नासिक, महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड (एमएंडएम लिमिटेड), जो 20.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर वाले महिंद्रा समूह का एक अंग है, ने नासिक स्थित निर्माण संयंत्र से 25-लाखवां तैयार किया। यह कंपनी के लिए एक असाधारण उपलब्धि है। महिंद्रा पावर ब्रांड स्कॉर्पियो, संयंत्र से बनकर निकलने वाली 25-लाखवीं गाड़ी थी।
इस ऐतिहासिक अवसर पर बोलते हुए, महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के विनिर्माण, मोटर वाहन डिवीजन प्रमुख, विजय कालरा ने कहा, “यह उपलब्धि हमारे मोटर वाहन यात्रा में हमारे लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है और प्रत्येक सदस्य द्वारा किए गए अथक प्रयास की गवाही देता है। नासिक स्थित निर्माण संयंत्र ने लगातार विनिर्माण उत्कृष्टता हासिल की है और यह उत्कृष्टता हासिल करने हेतु किसी हद तक जाने के हमारे राइज फिलॉसफी के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मुझे यकीन है कि यह मील का पत्थर हमारे आने वाले समय में हमारे नासिक संयंत्र के लिए कई और प्रशंसाओं के लिए एक कदम होगा।”
महिंद्रा का नासिक विनिर्माण संयंत्र 1981 में शुरू हुआ। यह कुल 147 एकड़ में फैला है और इसकी उत्पादन क्षमता 210,000 थी। अपने पहले वाहन - एफजे मिनीबस के निर्माण के साथ, इस संयंत्र ने प्रति दिन 8 वाहनों का निर्माण शुरू किया। आज, प्रतिदिन 700 से अधिक वाहन असेंबली लाइन से निर्मित होते हैं और ये वाहन दुनिया के 34 से अधिक विभिन्न देशों तक पहुंच चुके हैं। यह प्लांट वर्तमान में स्कॉर्पियो, मैराज्ज़ो, एक्सयूवी 300, बोलेरो, ई-वेरिटो, एम्बुलेंस, स्कॉर्पियो एससी/डीसी और महिंद्रा उत्पादों की थार रेंज बनाती है।
नासिक संयंत्र को आईएमईए से कई पुरस्कार व सम्मान भी हासिल हो चुके हैंः ’फ्यूचर रेडी फैक्ट्री’ अवार्ड, टीपीएमः ’कंसिस्टेंसी’ अवार्ड, एमपीसीबीः ’वसुंधरा’ अवार्ड (मुख्यमंत्री से अवार्ड), स्वस्थ कार्य स्थलः मैन्युफैक्चरिंग एक्सीलेंस के लिए प्लेटिनम लेवल और जेईपीएम द्वारा ’उत्कृष्टता पुरस्कार। महिंद्रा ने भारत सरकार की मेक-इन-इंडिया पहल के प्रति अत्यधिक प्रतिबद्धता दिखाई है।
महिंद्रा नासिक मुख्य रूप से एड्स जागरूकता और पुनर्वास, ग्रामीण एथलीटों के विकास, थैलेसीमिया के रोगियों के ओनरशिप सहित रक्त दान, मेगा ट्री प्लांटेशन सहित अन्य पहल के माध्यम से समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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