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Wednesday, August 14, 2019

मुंबई, चेन्नई और बैंगलोर का लीज़िंग में 60 फीसदी योगदान






2019 के पहले अर्द्ध वर्ष में लॉजिस्टिक लीज़िंग 13 मिलियन वर्गफीट के पार; साल दर साल 31 फीसदी वृद्धि दर्ज की: सीबीआरई
3 पीएल सेक्टर ने 2019 के पहले अर्द्धवर्ष में कुल अवशोषण में 56 फीसदी का योगदान दिया, जो 2018 के दूसरे अर्द्धवर्ष में 31 फीसदी था।
2019 के पहले अर्द्धवर्ष में आपूर्ति 11 मिलियन वर्ग बढ़ी; जिसमें मुंबई, चेन्नई और अहमदाबाद का योगदान प्रमुख रहा
इंडस्ट्रियल एवं लॉजिस्टिक्स सेक्टर में 200 मिलियन डॉलर से अधिक निवेश दर्ज किया गया। 



नई दिल्ली -- अगस्त, 2019ः भारती की अग्रणी रियल एस्टेट कन्सलिटंग फर्म सीबीआरई साउथ एशिया प्रा लिमिटेड ने आज 2019 के पहले अर्द्धवर्ष के लिए ‘इण्डिया इंडस्ट्रियल एण्ड लॉजिस्टिक्स मार्केट व्यू’ के परिणामों का ऐलान किया है। रिपोर्ट के अनुसार देश में लॉजिस्टिक्स लीज़िंग साल दर साल 31 फीसदी की वृद्धि के साथ 13 मिलियन वर्गफीट के आंकड़े को पार कर गई है। मुंबई, चेन्नई और बैंगलोर लीज़िंग गतिवधि में 60 फीसदी से अधिक योगदान देते हैं।
रिपोर्ट पर बात करते हुए अंशुमन मैगज़ीन, चेयरमैन एवं सीईओ- भारत, दक्षिण-पूर्वी एशिया, मध्यपूर्व और अफ्रीका ने कहा, ‘‘हालांकि 2020 तक पूरे सेक्टर के 60 मिलियन वर्गफीट तक पहुंचने का अनुमान है, उम्मीद की जा रही है कि इस आपूर्ति में से कम से कम 22 मिलियन वर्गफीट में अग्रणी खिलाड़ियों का योगदान होेगा। हमें उम्मीद है कि पट्टेदारों के द्वारा समेकन/ विस्तार के चलते लॉजिस्टिक्स लीज़िंग गतिविधि और सशक्त होगी। इसके अलावा हमारे एपीएसी इन्वेस्टर इन्टेशन सर्वे 2019 के अनुसार भारत एपीएसी में पांच प्रमुख निवेश गंतव्यों में से एक था। इंडस्ट्रियल एवं लॉजिस्टिक्स शीर्ष पायदान के सेगमेन्ट्स में से एक है, जो 2019 में निवेशकों के लिए प्राथमिक क्षेत्र रहेंगे।’’
2018 के दूसरे अर्द्धवर्ष की तरह, लॉजिस्टिक्स स्पेस पर छोटे आकार के लेनदेनों (50000 वर्गफीट से कम) का प्रभुत्व रहा, जिसने 2019 के पहले अर्द्धवर्ष में लीज़िंग गतिविधि में लगभग 38 फीसदी का योगदान दिया। वहीं मध्यम आकार के लेनदेनों (50,000 वर्गफीट और 100,000 वर्गफीट के बीच) का योगदान 2018 के दूसरे अर्द्धवर्ष में 26 फीसदी था जो 2019 के पहले अर्द्धवर्ष में बढ़कर 32 फीसदी हो गया। बड़े आकार के लेनदेनों (100000 वर्गफीट से अधिक) ने 2019 के पहले अर्द्धवर्ष में लीज़िंग गतिविधि में 30 फीसदी का योगदान दिया।

जैसमीन सिंह, एक्ज़क्टिव डायरेक्टर, एडवाइज़री एण्ड ट्रांज़ैक्शन सर्विसेज़, सीबीआरई इण्डिया ने कहा, ‘‘यह बेहद रोचक तथ्य है कि 2019 के पहले अर्द्ध वर्ष में लीज़िंग गतिवधि में मांग को बढ़ावा देने वाले कारकों में 3 पीएल (56 फीसदी), इंजीनियरिंग एवं मैनफैक्चरिंग फर्मों(6 फीसदी) का योगदान प्रमुख था। डोमेस्टिक कोरपोरेट्स ने 2018 के पहले अर्द्ध वर्ष में 67 फीसदी की तुलना में मांग में तकरीबन 85 फीसदी का योगदान दिया। हमनें बड़े डेवलपर्स द्वारा लगभग 15 मिलियन वर्गफीट के नए लॉन्च भी दर्ज किए।
2018 के दूसरे अर्द्धवर्ष की तुलना में 2019 के पहले अर्द्धवर्ष में आपूर्ति लगभग 54 फीसदी बढ़ी, इस अवधि में लगभग 11 मिलियन वर्गफीट की परियोजनाएं पूरी की गईं। मुंबई, चेन्नई और अहमादबाद में 65 फीसदी परियोजनाएं पूरी हुईं। इसके अलावा 2019 के पहले अर्द्धवर्ष में अग्रणी खिलाड़ियों ने अपने पोर्टफोलियो के विस्तार पर विशेष रूप से ध्यान दिया।
गुणवत्तापूर्ण विकास कार्यों के प्रति बढ़ते रूझानों के परिणामस्वरूप एनसीआर में एनएच-1 और एनएच-8 में लगभग 5-40 फीसदी रेंटल विकास हुआ; बैंगलोर के पूर्वी और पश्चिमी कॉरीडोर में यह आंकड़ा 3-24 फीसदी; हैदराबाद के पश्चिमी और दक्षिणी कॉरीडोर में लगभग 12-18 फीसदी और चेन्नई के उत्तरी कॉरीडोर एवं पश्चिमी कॉरीडोर प्प् में 5-7 फीसदी तथा अहमदाबाद के नरोल में लगभग 3-6 फीसदी रहा।

दृष्टिकोण
ऑटोमेशन, रीटेल सेक्टर के विकास, आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव और बढ़ते निवेश के कारण भारत में लॉजिस्टिक सेक्टर अप्रत्याशित संरचनात्मक बदलावों के दौर से गुज़र रहा है। उम्मीद की जा रही है कि हाल ही में हुए नीतिगत सुधारों एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर पहलों के चलते कारोबारों के लिए अनुकूल माहौल बनेगा और भारत आगामी तिमाहियों में लॉजिस्टिक्स उद्योग के लिए सबसे आकर्षक निवेश गंतव्यों में शामिल हो जाएगा।
तकनीक के विकास के साथ सेक्टर में गुणवत्तापूर्ण स्पेस की मांग बढ़ रही है तथा विभिन्न सेगमेन्ट्स के कोरपोरेट्स बड़े, आधुनिक वेयरहाउसेज़ को प्राथमिकता दे रहे हैं। तकनीकी उन्नतियों, खासतौर पर ऑटोमेशन के चलते लॉजिस्टिक्स सम्पत्तियों में निविर्देशनों में सुधार होता रहेगा, जिससे पुरानी और निम्न श्रेणी की सम्पत्तियों की मांग सबसे कम हो जाएगी। इसके अलावा हमें उम्मीद है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के द्वारा अपनी सुविधाओं के संचालन के परिणामस्वरूप अनुकूल सुविधाओं का विस्तार होगा और बाज़ार में ‘प्योर’ लीज़िंग को बढ़ावा मिलेगा।
उम्मीद के मुताबिक एनसीआर, मुंबई, बैंगलोर जैसे शहर आपूर्ति श्रंृखला पर अपना प्रभुत्व बनाए रखेंगे, एनसीआर और मुंबई में वेयरहाउस का औसत आकार तकरीबन 1 मिलियन वर्गफीट होगा। अन्य शहरों जैसे चेन्नई, हैदराबाद और पुणे में भी आपूर्ति बढ़ने का अनुमान है, किंतु विकास का अनुमानित आकार 0.3-0.5 मिलियन वर्गफीट की श्रेणी में रहेगा। गुणवत्तापूर्ण स्पेस की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए घरेलू कंपनियां विदेशी खिलाड़ियों केे साथ साझेदारी (संयुक्त उद्यम, विलेय) जारी रखेंगी, ताकि सेक्टर में मौजूद अवसरों से लाभान्वित हो सकें।
सीबीआरई के अनुमान के मुताबिक 2019 के दूसरे अर्द्धवर्ष के लिए आपूर्ति-विवश लोकेशनों में रेंटल विकास की उम्मीद है, जहां श्रम की उपलब्धता और ज़मीन की कमी के चलते नए लॉजिस्टिक्स केन्द्र उभर रहे हैं।  आने वाले महीनों में मुख्य लोकेशनों जैसे एनसीआर में एनएच-8, मुंबई में भिवंडी; चेन्नई में पश्चिमी और उत्तरी कॉरीडोर; हैदराबाद में उत्तरी कॉरीडोर और कोलकाता में एनएच-2 एवं एनएच-6 में रेंटल विकास की संभावना है। 

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