पेशाब की समस्याएं: आज पीड़ादायक, कल खतरनाक
जयपुर, अगस्त, 2019: प्रोस्टेट की बीमारियां बढ़ती उम्र में आम हो जाती हैं और मृत्यु का कारण बनती हैं। ज्यादातर लोग प्रोस्टेट की समस्या को वर्तमान परिस्थितियों से जोड़ते हैं, कुछ उम्र, मौसम परिवर्तन, यात्रा संबंधी तनाव, अलग-अलग जगह के पानी आदि को दोष देते हैं। लेकिन शिथिल जीवनशैली के कारण उम्र वाली बात की महत्वपूर्णता कम हो गई है। प्रोस्टेट के बढऩे से 'लोअर यूरिनरी ट्रैक्टÓ के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, जिससे जीवन की गुणवत्ता कम हो जाती है। बिनाईन प्रोस्टेटिक हाईपरप्लासिया (बीपीएच) यानि एक समयावधि में होने वाली माईक्रोस्कोपिक एक्सेसिव वृद्धि के चलते ग्लांड इतनी बड़ी हो जाती है, जो नग्न आंखों से दिखाई देने लगती है। यह 30 साल से पहले शुरू होता है और 40 साल तक पहुंचते पहुंचते 8 प्रतिशत पुरुष, 60 साल तक पहुंचते पहुंचते 50 प्रतिशत एवं 90 साल तक पहुंचते पहुंचते 90 प्रतिशत पुरुष माईक्रोस्कोपिक बीपीएच वाले हो जाते हैं। 50 साल या उससे ज्यादा उम्र के पुरुषों में बीपीएच रेंज प्रयुक्त परिभाषा के आधार पर 14 प्रतिशत से 30 प्रतिशत होती है। भारत में बीपीएच का प्रसार 40 से 49 साल के बीच 25 प्रतिशत; 50 से 59 साल के बीच 37 प्रतिशत; 60 साल से 69 साल के बीच 37 प्रतिशत और 70 साल से 79 साल के बीच 50 प्रतिशत है। हर 5 भारतीय पुरुषों में से लगभग 2 में बीपीएच के कारण लोअर यूरिनरी ट्रैक्ट के खराब लक्षण मौजूद हैं। हालांकि अधिकांश लोग डॉक्टर के पास जाकर इसका इलाज नहीं कराते और इसे बढ़ती उम्र, मौसम, यात्रा संबंधी तनाव, पानी में बदलाव आदि से जोड़ते हैं। वो तब तक इस बीमारी के साथ रहते हैं, जब तक यह गंभीर नहीं हो जाती और समस्याएं पैदा नहीं करती।
उम्र के साथ प्रोस्टेट की वृद्धि की दो मुख्य अवधियां होती हैं। पहली अवधि तरुणावस्था में होती है, जब प्रोस्टेट आकार में दोगुनी हो जाती है। दूसरी वृद्धि 25 वर्ष की आयु में शुरू होती है और पुरुष के पूरे जीवनकाल में चलती है। बीपीएच अक्सर वृद्धि के दूसरे चरण में होता है। बीपीएच वाले मरीज आम तौर पर रात में बार बार पेशाब, पेशाब करने में परेशानी, पूरी पेशाब न कर पाने की शिकायत करते हैं। प्रोस्टेट के बढऩे से 'लोअर यूरिनरी ट्रैक्टÓ के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, जिससे जीवन की गुणवत्ता खराब हो जाती है। इन लक्षणों के कारण मरीज पानी एवं अन्य तरल चीजें लेना कम कर देता है और उसका ध्यान लगातार पेशाब पर केंद्रित रहता है। उदाहरण के लिए वो जहां कहीं भी जाता है, वह सबसे पहले टॉयलेट देखता है, बाहर लंबी दूरी तक यात्रा करने से पहले पेशाब कर लेता है, जैसे बस में यात्रा के दौरान लंबे समय तक पेशाब करने की सुविधा न होने के कारण वह पहले ही पेशाब कर लेता है। इस तरह के समझौते करने के कारण मरीज की जीवन की गुणवत्ता खराब हो जाती है।
यह ध्यान देना भी जरूरी है कि प्रोस्टेट का आकार आपके लक्षणों की गंभीरता का निर्धारण नहीं करता। थोड़ी बड़ी प्रोस्टेट वाले कुछ पुरुषों के लक्षण काफी गंभीर हो सकते हैं, जबकि ज्यादा बड़ी प्रोस्टेट वाले पुरुषों को बहुत छोटे यूरिनरी लक्षण हो सकते हैं। यदि इनका इलाज न किया जाए, तो यूरिनरी समस्याओं के कारण पेशाब की नली बंद हो सकती है और प्रोस्टेट की सेहत को प्रभावित कर सकती है। इसलिए इस मामले में शर्म न करते हुए अपने डॉक्टर से परामर्श लेना बहुत जरूरी है। आपका डॉक्टर आपकी उम्र, स्वास्थ्य और यह स्थिति आपको किस प्रकार प्रभावित करती है, इसके आधार पर आपको सर्वश्रेष्ठ केयर चुनने में मदद कर सकता है। साथ ही यह समझना भी जरूरी है कि बीपीएच के लक्षण अन्य जानलेवा बीमारियों, जैसे प्रोस्टेट कैंसर द्वारा निर्मित लक्षणों के समान होते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आप समस्या की गंभीरता के बारे में जानने के लिए अपने डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।
इस बारे में डॉ. के के शर्मा, पूर्व विभागाध्यक्ष, एसएमएस अस्पताल, जयपुर ने कहा, ''यह घर, ऑफिस और घर के आसपास के इलाकों के इर्द गिर्द घूमता है। वीकडे के दौरान घर-ऑफिस के बीच आवागमन के अलावा अन्य स्थानों की ओर कम गतिविधि देखी जाती है। वीकेंड घर या फिर घर के आसपास के इलाकों तक सीमित हैं। यद्यपि ऐसे लोग खुद बताते नहीं, लेकिन उनके व्यवहार से स्पष्ट होता है कि वो बहुत ज्यादा दूर नहीं जाते और सदैव बाथरूम के आसपास रहते हैं। जो लोग इस समस्या का इलाज नहीं करा रहे, उनके लिए यह बात पूरी तरह सच है। जो लोग इसका इलाज करा रहे हैं, उनके लिए भी यह बात सच है, लेकिन वो जरूरत पडऩे पर अपनी सीमाओं से बाहर ज्यादा स्वतंत्रता व विश्वास के साथ जाते हैं।
बीपीएच का निदान शारीरिक, रेडियोग्राफिक जाँच एवं कुछ लैब टेस्ट द्वारा किया जाता है। शारीरिक परीक्षण में डीआरई (डिजिटल रेक्टल परीक्षण) शामिल है, जिसमें यूरोलॉजिस्ट प्रोस्टेट का शारीरिक परीक्षण करता है। एब्डॉमिनल एवं पेल्विक अल्ट्रासाउंड प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार प्रदर्शित करते हैं। लैब टेस्ट में पीएसए (प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजन) शामिल हैं। पीएसए एक प्रोटीन है, जो केवल प्रोस्टेट द्वारा बनता है। जब प्रोस्टेट स्वस्थ होता है, तब खून में बहुत कम पीएसए पाया जाता है।
डॉ. राजीव माथुर, पूर्व विभागाध्यक्ष, एसएमएस अस्पताल, वर्तमान विभागाध्यक्ष, निम्स मेडिकल कालेज, जयपुर के अनुसार, ''ऊँची दर के बावजूद मरीजों को इस बीमारी की जानकारी नहीं होती क्योंकि वो इसे बढ़ती उम्र का हिस्सा मानते हैं, जिसे मरीज पर केंद्रित जागरुकता अभियान द्वारा ठीक किया जा सकता है। बीपीएच का निदान विविध विधियों के मिश्रण द्वारा होता है, जिसमें मरीज का इतिहास, आईपीएसएस स्कोरकार्ड, अल्ट्रासाउंड एवं पीएसए टेस्ट शामिल हैं।
डॉ. माथुर ने आगे कहा, ''जब अचानक और जल्दी जल्दी जरूरत पडऩे के कारण वॉशरूम जाने की सुख्या में वृद्धि हुई, तो अधिकांश लोगों को अहसास हुआ कि कोई समस्या अवश्य है। अधिकांश मामलों में इसी तरह शुरुआत हुई, जो प्रथम लक्षण कहे जा सकते हैं।
बीपीएच के मैनेजमेंट में सबसे आम टैमुसुलोसिन, अल्फा ब्लॉकर्स जैसी दवाईयों के द्वारा लक्षणों का ठीक किया जाना शामिल है। बीपीएच के लक्षणों की माप आईपीएसएस (इंटरनेशनल प्रोस्टेट सिंपटम स्कोर) द्वारा की जाती है। यदि लक्षण अनियंत्रित होते हैं, तो मिश्रित इलाज किया जाता है। यदि दवाई देने के बाद भी लक्षण अनियंत्रित रहते हैं, तो सर्जरी द्वारा प्रोस्टेटिक टिश्यू को निकालना अंतिम विकल्प होता है। चूंकि अल्फा ब्लॉकर्स क्रोनिक इलाज हैं, इसलिए कोमॉर्बिड मरीजों, सैक्सुअली एक्टिव मरीजों और आम जनता के लिए अल्फा ब्लॉकर्स में अलग मॉलिक्यूल्स होते हैं। बीपीएच के लक्षणों को तब तक नजरंदाज किया जाता है, जब तक वो गंभीर नहीं हो जाते। ऐसा नहीं होना चाहिए।
प्रोस्टेट हैल्थ माह सितंबर में मनाया जाता है। यह पुरुषों के स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ाने का अभियान है। आसानी से उपलब्ध प्रोस्टेट स्वास्थ्य प्रदान करने पर केंद्रित 'वॉटआरीलीफÓ एक डिजिटल एस्सेट है, जो मरीजों की जागरुकता एवं शिक्षा के लिए निर्मित किया गया है।
लक्षण:
- बार बार पेशाब की इच्छा होना।
- पेशाब के बाद भी यह महसूस होना कि ब्लैडर भरा हुआ है।
- यह महसूस होना कि पेशाब के लिए इंतजार नहीं किया जा सकता।
- पेशाब का कम बहाव।
- पेशाब का टपकते हुए होना।
- पेशाब कई बार रुक रुक कर करना।
- पेशाब शुरू होने में परेशानी।
- पेशाब करने के लिए दबाव या जोर लगाना।
- कम से कम 1 या 2 को निम्नलिखित सहायक बीमारियां हो सकती हैं:
- डायबिटीज़
- क हाईपरटेंशन
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