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Wednesday, December 25, 2019

डिस्कवरी चैनल का 'इंडिया 2050' उजागर करेगा अनियंत्रित रूप से बिगड़ते पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के खतरे



Discovery channel

मुंबई,   हाल में ही आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन से होने वाले खतरे के मामले में भारत दुनिया का पांचवां सबसे संवेदनशील देश है। ये आंकड़े हमें जरा भी नहीं चौकाते हैं क्योंकि दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 22 शहर भारत में ही मौजूद हैं।
क्या होगा यदि भारत पर्यावरण के विनाश के रास्ते पर इसी तरह आगे बढ़ता रहा? ऐसी स्थिति में भविष्य में भारत के ये संपन्न शहर कैसे होंगे? डिस्कवरी चैनल 'इंडिया 2050' के साथ ऐसे ही एक भविष्य की झलक दिखा रहा है, जो इस मामले में तत्काल कदम नहीं उठाने पर सामने आएगा। 'इंडिया 2050' एक विचारोत्तेजक डॉक्यूमेंट्री है, जिसका प्रीमियर 29 दिसंबर 2019 को रात 9 बजे होने जा रहा है।
इस डॉक्यूमेंट्री की शुरुआत जयपुर से होती है, जिसे भारत का गुलाबी शहर भी कहा जाता है, और 2050 की कल्पना के अनुसार यह शहर पूरी तरह रेत के ढेर में दफन हो चुका है। इसके बाद यह डॉक्यूमेंट्री भारत के दिल्ली, चेन्नई, मुंबई और कोलकाता जैसे आज के समृद्ध शहरों के भविष्य में झांकता है, जिसमें दर्शकों को इन मेट्रो शहरों के भयानक भविष्य की झलक दिखाई जाएगी।
इस शो के महत्व को उजागर करते हुए डिस्कवरी चैनल, साउथ एशिया के फैक्चुअल एंड लाइफस्टाइल एंटरटेनमेंट के कॉन्टेंट डायरेक्टर, साईं अभिषेक कहते हैं, "इंडिया 2050 उस स्थिति पर रोशनी डालता है, जिसमें दिखाया गया है कि यदि हम नहीं बदलेंगे तो आगे इसके क्या परिणाम हो सकते हैं। यह एक चेतावनी है जो सभी से आह्वान करती है कि समय रहते कदम उठाने के लिए हमें अपनी सामूहिक नींद से जागना होगा।"
हमारी पर्यावरण प्रणाली को उद्योगों से होने वाले नुकसान पर रोशनी डालते हुए 'ग्रेट डीरेंजमेंट' के लेखक अमितव घोष इस शो में बताते हैं, "इस स्थिति में अहम भूमिका निभाने के लिए हम कंपनियों और व्यापार संघों को किसी भी तरह से दोषमुक्त नहीं ठहरा सकते, क्योंकि अब हम जानते हैं कि पर्यावरण को नकारने के लिए बड़े पैमाने पर व्यवस्थागत और वित्तीय रूप से पोषित मशीनरी सक्रिय रही हैं। इसमें वाकई पैसों की खास भूमिका थी, जिसने लंबे समय तक जलवायु की दिशा में किसी भी तरह के सकारात्मक कदम को रोके रखा था।" दूसरी ओर पर्यावरणविद और जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञ चंद्र भूषण चेतावनी देते हुए कहते हैं, "हम अपने बच्चों के लिए एक ऐसी दुनिया छोड़ जाएंगे, जो आज से कहीं ज्यादा कठोर रहने वाली है।"
भविष्य के इस भयानक पक्ष को प्रस्तुत करते हुए इस फिल्म में एक और गंभीर त्रासदी भी उजागर की गई है, जिसका सामना संभवत: पूरी मानवता को करना पड़ेगा। यह त्रासदी है पर्यावरण संबंधी देशांतर और जलवायु से जुड़े शरणार्थियों की, जिसके प्रभाव हम 2019 में पहले ही सुंदरबन के कुछ इलाकों और भारत के पूर्वी तट पर झेल रहे हैं। शो में आगे विशेषज्ञों ने इसे भविष्य में दुनिया के हर देश की एकमात्र आकस्मिक त्रासदी बताया, क्योंकि समुद्र का स्तर लगातार बढ़ता रहेगा और ग्लेशियर भी पिघलते रहेंगे जिससे मानव जीवन में अप्रत्याशित और अपूरणीय बदलाव आएंगे।
इस मामले में तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत पर जोर देते हुए सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की डायरेक्टर सुनीता नारायण कहती हैं, "अब हमारे पास कुछ भी वक्त नहीं बचा है। अगस्त 2019 में सिर्फ 12 दिनों में भारत में अतिवृष्टि और भारी बारिश की एक हजार से ज्यादा घटनाएं हुईं! अब आपको जलवायु परिवर्तन के भयानक दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं और यह अब वाकई हो रहे हैं।" वे आगे बताती हैं, "हमें लगता है कि हम जैसे लोग सुरक्षित हैं, और हमारे इसी अहंकार ने ही यह सारी समस्या पैदा की है... क्योंकि हम ये मानते हैं कि हमें कुछ भी प्रभावित नहीं कर सकता! हम हर स्थिति से उबर जाएंगे - हम एक और एयर कंडीशनर लगा लेंगे, भले ही बाहर की गर्मी बढ़ती रहे। यदि पानी नहीं होगा, तो हम बोतलबंद पानी खरीद लेंगे। लेकिन हमें उस दम तोड़ती नदी की चिंता नहीं है क्योंकि हमें अपने नलों में अब भी साफ पानी मिल रहा है।" वो कहती हैं कि इंसानों की उदासीनता ही इस बात की एक प्रमुख वजह रही है कि क्यों हम लोग जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए एक मानव प्रजाति के रूप में साथ नहीं आ सके।

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