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Friday, October 4, 2019

टोयोटा किर्लोस्कर मोटर ने निर्माण प्रक्रिया में प्लास्टिक के उपयोग को पूरी तरह खत्म करने की तैयारी की



Toyota kirloskar


बैंगलोर। एक दशक के दौरान प्लास्टिक से प्रदूषण दुनिया भर की समस्या बन गई है। कूड़े के प्रबंध के लिहाज से इसका प्रभाव गंभीर मुद्दा है और पूरी दुनिया इसका सामना कर रही है। यह संसाधनों की उपलब्धता और हमारी पारिस्थितिकी पर प्रभाव दोनों परिप्रेक्ष्य में है।  अपशिष्ट प्रबंध पर विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 तक उम्मीद की जाती है कि दुनिया भर में हर साल 3.40 अरब टन कूड़ा तैयार होगा और आज के 2.01 बिलियन टन के मुकाबले बहुत ज्यादा होगा। पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र के बारे में अनुमान है कि पूरे कूड़े का करीब एक चौथाई (23%) यहीं निकलेगा और दक्षिण एशिया अपना कूड़ा दूने से ज्यादा कर लेगा।

एक जिम्मेदार कॉरपोरेट होने के नाते टोयोटा ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे की हढ़ती जटिलताओं का अनुमान लगाया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टोयोटा एनवायरमेंट चैलेंज 2050” की घोषणा की। यह अपने किस्म की अकेली दीर्घ अवधि की पहल है जिसका लक्ष्य कार्बन डायऑक्साइड का उत्सर्जन कम करना और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ना है। 2050 तक छह सुपारिभाषित चुनौतियों को पूरा करने के भाग के रूप में टोयोटा ने अपने ऊपर यह जिम्मेदारी ली है कि समाज और सिस्टम को रीसाइकिलिंग आधारित बना दिया जाए। यह टोयोटा अर्थ चार्टर के इसके दर्शन से प्रेरित है। यह उत्पादन की ऐसी गतिविधियों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है जो कूड़ा न पैदा करे।

अपनी गतिविधियों का तालमेल टोयोटा एनवायरमेंट चैलेंज 2050 से बैठाते हुए टीकेएम ने कर्नाटक के बिडाडी स्थित अपनी परिचालन इकाई में एक मजबूत कूड़ा प्रबंध प्रणाली की व्यवस्था की है। टोयोटा अर्थचार्टर से हासिल इसकी पांच साल की कार्य योजना भी जगह पर है। इसमें खतरनाक कूड़ा निकलने में कमी और लैंडफिल के लिए शून्य बर्बादी की स्थिति हासिल करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें कटौती का लक्ष्य दिया जाता है। इन प्रयासों से टीक्यूएमसुनिश्चित कर रहा है कि सीधे लैंडफिल वाला कूड़ा शून्य हो और निर्माण परिचालन केदौरान निकलने वाले कूड़े में से आज की तारीख तक 96 प्रतिशत को रीसाइकिल करने की योग्यता हासिल कर चुका है।

टीकेएम द्वारा की गई पहल के बारे में बताते हुए टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के प्रबंध निदेशक मसाकाजू योशीमुरा ने कहादुनिया भर में चल रहे टोयोटा एनवायरमेंट चैलेंज 2050 का माहौल के क्रम में और एक बार उपयोग किए जाने वाले प्लास्टिक की खपत को सीमित करने के माननीय प्रधानमंत्री के देशव्यापी अभियान से तालमेल में हमलोगों ने सक्रियता से कई पहल लागू की है और इस तरह अपने स्टेक धारकों को एक कदम आगे रहने की है कि ताकि चीजों को दोबारा उपयोग कपना कम किया जाए, उन्हें दुबारा उपयोग किया जाए। यह बेहतर कल की दिशा में एक कदम है।

उन्होंने आगो जोड़ा, “पर्यावरण के प्रति जागरूकता टोयोटा के इकोसिस्टम में खुदा हुआ है। ठीक हमारी आपूर्ति श्रृंखला से लेकर हमारा प्रबंधन और कर्मचारी और जमीन पर काम करने वाले लाभार्थी यह सुनिश्चित करने में लगे हैं कि एक स्थायी प्रभाव हो। इस पहल के जरिए हम एक स्थायी कूड़ा प्रबंध प्रणाली बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं ताकि एक बार उपयोग किए जाने वाले प्लास्टिक के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सके।

परियोजना के भाग के रूप में टीकेएम ने भी सघन अध्ययन किया ताकि कूड़े को न्यूनतम करने के लिए विकल्प तलाशे जा सकें और ऐसी चीजों का उपयोग किया जाए कि कूड़ा बायोडीग्रेडेबल हो और किसी तरह का नुकसान नहीं करने वाला हो तथा पर्यावरण के अनुकूल तरीके से नष्ट हो जाए।इस अध्ययन में कंपोस्टिंग के भिन्न तकनीक की जांच की गई और टीम ने वर्मीकंपोस्टिंग का चुनाव किया। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें भिन्न किस्म के कीटों का उपयोग करके कंपोस्ट किया जाता है। इनमें आमतौर पर लाल रेंगने वाला कीड़ा शामिल है जो डीकंपोस्ट होने वाले कीड़े का विषम मिश्रण तैयार करता है। नतीजतन, इस तकनीक के उपयोग से प्लांट में जो मीट्रिक टन बायो स्लज तैयार हुआ है उसमें से मीट्रिक टन को खाद बना लिया गया। इससे मिट्टी में डाल कर दबाने के खर्च की बचत हुई और यह 28.8 लाख रुपए प्रति वर्ष तक है। इससे हर साल कार्बन डायऑक्साइड का उत्सर्जन भी प्रति वर्ष 18 टन कम हुआ।

प्लास्टिक के कूड़े से संबंधित मामलों और उसके विस्तार तथा सर्कुलर इकनोमी स्थापित करने के अंतरराष्ट्रीय अभियान को समझते हुए टीकेएम ने 2018 में प्लास्टिक कूड़ा कम करने के अपने प्रयासों को गति दी और कंपनीव्यापी एक अभियान शुरू किया जिसे 5आर कहा जाता है।  कैजेन्स (निरंतर सुधार) की पहचान के लिए सुपारिभाषित रणनीति के साथ टीकेएम ने कटौती की गतिविधियों को बढ़ावा दिया। इससे अपने कर्मचारियों को जोड़ा। 5आर पहल के भाग के रूप में शुरू की गई विभिन्न गतिविधियों से जून 2018 से लेकर जून 2019 के बीच प्लास्टिक का उपयोग 45 प्रतिशत कम हुआ।


वाहन उद्योग एक गतिशील क्रांति से गुजर रहा है और ऐसे में आने वाले दशक के लिए एंड ऑफ लाइफ व्हेकिल मैनेजमेंट सबसे बड़ी चुनौतियों में एक साबित हो रहा है। टीकेएम ने गाड़ियों को नष्ट करने वाले मौजूदा बाजारों का विस्तृत अध्ययन किया और इससे यही अहसास हुआ कि मौजूदा अनौपचारिक क्षेत्र पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा हो सकता है। एक कार में 800 से ज्यादा पुर्जे होते हैं और अगर इन्हें अवैज्ञानिक तरीक से नष्ट किया जाए तो ये पर्यावरण के लिए खतरनाक हो सकते हैं। इस मुद्दे के मद्देनजर टोयोटा मोटर कॉरपोरेशन ने एक प्रोग्राम तैयार किया जिसे 100 डिसमैन्टलर प्रोजेक्ट कहा जाता है। इसके तहत टोयोटा दुनिया भर में डिसमैन्टलिंग की 100 मॉडल इकाइयों की स्थापना करेगी और इसके तहत एंड ऑफ लाइफ वाहनों की मटेरीयल रीसाइकिलिंग को बढ़ावा दिया जाएगा।

हमेशा बेहतर कारें बनाने के साथ-साथ टोयोटा हरित कल के प्रति भी कटिबद्ध है। और भविष्य के समाज को प्रकृति के साथ तालमेल में रखना चाहता है। चैलेंज 2050 से निर्देशित टीकेएम ने बिडाडी के अपने परिसर में एक "इको जोन"का भी विकास किया है। यह बाहर के माहौल में सीखने का केंद्र है इसे खासतौर से इस तरह डिजाइन किया गया है कि स्टेकधारकों को अनुभवनात्मक ज्ञान मुहैया कराया जा सके। इस परियोजना के तहत टीकेएम का लक्ष्य "बच्चों को प्रकृति" से जोड़नाकक्षा की पढ़ाई के आगे पर्यावरण से संबंधित जागरूकता को बढ़ावा देना और उनमें एक ऐसे व्यवहार का विकास करना जो पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करे। अभी तक 52 स्कूलों और कॉलेजों के 1900 से ज्यादा बच्चे इकोजोन में इस प्रशिक्षण के भाग रहे हैं। 

इसके अलावाइकोजोन में वैल्यू थीम पार्क भी हैं। इसे स्टेकधारकों को अपशिष्ट प्रबंध, अपशिष्ट से प्रभावी मूल्य संरचना के लिए समाधान और शून्य अपशिष्ट वाला समाज बनाने के तरीकों के प्रति शिक्षित करने के लिए समर्पित किया गया है। थीम पार्क समाज और उद्योग में अपशिष्ट प्रबंध के मुख्य मुद्दों पर रोशनी डालता है और एक मंच मुहैया कराता है जहां समाधान तलाशने के लिए चर्चा की शुरुआत की जा सके।

साल के मुकाबले साल के हिसाब से पर्यावरणीय प्रदर्शन में निरंतर सुधार करके टीकेएम पारिस्थितिकी के प्रति अपनी कटिबद्धता सबित कर चुका है। यह अपनी भिन्न इको पहल को जारी रखेगा ताकि एक स्थायी, साफ और हरित कल बनाने के लिए लोगों के रुथ में आवश्यक और सकारात्मक बदलाव लाया जा सके। 

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