 इमारतों और 55 अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं सहित 16 कंप्यूटर प्रयोगशालाएं, कई अनुसंधान परियोजनाएं, एक पूरी तरह से सुसज्जित वाई-फाई सुविधाओं से युक्त परिसर और 20 से अधिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग शामिल हैं। बीएसडीयू ने पहले से ही कई उद्योगों के साथ साझेदारी कर रखी है और विश्वविद्यालय अनेक ऐसे संगठनों के साथ जुड़ा हुआ है, जो उसके छात्रों को उद्योग में काम करने का मौका प्रदान करते हैं। उद्योग की कुछ अग्रणी कंपनियां जहां  छात्र प्रशिक्षण का लाभ उठाते हैं, उनमें डायकिन, महिंद्रा, एपेक्स अस्पताल, कैड सेंटर, आर्डेन, सबल भारत, रिगेल, आईसीआईसीआई बैंक, आईडीबीआई बैंक, ल्यूपिन, आईटीसी, पेप्सीको, एलजी, एलएंडटी, नेस्ले और फाइजर शामिल हैं।

बीएसडीयू ने कौशल क्षेत्र में अनेक कंपनियों और शैक्षणिक संस्थानों के साथ 50 से अधिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। स्विस ड्यूअल मॉडल ऑफ स्किल एजुकेशन पर आधारित एक कौशल विकास विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए राजस्थान सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसी तरह इसने फोटोनिक्स ट्रेनिंग एंड रिसर्च सेंटर की स्थापना के लिए राजस्थान सरकार और फोटोनिक इंटरनेशनल पीटीई लिमिटेड, सिंगापुर के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। विश्वविद्यालय ने कौशल विकास, प्रशिक्षण, प्लेसमेंट, अनुसंधान एवं विकास और संबंधित सेवाओं के क्षेत्र में इंस्टीट्यूट ऑफ सस्टेनेबल कम्युनिटीज, यूएसए के साथ और कौशल विकास, परिणाम आधारित प्रशिक्षण, प्लेसमेंट, आरएंडडी और संबंधित सेवाओं के क्षेत्र में राजस्थान टेक्नीकल यूनिवर्सिटी, कोटा और द एम्प्लॉयर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान तथा भारद्वाज फाउंडेशन, जयपुर के साथ सहयोग किया है।


No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad