नई दिल्ली। भारत की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड और बिजली उपकरण बनाने वाली वृहद कंपनी बीएचईएचएल ने एक संयुक्त उद्यम कंपनी बनाने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। यह एमओयू छत्तीसगढ़ के सीपत में कार्यरत एनटीपीसी के पावर प्लांट में 800 मेगावाट के टैक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेशन प्लांट (टीडीपी) की स्थापना से संबंधित है। डिमॉन्स्ट्रेशन प्लांट एडवांस्ड अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल (एयूएससी) तकनीक पर आधारित होगा जो मौजूदा दौर की सुपरक्रिटिकल टैक्नोलॉजी पर परिचालन मापदंडों में एक महत्वपूर्ण सुधार को चिह्नित करता है। एक बार जब यह चालू हो जाएगा, तो यह संयंत्र दुनिया का सबसे कुशल बिजली संयंत्र होगा, जो पारंपरिक सब-क्रिटिकल टैक्नोलॉजी की तुलना में कार्बन-डाय-ऑक्साइड उत्सर्जन में लगभग 20 प्रतिशत की कमी करेगा।
एनटीपीसी लिमिटेड के सीएमडी गुरदीप सिंह और बीएचईएल के सीएमडी डॉ नलिन सिंघल की मौजूदगी में एनटीपीसी लिमिटेड के डायरेक्टर (टेक्नीकल) पी के मोहपात्रा और बीएचईएल के डायरेक्टर (ई, आर एंड डी) कमलेश दास ने इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर एनटीपीसी और बीएचईएल के वरिष्ठ अधिकारी, नीति आयोग, मिशन निदेशालय (एयूएससी) और भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) के अधिकारी भी उपस्थित थे।
फुल स्केल प्लांट टेक्नोलॉजी को लाभदायक सिद्ध करने वाला ये प्रदर्शन देश की अपने जलवायु के प्रति अपनी जिम्मेदारी का प्रमाण होगा, क्यूंकि ऐसे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना एक स्वैच्छिक कदम है। यह पेरिस जलवायु समझौते के हिस्से के रूप में भारत द्वारा प्रतिबद्ध एनडीसी (नेशनली डिटरमाइंड कॉन्ट्रीब्यूशन्स) को पूरा करने का भी समर्थन करेगा। इसके अलावा, बड़ी संख्या में स्पिन-ऑफ प्रौद्योगिकियों के विकसित होने, प्रौद्योगिकीविदों के एक बड़े कैडर के विकास, घरेलू-विकसित प्रौद्योगिकियों में विश्वास पैदा करने आदि के संदर्भ में कई व्यापक लाभ भी होंगे।
पीएसए के कार्यालय के तत्वावधान में 2010 में बीएचईएल, एनटीपीसी और आईजीसीएआर (इंदिरा गांधी सेंटर ऑफ एटॉमिक रिसर्च) के एक संघ का गठन किया गया था, जो एयूएससी तकनीक के विकास पर काम कर रहा है। कंसोर्टियम द्वारा विकसित आरएंडडी प्रौद्योगिकी के प्रदर्शन की योजना भेल और एनटीपीसी द्वारा समग्र प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम के अगले चरण के रूप में बनाई जा रही है।
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