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Friday, March 6, 2020

भारत के क्रेडिट मार्केट में ऋण की समझ और महिलाओं की भागीदारी में तीव्र वृद्धि



Women Consumers are more credit-conscious and credit active than their male counterparts

मुंबई,  ट्रांसयूनियन सिबिल के नवीनतम अध्ययन से पता चला है कि भारतीय ऋण क्षेत्र में भारतीय महिला उपभोक्ताओं की सहभागिता व हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है। 30 मिलियन महिला उधारकर्ताओं ने ऋण उत्पादों का लाभ उठाया है।’  सितंबर-19 में कुल उधारकर्ताओं में महिला उधारकर्ताओं की भागीदारी लगभग 26 प्रतिशत रही, जबकि सितंबर-13 में यह लगभग 21 प्रतिशत रहा।
इन निष्कर्षों पर बोलते हुए, ट्रांसयूनियन सिबिल की मुख्य परिचालन अधिकारी,  हर्षला चंदोरकर ने कहा, “क्रेडिट उत्पादों की मांग करने वाली महिलाओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि भारत के क्रेडिट बाजार के विकास का एक आशाजनक संकेतक है जिसने महिला उधारकर्ताओं के लिए आर्थिक अवसरों को अधिक सुलभ बना दिया है। वित्तीय संस्थानों को महत्वपूर्ण संभावना को उपयोग में लाना होगा। इसके लिए उन्हें महिला उधारकर्ताओं की आवश्यकताओं के अनुसार उत्पाद तैयार करने होंगे ताकि व्यवसाय बढ़ सके और महिला उपभोक्ताओं को शानदार ग्राहक अनुभव मिले।“
जैसे-जैसे महिला उधारकर्ताओं की संख्या बढ़ी है, वैसे-वैसे इन महिला उधारकर्ताओं के बीच जागरूकता और ऋण की समझ भी बढ़ी है। ’’वर्ष 2018 से 2019 के बीच स्वयं निर्णय लेने वाली महिलाओं की संख्या में 62 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह स्वयं निर्णय लेने वाले पुरुष उपभोक्ताओं की वृद्धि दर से दोगुनी है(30 प्रतिशत)।
अध्ययन के अनुसार, स्वयं निर्णय लेने वाली इन महिला उपभोक्ताओं में से 56 प्रतिशत महिलाएँ महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना और दिल्ली राज्यों से हैं। (तालिका 1 देखें) यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जबकि इस सेगमेंट में आंध्र प्रदेश की केवल 5 प्रतिशत महिलाएँ हैं, उनमें से 44 प्रतिशत महिलाएँ तीन महीने पर अपने सिबिल स्कोर और रिपोर्ट की जाँच कर ऋण या क्रेडिट कार्ड का लाभ उठाती हैं। इससे पता चलता है कि वे क्रेडिट को लेकर जागरूक हैं और उनहें ऋण हासिल करने में अपनी सिबिल रिपोर्ट की भूमिका के बारे में पता है।
दिलचस्प बात यह है कि स्वयं निर्णय लेने वाली 64 प्रतिशत महिलाएँ मिलेनियल्स हैं (तालिका 2 देखें) हैं। इन आयु समूहों में औसत सिबिल स्कोर उल्लेखनीय हैं, और इन सेल्फ-मॉनिटरिंग महिला उपभोक्ताओं का औसत सिबिल स्कोर 735 है। कुल मिलाकर, औसत सेल्फ-मॉनिटरिंग महिला उपभोक्ता कासिबिल स्कोर 734 है; जबकि सेल्फ-मॉनिटरिंग पुरुष का सिबिल स्कोर 726 है।
ट्रांसयूनियन सिबिल की वाइस प्रेसिडेंट और डाइरेक्ट-टू-कंज्यूमर इंटरेक्टिव की हेड, सुजाता अहलावत बताती हैं, “भारतीय क्रेडिट और ऋण परिदृश्य में, ऋणदाता, क्रेडिट की समझ रखने वाले ऐसे जागरूक उपभोक्ताओं को ऋण सुविधा उपलब्ध कराना चाह रहे हैं, जो ऋण समझौते का अनुपालन करें और समय पर पूरी राशि का भुगतान करें। उपभोक्ता का सिबिल स्कोर और रिपोर्ट, क्रेडिट को लेकर इस जागरूकता को दर्शाता है।“
 अहलावत आगे बताती हैं, “जहाँ तक क्रेडिट का संबंध हैं, भारतीय महिला उपभोक्ता वास्तव में बहुत अधिक सतर्क, जागरूक और जिम्मेदार हैं, और दिलचस्प बात यह है कि उनकी शीर्ष ऋण प्राथमिकताएं व्यक्तिगत ऋण और उपभोक्ता ड्यूरेबल्स से लेकर क्रेडिट कार्ड तक हैं। महिला उपभोक्ताओं को उनके पुरुष समकक्षों की तुलना में बेहतर क्रेडिट प्रोफाइल के कारण अधिक सकारात्मक रूप से देखा जा सकता है, और यह क्रेडिट और अधिक ऋण स्वीकृति में सहायक होगा।“
तो महिलाएँ ऋण की इस सुलभता का क्या कर रही हैं?
अपने सिबिल स्कोर और रिपोर्ट की जाँच के तीन महीने के भीतर, 52प्रतिशत महिला उपभोक्ता कम से कम एक ऋण खाते या क्रेडिट कार्ड के लिए (केवल पूछताछ) आवेदन करती हैं। इसके अतिरिक्त, समग्र आधार पर 35 प्रतिशत महिलाएँ वास्तव में ऋण खाता खोलने या क्रेडिट कार्ड का लाभ उठाने के लिए पहल करेंगी।
महिलाओं ने क्रेडिट को लेकर अपनी समझ का भी परिचय दिया है और अपने सिबिल स्कोर व रिपोर्ट की जाँच के छह महीने के भीतर, उनमें से 45 प्रतिशत ने अपने क्रेडिट प्रोफाइल (सिबिल स्कोर) में सुधार किया है। यह सुनिश्चित करता है कि ऋण की सबसे अधिक आवश्यकता होने की स्थिति में, वो ऋण का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं।
सरकार और ऋणदाता भी महिला उपभोक्ताओं के बीच ऋण की इस समझ को स्वीकार कर रहे हैं। उन्होंने महिलाओं को ब्याज की कम दरों पर सस्ती ऋण प्रदान करके ऋण की पहुंच को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं। ऋणदाता भी ऐसे ऋण और क्रेडिट कार्ड बना रहे हैं जो विशेष रूप से महिला उपभोक्ताओं के लिए हों।

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