मुंबईi भारतीय निर्यात-आयात बैंक (एक्ज़िम बैंक) ने भारत सरकार की ओर से मंगोलिया सरकार को 236 मिलियन यूएस डॉलर की अतिरिक्त ऋण-व्यवस्था प्रदान की। यह ऋण-व्यवस्था पेट्रोकेमिकल रिफाइनरी परियोजना के लिए प्रदान की गई है। इस संबंध में उलानबातर, मंगोलिया में बुधवार, 09 अक्टूबर, 2019 को ऋण-व्यवस्था करार पर हस्ताक्षर किए गए। एक्ज़िम बैंक के महाप्रबंधक सरोज खुंटिया तथा मंगोलिया के वित्त मंत्री छिमेद खुरेलबातर द्वारा इस करार पर हस्ताक्षर किए गए और करार का आदान-प्रदान किया गया। इस अवसर पर भारत के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, मंगोलिया में भारत के राजदूत मोहिन्दर प्रताप सिंह और भारत में मंगोलिया के राजदूत गैनबोल्ड गोंचिंग विशेष रूप से उपस्थित रहे।
यह मंगोलिया की पहली क्रूड ऑयल रिफाइनरी है और उम्मीद जताई जा रही है कि यह परियोजना मंगोलिया में पेट्रोरसायन उद्योग की आधारशिला होगी। मंगोलिया के दक्षिणी दोर्नोगोवी प्रांत में लगाई जा रही इस रिफाइनरी की क्षमता प्रति वर्ष 1.5 एमएमटीपीए कच्चे तेल के प्रसंस्करण की होगी और इसके चालू होने के बाद मंगोलिया का तेल आयात उल्लेखनीय रूप से कम होने की उम्मीद है। वर्तमान में मंगोलिया के कुल आयातों का 25-30 प्रतिशत तक आयात बिल तेल का ही होता है। इस महत्त्वपूर्ण परियोजना से मंगोलिया में ऊर्जा आत्मनिर्भरता के दौर की शुरुआत होने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके अलावा, इसका एक लाभ यह भी होगा कि इसके चलते वहां नए आर्थिक अवसर सृजित होंगे। साथ ही रोजगार सृजन और सामाजिक-आर्थिक तानाबाना मजबूत होने की भी उम्मीद है। यह परियोजना भारत के प्रौद्योगिकीय कौशल को भी प्रदर्शित करेगी।
इस एलओसी करार पर हस्ताक्षर के साथ एक्ज़िम बैंक द्वारा भारत सरकार की ओर से मंगोलिया सरकार को अब तक 1.256 बिलियन यूएस डॉलर की कुल तीन ऋण-व्यवस्थाएं प्रदान की जा चुकी हैं। ये ऋण-व्यवस्थाएं मंगोलिया सरकार को सूचना प्रौद्योगिकी परियोजनाओं और पेट्रोकेमिकल रिफाइनरी परियोजना के वित्तपोषण के लिए प्रदान की गई हैं।
एक्ज़िम बैंक द्वारा अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका तथा सीआईएस क्षेत्र के 63 देशों को 25.20 बिलियन यूएस डॉलर की ऋण-प्रतिबद्धता के साथ कुल 256 ऋण-व्यवस्थाएं प्रदान की जा चुकी हैं। यह राशि भारत द्वारा निर्यातों के वित्तपोषण के लिए उपलब्ध है। एक्ज़िम बैंक की ऋण-व्यवस्थाएं भारतीय निर्यातों को बढ़ावा देने के साथ-साथ उभरते बाजारों में भारत की विशेषज्ञता और परियोजना निष्पादन क्षमताओं को भी प्रदर्शित करती हैं।
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