गिफ्ट सिटी में बुलियन एक्सचेंज की स्थापना सराहनीय
सरकार ने एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए 1 करोड़ से 5 करोड़ तक के ऑडिट के लिए चालान, कार्यशील पूंजी और बैंकों और एनबीएफसी द्वारा ऋण देने का प्रस्ताव रखा है।
भारत सरकार द्वारा बुलियन व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए गिफ्ट सिटी में बुलियन एक्सचेंज की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया है।
मुंबई, वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2020-21 के अपने केंद्रीय बजट में एक पहल की शुरुआत की है, जिससे देश में पूरे रत्न और आभूषण उद्योगजगत में उत्साह का माहौल है। सरकार ने प्लैटिनम पर आयात शुल्क 12.5 प्रतिशत से घटाकर अब 7.5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा। साथ ही, गिप्ट सिटी में एक बुलियन एक्सचेंज स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है, जो अंतरराष्ट्रीय बुलियन ट्रेडिंग को आकर्षित करने के लिए एक सराहनीय कदम है।
रत्न तथा आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के अध्यक्ष, श्री प्रमोद कुमार अग्रवाल ने कहा कि “हम वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तावित क्रेंद्रीय बजट का स्वागत करते हैं। सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों से न केवल घरेलु मांग को बढ़ावा देगा बल्कि अर्थव्यवस्था के सर्वागीण विकास में भी लाभदायक साबित होगा। हमें इस बात का पूरा भरोसा है कि सरकार, भारतीय अर्थव्यव्सथा को 5 ट्रिलियन यूएसडी तक ले जाने के प्रति कटिबद्ध है। ”
“गिफ्ट सिटी में बुलियन एक्सचेंज की स्थापना का प्रस्ताव सराहनीय है, यह भारत में अंतराष्ट्रीय बुलियन ट्रेडिंग को आकर्षित करेगा। इतना ही नहीं यह भविष्य में भारत में पूर्ण रूप से बुलियन एक्सचेंज की स्थापना में भी सहायक साबित होगा।”
श्री अग्रवाल ने आगे कहा कि “ हम यह भी समझ सकते हैं कि सरकार, गोल्ड बुलियन सेक्टर को एक समान आयात शुल्क के तहत लाकर, गोल्ड के सिक्के पर 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत तक आयात शुल्क कर दिया है। हमने सरकार के समक्ष अपनी मांग रखी थी कि बुलियन पर आय़ात शुल्क को 12.5 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत कर दी जाए।”
बजट के महत्वपूर्ण पक्ष पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रमोद कुमार अग्रवाल ने कहा कि “बैंकों और NBFC द्वारा इनवॉइस फाइनेंसिंग, वर्किंग कैपिटल और डेट फाइनेंसिंग जैसी पहल, 1 करोड़ से 5 करोड़ तक ऑडिट के लिए सीमा बढ़ाकर जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर की मौजूदा मांगों के लिए लाभकारी साबित होगी और इस क्षेत्र को और गतियमान बनाने में लाभकारी होगा। उद्योग का यह भी मानना है कि NIRVIK योजना के परिणामस्वरूप रत्न और आभूषण क्षेत्र में निर्यात क्रेडिट संवितरण में वृद्धि होगी। इन पहलों के साथ, सरकार 2025 तक भारत को वैश्विक रत्न और आभूषण केंद्र बनाने के पथ पर अग्रसर है।”
लाभांश वितरण कर को हटाना एक संवर्धानात्मक कदम है। उन्होंने कहा कि विभिन्न आय स्लैबों पर आयकर में कमी से आम लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाएगा।
रफ कलर्ड स्टोन, सेमी प्रीसियस स्टोन, प्री – फॉर्मस ऑफ प्रीसियस औऱ सेमी – प्रीसियस जेमस्टोन पर बढ़े आयात शुल्क पर अग्रवाल ने कहा कि ‘रफ जेम स्टोन का प्राथमिक स्तर पर आयात किया जाता है और कटिंग और पॉलिशिंग वर्क के बाद, अंतराष्ट्रीय बाजार में निर्यात किया जाता है। इन जेम स्टोन की घरेलू मांग काफी कम है औऱ भारत चीन तथा थाईलैंड के साथ इस क्षेत्र में निर्यात प्रतिस्पर्धी है। इन जेम स्टोन पर आयात शुक्ल में बढ़ोत्तरी से, कलर्ड जेम स्टोन के हब राजस्थान से निर्यात पर असर पड़ेगा, जो लगभग 1.5 लाख कर्मचारियों को रोजगार के अवसर प्रदान करता है। हम भारत से रत्न निर्यात के हित में सरकार से अनुरोध करते हैं कि रफ कलर्ड जेमस्टोन पर प्रस्तावित आयात शुल्क को वापस लें। "
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