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Saturday, November 23, 2019

मार्केट में काम करता है 80-20 का नियम




UTI AMC | Authored Article of Ajay Tyagi




जो कहता
है कि 80 फीसदी लाभ 20 फीसदी शेयरों से आएगा 
- अजय त्यागी - यूटीआई एमएफ
एक पोर्टफोलियो का निर्माण करते समय जो सबसे महत्वपूर्ण बात देखी जाती है, वो है ग्रोथ यानी विकास,  लेकिन इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है- क्वालिटी। और बात जब गुणवत्ता की हो, तो यह देखा जाता है कि कारोबार के जरिये पूंजी का प्रवाह मजबूती के साथ हो और जो पूंजी लगाई गई है, उसके माध्यम से उच्च रिटर्न हासिल होता रहे। समय के साथ कारोबार मजबूत नकदी जनरेट करते हैं और साथ में रिटर्न ऑन केपिटल एम्प्लॉयड - आरओसीई है, जो उच्च और स्थायी आर्थिक मूल्य भी उत्पन्न करता है। कारोबार अगर विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है, तो यह हमारे लिए बेहद फायदेमंद है, क्योंकि तब न केवल क्वालिटी होती है, बल्कि उनकी कमाई भी उच्च दर पर होती है। लेकिन इस संदर्भ में वृद्धि या गुणवत्ता का मूल्यांकन छह महीने या एक वर्ष के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इसे पूर्ण आर्थिक चक्र के रूप में देखा जाना चाहिए।
मौजूदा दौर एक बहुत ही अविवेकपूर्ण तेजी से एकदम उलट है, जिसे हमने 2013 से 2018 की शुरुआत तक देखा था, जिसमें सभी प्रकार के खराब-गुणवत्ता वाले शेयरों को भी मुनाफा कमाते देखा गया था। अब हम सामान्य स्थिति में लौट रहे हैं। लेकिन हां, अब ध्रुवीकरण का असर दिख रहा है, क्योंकि सूचकांक में तीन सबसे अधिक वजन वाले शेयरों का प्रदर्शन अच्छा रहा है और बेंचमार्क पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। हालांकि हमेशा की तरह लंबे समय में यही होता रहा है कि - 90 प्रतिशत कंपनियां औंधे मुंह गिर गई हैं और अन्य 10 प्रतिशत कंपनियां भारी संपत्ति बनाने में कामयाब रही हैं।
उन लोगों के लिए जो एक आम आदमी के दृष्टिकोण को पसंद करेंगे और तकनीकी पहलुओं में ज्यादा गहराई तक नहीं जाना चाहते, वे देख सकते हैं कि एचडीएफसी बैंक बीस साल पहले कितना महंगा था और अब कितना महंगा है, और इसके शेयर ने कितना पैसा कमाया है। यही तर्क कोटक बैंक या नेस्ले इंडिया पर भी लागू होगा, जिनके बारे में माना जाता है कि ये बहुत महंगे शेयर हैं। यदि वे और गहराई में जाएंगे, तो वे पाएंगे कि इन शेयरों ने उच्च शुरुआती वैल्यूएशन से भारी संपत्ति उत्पन्न की है।
इसके अलावा, उन शेयरों को देखें जो दस या बीस साल पहले सस्ते थे, और वे पाएंगे कि उनमें से कई डिलीवर नहीं कर पाए थे। इस स्थिति से यह सवाल उपजता है - क्या रिटर्न का मतलब केवल सस्ते खरीदना और उच्च कीमतों पर बेचना ही है, या क्या वे किसी अन्य कारोबारी विशेषता को दर्शाते हैं? धन सृजन से सबसे बड़ा फर्क यही पड़ता है कि इससे कोई भी कारोबार आर्थिक मूल्य उत्पन्न करने की क्षमता हासिल कर लेता है। यदि ऐसे स्टॉक सस्ते हैं, तो आप भाग्यशाली हैं और आप जबरदस्त रिटर्न हासिल करने में कामयाब रहेंगे। लेकिन अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तब भी यह ठीक है, क्यांेकि आप बहुत अच्छा रिटर्न तो कमाएँगे ही।
आधारभूत रूप से देखा जाए, तो मूल्यांकन आरओसीई/आरओई और विकास दर का ही एक कार्य है। आरओसीई का उच्च होना, पीई के सस्ते होने की तुलना में अधिक होना महत्वपूर्ण है। आरओसीई वास्तव में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह तय करता है कि पूंजी के प्रत्येक रुपये के लिए कंपनी कितना मुनाफा कमाती है।

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