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Saturday, October 19, 2019

गोदरेज लॉक्स ‘हर घर सुरक्षित 2018 रिपोर्ट



Godrej Locks : 66% residents in western region of India not prepared for home safety threats says Godrej Locks 'Har Ghar Surakshit Report'


लॉक्स ‘हर घर सुरक्षित 2018 रिपोर्ट’ से पता चलता है कि पश्चिम भारत में रहने वाले 66 प्रतिशत लोग घर की सुरक्षा सम्बंधित खतरों से निपटने के लिए सुसज्जित नहीं हैं 


मुंबई, पश्चिम भारत में 66 प्रतिशत लोग घर की सुरक्षा से जुड़े खतरों से निपटने के लिए तैयार नहीं है। फिर चाहे खतरा सेंधमारी का हो या चोरी, डकैती का। यह बात सामने आई है, गोदरेज लॉक्स की ‘हर घर सुरक्षित 2018 रिपोर्ट: इंडियाज सेफ्टी पैराडॉक्स- होम सेफ्टी वर्सेस डिजिटल सेफ्टी’ में। इस अध्ययन को रिसर्च नाउ द्वारा किया गया है। पश्चिमी भारत के शहरों में लोग घर की सुरक्षा करने वाली टेक्‍नोलॉजी को लेकर अधिक जागरूक नजर आते हैं, जबकि पूर्वी और उत्तरी क्षेत्र इस मामले में पीछे दिखाई पड़ते हैं। हालांकि, पश्चिम भारत की 67 प्रतिशत जनसंख्या अब भी अपने घरों के लिये हाई टेक्‍नोलॉजी वाले सुरक्षा समाधानों में अपग्रेड करने के लिए तैयार नहीं है। 


पश्चिम भारत के 91 प्रतिशत लोग डिजिटल तालों जैसी होम सेफ्‍टी टेक्‍नोलॉजी को अधिक सुरक्षित मानते हैं, लेकिन अपने घरों के लिये उसे अपनाने की जरूरत उन्हें महसूस नहीं हुई। 67 प्रतिशत लोगों को पारंपरिक तालों का इस्‍तेमाल करना आसान नहीं लगता है। फिर भी उन्हें अपने घरों के लिये डिजिटल ताले अपनाने की जरूरत महसूस नहीं हुई। इसके प्रमुख कारणों में से एक यह है कि वे अपने घर की सुरक्षा के प्रति कम चिंतित हैं और इसलिये वे घर की सुरक्षा के उन्‍नत समाधानों में निवेश नहीं कर रहे हैं।


पश्चिम भारत सुरक्षा, सुविधा और उत्पादनशीलता के लिये अन्य प्रौद्योगिकी को तत्परता से अपना लेता है। उदाहरण के लिये, 21 प्रतिशत लोग अपने कंप्यूटर पासवर्ड को और 21 प्रतिशत लोग बैंकिंग पिन को प्रत्येक 2-5 महीने में बदल लेते हैं। 55 प्रतिशत लोग स्मार्टफोन में फिंगरप्रिंट सेंसर का उपयोग करते हैं। पश्चिमी क्षेत्र के लोगों द्वारा मुख्य रूप से उपयोग किये जाने वाले सुरक्षा विकल्प फिंगरप्रिंट और पिन हैं, जोकि गृह सुरक्षा समाधानों में भी उपलब्ध हैं, लेकिन वे अपने घरों के लिये ऐसी टेक्‍नोलॉजी अपनाने में पीछे हैं। डिजिटल सुरक्षा पर अत्‍यधिक जागरूकता के बावजूद पश्चिमी क्षेत्र में रहने वाले 59 प्रतिशत लोग साइबर सुरक्षा से सम्बंधित खतरों से निपटने में भी सक्षम नहीं हैं। 

गोदरेज लॉक्स की हर घर सुरक्षित रिपोर्ट और इसमें प्राप्‍त आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए, श्याम मोटवानी, एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट एवं बिजनेस हेड,गोदरेज लॉक्‍स एंड आर्किटेक्‍चरल फिटिंग्‍स एंड सिस्‍टम्‍स का कहना है  ‘’बतौर एक ब्रांड यह सुरक्षा और विश्वास का पर्याय है, गोदरेज लॉक्स का उद्देश्‍य लोगों को घर की सुरक्षा के महत्व के बारे में जागरुक बनाना है। हर घर सुरक्षित रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय घरों में 

सुरक्षित महसूस करते हैं लेकिन घर की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए तैयार नहीं हैं। इस डिजिटल युग में घर की सुरक्षा प्राथमिकता नहीं हैं। हम चाहते हैं कि लोग घर की सुरक्षा के मुद्दे को उसी तरह प्राथमिकता दें जैसे वो अपनी डिजिटल संपदाओं को देते हैं। इसी दृष्टिकोण के साथ, #HarGharSurakshit कैम्पेन शहरी और ग्रामीण भारत में घर की सुरक्षा बढ़ाने के इस अच्‍छे काम को बढ़ावा देगा।’’ 

हर घर सुरक्षित 2018 रिपोर्टगोदरेज लॉक्स के राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान #HarGharSurakshit के तहत जारी की गई है। इस अभियान का लक्ष्‍य भारतीय घरों में होम सेफ्‍टी को बढ़ावा देना है। यह रिपोर्ट कहती है कि 64 प्रतिशत भारतीयों के पास ऐसे उपकरण नहीं हैं जिनसे वो घर की सुरक्षा के खतरों से निपट सकें। आश्चर्यजनक रूप से भारत में होने वाली चोरियों में 70 प्रतिशत चोरियां घरों में होती हैं जबकि केवल 30 प्रतिशत मामलों में ही डिजिटल लूट होती है। यह इस बात पर जोर देता है कि राष्‍ट्रीय स्‍तर पर, घर की सुरक्षा के लिए भी उतनी ही मुस्तैदी की आवश्यकता है जितनी की डिजिटल सुरक्षा को दी जाती है। घरों के लिए करीब 67 प्रतिशत लोग उच्च तकनीकी सुरक्षा का रुख नहीं करना चाहते हैं। अगर पश्चिम भारत की बात करें तो घर की सुरक्षा पर अधिक ध्यान दिए जाने की जरूरत है क्योंकि आधी से अधिक आबादी घर की सुरक्षा को होने वाले खतरों से निपटने के लिए तैयार नहीं है। यह रिपोर्ट, पूरे भारत के लोगों की अपने घरों और डिजिटल सुरक्षा के प्रति उनके रोचक व्यवहार को प्रस्तुत करती है।  

भारत के घरों में सुरक्षित रखने के लिए बहुत सारे दस्तावेज, पैसे, गहने और अन्य महंगे सामान होते हैं. इसके बावजूद भारतीय सुरक्षा के प्राथमिक तत्वों को भी बेहतर करने के प्रति गंभीर नहीं हैं। उदाहरण के तौर पर कहें तो केवल 40 प्रतिशत भारतीय ही हर दो से तीन साल में अपने घर का ताला बदलते हैं जबकि 20 प्रतिशत लोगों ने कभी भी अपने घर का ताला नहीं बदला। 

विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर जानकारी के माध्‍यम से डिजिटल जोखिमों के नियमित अपडेट मिलने से भारतीय सक्रिय होकर अपनी डिजिटल सुरक्षा को एन्‍हैंस करते हैं। उन्हें पासवर्ड बदलने या अगले एडवांस्ड वर्जन में अपने डिजिटल सुरक्षा स्तर को अपग्रेड करने के लिये रिमाइंडर्स भी प्राप्‍त होते हैं। इसी प्रकार, लोग अपने घर की सुरक्षा को भी और बेहतर बनाना चाहेंगे, यदि उन्हें जागरूक बनाया जाए और ऐसी जानकारी दी जाए, जो घर की सुरक्षा के प्रति उनकी सोच को बदले। #HarGharSurakshit कैम्पेन के माध्यम से गोदरेज लॉक्स जागरूकता के इस अंतर को दूर करना चाहता है। #HarGharSurakshit के लिये कंपनी ने अगले 3 वर्षों में 100 करोड़ रुपये के निवेश का संकल्प लिया है और यह भारत में विभिन्न मंचों के माध्‍यम से अनेक पहलों को भी लेकर आयेगा। 


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