नाइट्रा, स्लोवाकिया, दिसंबर, 2019 – वर्ष 1955 के ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज के सुदूर पूर्वी अभियान को पलटते हुए द लास्ट ओवरलैंड टीम ने सिंगापुर से लंदन तक की अपनी यात्रा को जारी रखते हुए नाइट्रा, स्लोवाकिया में जगुआर लैंड रोवर की विनिर्माण इकाई का भी दौरा किया।
वहां, टीम को नवीनतम लैंड रोवर, न्यू डिफेंडर से मिलने का मौका मिला, जो अपने से पहले के "ऑक्सफ़ोर्ड" सीरीज-1 लैंड रोवर के साथ आमने-सामने था I नाइट्रा में टीम का स्वागत करने के लिए स्लोवाकिया के प्रधान मंत्री पीटर पेलेग्रिनी, जगुआर लैंड रोवर के कार्यकारी निदेशक, विनिर्माण, ग्रांट मैकफर्सन के साथ मौजूद थे।
टीम को नाइट्रा में अत्याधुनिक सुविधाओं को देखने का अवसर दिया गया, जहां उन्होंने नवनिर्मित न्यू डिफेंडर को देखा। इस अभियान का नेतृत्व करने वाले एलेक्स बेस्कोबी ने टिप्पणी की, “हमने हमेशा अपने अभियान के एक चरण के रूप में नाइट्रा की यात्रा करने और न्यू डिफेंडर को निर्मित होते देखने की उम्मीद की थी। हमें नाइट्रा में जगुआर लैंड रोवर टीम की तरफ से शानदार स्वागत मिला। यह लंदन की ओर हमारी घर वापसी की एक खास शुरुआत थी।
लैंड रोवर 14 दिसंबर को यूनाइटेड किंगडम पहुंचने से पहले पश्चिमी यूरोप यानी ऑस्ट्रिया, जर्मनी, फ्रांस और बेल्जियम से होते हुए यात्रा करने वाली टीम के साथ लास्ट ओवरलैंड का समर्थन करना जारी रखेगा।
लैंड रोवर के मालिकों का एक जमावड़ा फोकेस्टोन, यूके में लास्ट ओवरलैंड टीम का स्वागत करने के लिए पूरे ग्रेट ब्रिटेन और यूरोप से एकत्र होगा। इसके बाद, लंदन में हिल्टन पार्क लेन में यात्रा की समाप्ति से थोड़ा पहले टीम को खासतौर पर मौजूद न्यू डिफेंडर का साथ मिलेगा। यह 1956 के पहले ओवरलैंड अभियान की समाप्ति रेखा से कुछ दूरी पर है।
एलेक्स अपनी यादों को ताजा करते हुए कहते हैं, "यह यात्रा वाकई काफी रोमांचक थी। तमाम उतार-चढ़ावों से भरपूर। मैं भरोसा नहीं कर सकता कि इस यात्रा की योजना बनाने में लगे अठारह महीने, कितनी जल्दी अब तक हमें सही-सलामत यहां तक ले आए हैं । हम एक बार फिर इस 64-वर्षीय अविश्वसनीय कार को दुनिया की सुदूर और आकर्षक जगहों पर ले जाने में कामयाब रहे। हमने इसे उष्णकटिबंधीय मानसून, माइनस बीस डिग्री की कड़ाके की ठंड और समुद्र तल से 5000 मीटर ऊपर तक ले गए। लेकिन ऑक्सफोर्ड ने छलांग मारते हुए ये दूरियां तय कर लीं। नगालैंड से तिब्बत और तुर्कमेनिस्तान से सर्बिया तक, हमें जो स्वागत मिला है, वह वाकई अविश्वसनीय है। ”
दि लास्ट ओवरलैंड अभियान: ताकत और धैर्य की एक परीक्षा
किसी भी प्रमुख अभियान की तरह, खासकर कि जिसमें कोई एक ऐसी पुरानी कार में इतनी सारी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को पार कर रहा हो, द लास्ट ओवरलैंड के साथ समस्याएं आना लाजिमी था। ऐसी ही एक यांत्रिक दुर्घटना काफी यादगार रही, जिसमें ऑक्सफोर्ड का पिछला पहिया तब निकल गया, जब एलेक्स और नैट तुर्कमेनिस्तान में 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चला रहे थे। इसमें गाड़ी का ब्रेक पूरी तरह से अलग हो गया।
जो इंसान यात्रा में शामिल थे, उनके लिए भी यह अभियान किसी परीक्षा से कम नहीं था। ब्रिटेन, फ्रांस, यूएसए, बेल्जियम, इंडोनेशिया और सिंगापुर से आठ टीमों को अलग-अलग चुनौतियों का सामना करना था। इसमें ऊंचाईयां, तापमान और विभिन्न तरह के भोजन ने उनके शरीर पर जो असर डाला, वह सब कुछ शामिल था। यात्रा के विभिन्न बिंदुओं पर कभी किसी को फूड प्वॉइजनिंग की समस्या से, कभी जमा देने वाले तापमान से और कभी खतरनाक ऊंचाईयों पर ऑक्सीजन की वैकल्पिक व्यवस्था से जूझना पड़ा।
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