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Wednesday, July 17, 2019

पूँजीपतियों के दबाव में सार्वजनिक साधारण बीमा उद्योग के लिए रक्षक से भक्षक बनी सरकारी नीतियां - संजय बग्गा




जनरल इंश्योरेंस एम्प्लॉइज ऑल इंडिया एशोसिएशन की ओर से नेशनल इंश्योरेंस के अम्बेडकर सर्किल स्थित रीजनल कार्यालय पर किया प्रदर्शन 


जयपुर। "पूँजीपतियों के दबाव में सार्वजनिक साधारण बीमा उद्योग के लिए सरकारी नीतियां रक्षक की बजाय भक्षक बनी हुई हैं। बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश को सरकार प्रोत्साहित कर रही है, जिससे भारत के सार्वजनिक साधारण बीमा उद्योग को बरबादी के कगार पर खड़ा कर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने की ओर सरकार अग्रसर है।" उपरोक्त विचार जनरल इंश्योरेंस एम्प्लॉइज ऑल इंडिया एशोसिएशन के सचिव  संजय बग्गा ने व्यक्त किए। बुधवार को एसोसिएशन की ओर से भोजनावकाश के दौरान  बग्गा के नेतृत्व में नेशनल इंश्योरेंस के अम्बेडकर सर्किल स्थित जयपुर रीजनल कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया, वहीं सरकार की इस विनिवेश नीति, श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी संसोधन, पब्लिक सेक्टर इकाईयों का निजीकरण, ठेकेदारी प्रथा व वेतनमानों व अन्य जायज मांगो पर हो रहे विलंब के खिलाफ साधारण बीमा उद्योग में हजारों कर्मचारियों ने भोजन अवकाश के दौरान देशव्यापी प्रदर्शन किया।  
जनरल इंश्योरेंस एम्प्लॉइज ऑल इंडिया एशोसिएशन के सचिव  संजय बग्गा ने कहा कि वर्ष 2002 में तत्कालीन वितमंत्री  यशवंत सिंहा ने संसद में आश्वासन दिया था कि सार्वजनिक बीमा उद्योग को देशवासियों के हित में मजबूत किया जाएगा, लेकिन पिछले लगभग 17 वर्षों में निजी कंपनियों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सरकारों द्वारा लाभ पहुंचाया गया तथा सार्वजनिक साधारण बीमा उद्योग को मल्होत्रा कमेटी व  सुषमा स्वराज द्वारा निर्देशित संसदीय समितियों की पुरजोर सिफारिश के बावजूद चारों साधारण बीमा कंपनियों  दि न्यू इंडिया एश्योरंस कंपनी, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी एवं नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड का एकीकरण नहीं किया गया। इसके फलस्वरूप आपसी प्रतिस्पर्धा, रेट कटिंग एवं भारी छूट व सामाजिक दायित्वों को निभाते हुए गला काट प्रतिस्पर्धा में संघर्ष करने के लिए सार्वजनिक बीमा कंपनी बाध्य हुई, जिसका लाभ शुद्ध रूप से निजी क्षेत्र को मिला। निजी साधारण बीमा क्षेत्र को सस्ता श्रम उपलब्ध करवाने के लिए  अजित मोहन शरण, संयुक्त सचिव, वित्त मंत्रालय के समय अनावश्यक व शोषणकारी स्थानांतरण नीति थोप दी गई, जिसके फलस्वरूप सैंकड़ों कर्मचारियों को वीआरएस के लिए बाध्य होना पड़ा तथा निजी कंपनियों को सस्ता श्रम उपलब्ध कराया गया। ज्ञात हो कि  अजित मोहन शरण बाद में भर्ष्टाचार के गंभीर आरोपों के लिए लंबे समय के लिए जेल में रहे।  
बग्गा के अनुसार जनरल इंश्योरेंस एंप्लॉईज ऑल इंडिया एशोसिएशन आधुनिक भारत के मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा कहलवाने वाले लाभकारी सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण व विनिवेश की नीति की भर्त्सना करता है तथा बजट घोषणा के उपरांत नए सेबी नियमों के तहत आईपीओ आने पर विनिवेश की सीमा को 25 से 35 प्रतिशत करने का कडा विरोध करता है, जिसका सीधा असर न्यू इंडिया एश्योरंस कंपनी व जीआईसीरी पर पड़ेगा तथा निजीकरण की प्रक्रिया और तेज होगी। भारत सरकार से सार्वजनिक साधारण बीमा उद्योग के एकीकरण करने, व्यापक स्वायतता देने, मजबूती प्रदान करने, नई भर्तियों, जनरल इन्शुरेंस एम्प्लोयीज एसोसिएशन को मान्यता देने तथा लंबित वेतनमानो एवं अन्य लंबित मांगो पर शीघ्र वार्ता करने की पेशकश करता है। जनरल इन्शुरेंस एम्प्लोयीज ऑल इंडिया एशोसिएशन मेडिक्लेम बीमा के तहत केशलेस सुविधा प्रदान करने पर व टीपीए द्वारा संचालित अस्पतालों के ऊपर मजबूत सशक्त रेगुलेटरी अथॉरिटी की मांग करता है,  जिससे संगठित भृष्टाचार व व्यापक अनियमितताओं को रोका जा सके जो कि पाँचसितारा निजी अस्पतालों द्वारा की जा रही है। सार्वजनिक साधारण बीमा उद्योग द्वारा हजारों करोड़ रुपया भारत सरकार को डिवेडेंट स्वरूप दिया गया तथा विपरीत परिस्थितियो में लबभग 50 वर्षों में देश में आई भयानक आपदाओं, भूकंप, बाढ़ व दंगों के दौरान भारी नुकसान की भरपाई इसी उद्योग के बल पर हुई, चाहे 84 के दंगे हो व गुजरात के दंगे, गुजरात का  भूकंप हो व केदारनाथ आपदा । असम, बिहार, चेन्नई व मुंबई की बाढ़ व भयानक सुनामी का दौर हो व कृषि क्षेत्र में भारी बारिश, ओला वृष्टि व तूफानों से होनी वाली फसल की बरबादी के समय यह उधोग अपने कल्याणकारी नीतियों के तहत देशवासियों के दुख में सबसे बड़ा सहयोगी रहा। अत: सरकार द्वारा 50 करोड़ भारतीयों को आयुष्मान भारत स्कीम हो व करोड़ों किसानों को कृषि बीमा का लाभ सुनिश्चित करने के लिए इस सार्वजनिक साधारण बीमा उद्योग का एकीकरण समय की मांग है । निजी साधारण बीमा कंपनियों द्वारा सिर्फ व सिर्फ मुनाफे के क्षेत्र में कार्य करना व सामाजिक दायित्वों जिसके लिए वे बाध्य है, की घोर अनदेखी करने पर उनकी जवाबदेयी तय की जानी चाहिए।   
जनरल इन्शुरेंस एम्प्लोयीज ऑल इंडिया एशोसिएशन की राष्ट्रीयकरण में महत्वपूर्ण भूमिका रही तथा इसके उपरांत साधारण बीमा उद्योग व कर्मचारी हितो के लिए यह संगठन संघर्षरत रहा है तथा यह संघर्ष को व्यापक श्रमिक एकता व जनभागीदारी से निर्णायक संघर्ष में बदलने के लिए प्रतिबद्द है।   

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