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Saturday, August 31, 2019

एफओजीएसआई ने किया “आरोग्य महिला” का आयोजन





नई दिल्ली, अगस्त: एफओजीएसआई की मेजबानी में हाल ही में भारत में महिलाओं के स्वास्थ्य और सशक्तीकरण पर दो दिवसीय शिखर सम्मेलन संपन्न हुआ। ग्लोबल हेल्थ स्ट्रैटेजीज और एबॅट इंडिया के सहयोग से  28 और 29 अगस्त को नई दिल्ली स्थित हयात रिजेंसी में आरोग्य महिला समिट का आयोजन किया गया। इस शिखर सम्मेलन का शुभारंभ श्री डॉ. हर्षवर्धन,  स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री;  अश्विनी चौबे, माननीय राज्य मंत्री (एमओएस), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण; डॉ. नंदिता पलशेतकर, एफओजीएसआई की अध्यक्ष और डॉ. मीना अग्निहोत्री व डॉ. हृषिकेश पई, संयुक्त समिट संयोजकों ने दीप प्रज्वलित कर किया।

 डॉ. हर्षवर्धन ने महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर कदम उठाने में एफओजीएसआई के साथ सरकार के पिछले और वर्तमान में जारी सहयोग के बारे में विस्तार से बात की। उन्होंने कहा, "जनता की सेवा के लिए एफओजीएसआई का जुनून और महिलाओं के स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए उसके सेवा कार्यों की निरंतरता बेजोड़ है। एफओजीएसआई और स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच वैचारिक मंथन और कार्रवाई बैठक के माध्यम से हम मातृ और 5 साल से कम के शिशुओं की असामयिक मृत्यु खत्म करने, एनीमिया और परिवार नियोजन जैसे कई मुद्दों पर मिलकर कदम उठा सकते हैं। हम नई पहलें शुरू करने की योजना बना रहे हैं और सभी के लिए स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए हम आपके सहयोग और समर्थन की आशा करते हैं।”

इस शिखर सम्मेलन में निजी क्षेत्र, एसोसिएशंस, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, नीति आयोग और जेएचपीआईईजीओ जैसे गैर-सरकारी संगठन व यूएसएड, डब्ल्यूएचओ, यूनीसेफ, एमएसडी फॉर मदर्स जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन कई अलग-अलग तरह के मुद्दों पर चर्चा के लिए जुटे थे। उनके बीच परिवार नियोजन, प्रजनन अधिकार, मातृत्व और बाल स्वास्थ्य, गैर-संचारी रोग, कानून की विविध पृष्ठभूमि, गुणवत्तापूर्ण देखभाल और अनुसंधान आदि जैसे विषयों पर चर्चा हुई।

मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने एफओजीएसआई से आकांक्षी जिलों का जिम्मा लेने, उच्च जन्मदर वाले जिलों में परिवार नियोजन को बढ़ावा देने, मातृ और नवजात शिशु स्वास्थ्य पर आईईसी की सहायता जैसी राष्ट्रीय पहलों से जुड़ने और सहयोग करने का आग्रह किया। अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने साक्ष्य निर्माण, हिमायत और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की क्षमता बेहतर बनाने के लिए मिलकर काम करने की इच्छा व्यक्त की।

कई चर्चाएं चिकित्सा शिक्षा और महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए विभिन्न राष्ट्रीय नीतियों और सरकार की पहलों के इर्दगिर्द केंद्रित रहीं। एफओजीएसआई अध्यक्ष के तौर पर डॉ. नंदिता पलशेतकर ने एफओजीएसआई के विजन और राष्ट्र के लिए संगठन की प्रतिबद्धताओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। एफओजीएसआई के एजेंडे की एक अहम चीज, महिलाओं के प्रजनन अधिकारों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “लैंगिक असमानता का वजूद कायम होने का मतलब है कि एक महिला का अभी भी अपने खुद के शरीर और स्वास्थ्य पर नियंत्रण नहीं है। यह वह जगह है जहां महिलाओं को अपने शरीर के बारे में निर्णय लेने के लिए विकल्प, स्वतंत्रता और स्वायत्तता के जरिए सशक्त बनाने में हिमायत और शिक्षा की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। महिलाओं के प्रजनन अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए गैर-आक्रामक, गैर-न्यायिक सेवाओं की पेशकश में एफओजीएसआई जैसे संगठन बहुत योगदान दे सकते हैं। इन सबसे ऊपर, हमें उन महिलाओं की अधूरी जरूरतों को उजागर करने की जरूरत है, जिनके पास गर्भनिरोधक और सुरक्षित गर्भपात तक पहुंच नहीं है। यह कमी हर साल मातृ और नवजात मृत्यु में अहम भूमिका निभाती है। हर 5 में से 1 महिला की ये जरूरतें पूरी नहीं हो रही हैं। इस मुद्दे के निपटारे के लिए यह बहुत जरूरी है कि हम महिलाओं के प्रजनन अधिकार उपलब्ध कराते हुए और उन्हें संरक्षित करते हुए अंतिम सिरे तक पहुंचें।"

एफओजीएसआई भारत में और वैश्विक स्तर पर प्रसूति और स्त्रीरोग विशेषज्ञों का सबसे बड़ा संस्थान है। यह इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ गायनेकोलॉजी एंड ऑब्स्टेट्रिक्स (एफआईजीओ) का हिस्सा है। एफओजीएसआई का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य और मिशन तमाम महिलाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण देखभाल सुनिश्चित करना और देश भर में महिलाओं के कल्याण तथा सशक्तीकरण की दिशा में काम करना है। शिखर सम्मेलन ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी के महत्व पर प्रकाश डाला और यह भी रेखांकित किया कि अपनी पहुंच को व्यापक बनाने और प्रभाव का विस्तार करने के लिए एफओजीएसआई किस तरह बहुत सारी पहलों को लेकर सरकार और अन्य हितधारकों के साथ सहयोग कर सकता है।

शिखर सम्मेलन के महत्व के बारे में इसके संयोजक डॉ. हृषिकेश पई ने कहा, “महिलाओं का स्वास्थ्य एक संक्रमणकालीन दौर से गुजर रहा है, जहां गैर-संचारी रोगों का बोझ बढ़ रहा है, गर्भनिरोधक की जरूरतें अभी भी पूरी नहीं हो पाती हैं और गुणवत्तापूर्ण देखभाल की सुलभता में असमानताएं हैं। बीते बरसों के दौरान स्वास्थ्य सेवा में सार्वजनिक-निजी-भागीदारी को राष्ट्रीय स्तर पर काफी चर्चा मिली है। एफओजीएसआई सरकार के सार्वजनिक स्वास्थ्य लक्ष्यों में सहयोग कर रहा है, ताकि जनसामान्य के स्तर पर प्रभाव पड़े। सरकार और निजी क्षेत्र के बीच सहयोगात्मक समाधान सभी महिलाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण किफायती देखभाल का लक्ष्य हासिल करने में मददगार हो सकता है। आरोग्य महिला जैसे मंच सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच ज्ञान, विचारों और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में सहायता करते हैं, ताकि दोनों पक्ष महिलाओं की स्वास्थ्यगत चुनौतियों को लेकर एक साथ कदम उठाने में असरदार साझेदारी का निर्माण कर सकें।”

इस अवसर पर एबॅट इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अंबाती वेणु ने महिला स्वास्थ्य में निजी क्षेत्र की भागीदारी की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, "महिलाएं अपने परिवार की सेहत बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती हैं, परंतु अक्सर अपने ही स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती की उपेक्षा कर बैठती हैं। स्त्रीरोग संबंधी दशाओं, हार्मोनल विकारों, प्रजनन स्वास्थ्य, गर्भावस्था, रजोनिवृत्ति, हृदय और धमनियों के रोग और मधुमेह जैसे विविध पहलुओं से जुड़ी विशिष्ट आवश्यकताओं को देखते हुए महिला-स्वास्थ्य को एक केंद्रित और विशेषीकृत दृष्टिकोण की आवश्‍यकता होती है। जागरूकता, दिक्कत का पता लगाने, उपचार और प्रबंधन के क्षेत्र में इन जरूरतों की दिशा में समग्र रूप से कदम उठाते हुए स्वास्थ्य देखभाल कंपनियां ऐसी कुछ समस्याओं के समाधान तलाशने में महत्वपूर्ण रूप से मददगार होती हैं। एबॅट महिलाओं को कहीं अधिक सेहतमंद और बेहतर जीवन जीने में मदद करने और उनके स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्ध है। कई वर्षों से, हमारा पोर्टफोलियो प्रभावित महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से इनोवेटिव और असरदार दवाओं की पेशकश कर रहा है।”

प्रजनन अधिकारों से रहस्य का आवरण हटाने से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा हुई, जो कि महिला-स्वास्थ्य के सबसे विवादास्पद क्षेत्रों में से एक है। ग्लोबल हेल्थ स्ट्रैटेजीज की कार्यकारी उपाध्यक्ष अंजलि नैयर ने कहा, “शिक्षा, लैंगिक सशक्तीकरण और सामाजिक-आर्थिक विकास प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य तथा अधिकारों से निकटता से जुड़े हुए हैं। जब स्त्रियों और बालिकाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, प्रजनन संबंधी जानकारी, गर्भनिरोधक विकल्प और सुलभ सेवाएं दी जाती हैं, तो वे जिम्मेदारी भरे निर्णय लेती हैं - जिसके नतीजतन समुदाय अधिक स्वस्थ और समृद्ध होते हैं।”

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