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Wednesday, November 20, 2019

ट्राइबल हैल्थ कॉलेबरेटिव स्थापित करने के लिए पीरामल फाउंडेशन और गेट्स फाउंडेशन ने की साझेदारी




 Piramal Foundation and Gates Foundation Partner to Setup a tribal health collaborative for India

मुंबई।  पीरामल फाउंडेशन ने  ट्राइबल हैल्थ कॉलेबरेटिव की स्थापना करने का एलान किया है। बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन इस कॉलेबरेटिव में उनके पहले साझेदार होंगे। कई सम्बद्ध पक्षों वाले इस कॉलेबरेटिव के जरिए भारत के अत्यधिक दबाव वाले और आदिवासी जिलों में स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति सुधारने के लिए काम किया जाएगा। इनमें आशान्वित जिले भी शामिल होंगे और इसका उददेश्य है कि भारत सरकार द्वारा 2030 तक पूरे किए जाने वाले सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल-3 (एसडीजी 3)  को हासिल करने में सहयोग प्रदान किया जाए। एसडीजी-3 में सभी के लिए स्वस्थ और बेहतर जीवन पर फोकस किया गया है।
ट्राइबल हैल्थ कॉलेबरेटिव भारत सरकार के साथ मिल कर काम करेगा और सभी के लिए स्वास्थ्य सेवाएं (यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज) उपलब्ध कराने में भारत सरकार के प्रयासों को सहयोग प्रदान करेगा। इसके तहत समाज के सीमांत वर्गों, विशेषकर आदिवासियों की जरूरतों को ध्यान रखते हुए उच्च प्रदर्शन करने वाली संवहनीय स्वास्थ्य सेवाएं विकसित की जाएंगी। इसके तहत विभिन्न जिलों की 150 मिलियन से ज्यादा की जनसंख्या को कवर किया जाएगा। इनमें केंद्रीय, पूर्व और उत्तर पूर्व भारत के आशान्वित जिले भी शामिल होंगे।
पीरामल फाउंडेषन के फाउंडर अजय पीरामल ने कहा, “हम 2030 तक एसडीजी-3 के लक्ष्य हासिल करने के विजन को पूरा करने में सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। समाज के सीमाांत वर्गों के जीवन को तेजी से बदलने के लिए जिस तरह से प्रयास बढ़ाए गए हैं, इससे बहुत बडे़ वर्ग पर प्रभाव पडे़गा। पीरामल फाउंडेशन भात के कई राज्यों में उन आदिवासियों के बीच काम कर रहा है, जिन्हें अभी तक कोई सुविधाएं नंहीं मिल पाई हैं, इनमें 25 आशान्वित जिले भी शामिल हैं। इस समस्या की जटिलता और विशालता को देखते हुए अपने जैसे मूल्य आधारित संगठन जैसे बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ काम करने का काफी लाभ होगा, क्योंकि यह संगठन भी सरकार के प्रयासों में सहयोग करना चाहता है। हमारा प्रस्तावित कॉलेबरेटिव सरकार, संगठनों और मानवसेवियों के प्रयासों को समाज की जरूरत के साथ जोडने का प्रयास करेगा। इसके लिए भारत में स्वास्थ्य सेवाओं का लोकतंत्रीकरण करने से संबंधित फ्रेमवर्क भी तैयार किया जाएगा।“
बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के को-चेयर बिल गेटस का कहना है कि “भारत ने अपने सबसे जरूरतमंद समुदाय के लिए स्वास्थ्य और पोषण की व्यवस्था पर फोकस किया है। यह भारत और विश्व द्वारा एसडीजी-3 के लक्ष्य प्राप्त करने के लिए बहुत जरूरी है। हम दुनिया के सबसे गरीब लोगों के स्वास्थ्य और पोषण तथा बेहतर जीवन के लिए यहां की सरकार का सहयोग जारी रखना चाहेंगे।“
भारत की आदिवासी जनता के स्वास्थ्य सूचकांक देश की सामान्य जनता के मुकाबले बहुत कमजोर हैं। भारत में एक लाख जन्म पर 130 मौतों की मातृ मृत्यु दर है, जबकि यहीं पर आदिवासी समुदाय में एक लाख जन्म पर 230 की मातृ मृत्यु दर है। इसी तरह अन्य सूचकांक जैसे शिशु मृत्यु दर, शिशु कुपोषण दर, और मलेरिया तथा टयूबरक्लोसिस की बीमारियां आदिवासियों में काफी ज्यादा देखने में आती है।
यह कॉलेबरेटिव दो आधारों पर काम करेगाः
सरकार के साथ मिल कर काम किया जाएगा और आदिवासी समुदायों के लिए किए जाने वाले नवाचारों की डिजाइनिंग व इन्हे लागू करने में सहयोग दिया जाएगा। इसके जरिए निम्न चार प्रमुख काम किए जाएंगे।
- सरकार के सभी स्तरों पर सहयोग करते हुए जनस्वास्थ्य के प्रमुख कार्यो को लागू करने में सहयोग प्रदान किया जाए।
- जिला प्रशासन के साथ निकट सहयोग के साथ काम करते हुए सभी जिलों में जानकारी और समझ का विकास तथा इसकी पहुंच को सुगम बनाना।
- बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जिलास्तर पर मिलने वाले कोष का अधिकतम उपयोग किया जाना
- बेहतर गवर्नेंस और उत्तरदायित्व के लिए तथा लाभार्थियों को समर्पित स्वास्थ्य तकनीक प्लेटफार्म विकसित करने में तकनीक का उपयोग किया जाना। इससे उचित दामों पर सभी के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं मिलना सुनिश्चित हो सकेगा।
बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन और पीरामल फाउंडेशन की साझेदारी में यह कॉलेबरेटिव 2020 की शुरूआत में काम करना शुरू कर देगा। इससे जुड़ने वाले अन्य साझेदारों की घोषणा जल्द ही की जाएगी।

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