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Thursday, September 6, 2018

अलीबाबा ने फिलैनथ्रॉपी कॉन्फ्रेंस 2018 के ग्लोबल फोरम की मेज़बानी की


India, an inalienable part in Alibaba’s Philanthropy Roadmap news in hindi


नई दिल्ली। मदर टेरेसा की स्मृति में संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय परोपकार दिवस पर अलीबाबा समूह द्वारा स्थापित निजी धर्मार्थ कोष अलीबाबा फाउंडेशन ने अलीबाबा डिजिटल मीडिया एंड एंटरटेनमेंट ग्रुप के भीतर कारोबार यूसीवेब के साथ मिलकर फिलैनथ्रॉपी कॉन्फ्रेंस 2018 के ग्लोबल फोरम की मेज़बानी की। यह अपनी तरह का पहला सम्मेलन है जिसे चीन के बाहर आयोजित किया गया। वर्ष 2016 में प्रारंभ यह द्विवार्षिक सम्मेलन, कारोबार एवं समुदायों के समावेशी, सर्वव्यापी और टिकाऊ वृद्धि को प्रोत्साहित करने को लेकर अलीबा समूह की प्रतिबद्धता का एक महत्वपूर्ण प्रतिरूप है। यह ग्लोबल फोरम दिल्ली में लव एंड इनफिनिटि थीम के तहत आयोजित किया गया जिसमें शिक्षा, बाल संरक्षण और महिला सशक्तिकरण पर व्यापक जनजागरूकता एवं कार्रवाई की वकालत की गई। वैश्विक प्रभावों एवं स्थानीय परख के साथ अलीबाबा समूह भारत को अपने परोपकार की रूपरेखा का एक बड़ा हिस्सा मानता है, जबकि यूसी का भारत में परोपकारी मिशन जहां तक संभव हो सके, डिजिटल खाई को पाटना है। भारतीय अभिनेत्री और कर्नल शमशेर सिंह फाउंडेशन की संस्थापक गुल पनाग की मेज़बानी में हुआ फिलैनथ्रॉपी कॉन्फ्रेंस का ग्लोबल फोरम प्रख्यात समाजसेवियों और जन कल्याण के पैरोकारों का एक बड़ा समागम बन गया है। लोकप्रिय हिंदी फिल्म सुपरस्टार कंगना रानौत  महिला समानता की मुखर पैरोकार बनकर अपने निजी अनुभव साझा करने के लिए इस गोलमेज में शामिल हुईं। इनके अलावा, वैश्विक कल्याण एवं कारोबार क्षेत्रों से बेहतरीन वक्ताओं में एबिक्स इंक के सीईओ एवं अध्यक्ष और रॉबिन रैना फाउंडेशन के संस्थापक रॉबिन रैना और अधिवक्ता, समाजसेवी एवं रण समर फाउंडेशन की संस्थापक आभा सिंह आदि शामिल रहे। महिला समानता एवं शिक्षा की मौजूदा स्थिति और इंटरनेट प्लस फिलैनथ्रॉपी मॉडल के साथ अनूठे समाधानों पर चर्चा की गई। हमारी जिंदगी के हर पहलू में इंटरनेट ने ऐतिहासिक बदलाव लाया है, इस रुख को देखते हुए यह चर्चा काफी सार्थक रही। अलीबाबा के परोपकार के दर्शन के मुताबिक, प्रौद्योगिकी परोपकार में प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी के लिए बाधाओं को कम करने में मदद कर सकता है और इससे जन कल्याण के लिए बड़ा बदलाव लाने में छोटी शक्ति बड़ा रूप धारण कर सकती है। इस अवसर पर अलीबाबा डिजिटल मीडिया एंड एंटरटेनमेंट ग्रुप की कंपनी यूसी के अध्यक्ष शुनयान झू ने कहा, ‘‘दुनिया की पहली इंटरनेट कंपनी के तौर पर हम फिलैनथ्रॉपी को हमारी मुख्य रणनीति में एकीकृत करते हैं। अलीबाबा फिलैनथ्रॉपी सीमा से परे है। यही वजह है कि हम पहली बार फिलैनथ्रॉपी कॉन्फ्रेंस को चीन से बाहर यहां भारत लेकर आए। यह अलीबाबा के लिए भारत के महत्व को दर्शाता है। यह भी पहली बार है कि हमारे इंटरनेट प्लस फिलैनथ्रॉपी मॉडल ने वैश्विक पथ पर अपने पांव रखे हैं। 5 सितंबर से फिलैनथ्रॉपी सप्ताह को आधिकारिक रूप से शुरू करने के लिए यूएन वुमेन इंडिया एमसीओ की कार्यक्रम विश्लेषक (गवर्नेंस) अरुणिमा सेन, बेयरफुट कॉलेज इंटरनेशनल के सीईओ मीगन फॉलन, चाइल्ड राइट्स एंड यू की क्षेत्रीय निदेशक सोहा मोइत्रा, पेटीएम के उपाध्यक्ष एवं पेटीएम बिल्ड फॉर इंडिया इनिशिएटिव के प्रमुख सौरभ जैन और अलीबाबा क्लाउड इंडिया के प्रबंध निदेशक एलेक्स ली भी शुनयान के साथ शामिल हुए। इस सप्ताह के दौरान अलीबाबा ग्रुप की विभिन्न कारोबारी इकाइयां वैश्विक स्तर पर जन भागीदारी के लिए कई परोपकार कार्यक्रमों का आयोजन करेंगी। भारत सरकार की शिक्षा नीति की तर्ज पर अलीबाबा ग्रुप ने मिशन मिलियन बुक्स लांच किया। वर्ष 2016 में शुरू इस परियोजना का लक्ष्य पूरे भारत में वंचित तबके के स्कूली और कॉलेज के बच्चों को 10 लाख पुस्तकें दान करना है जिससे उन्हें शिक्षा हासिल करने में मदद मिल सके और इस देश के बच्चे और युवा सशक्त बनें। दान के विभिन्न मार्गों से एकत्रित पुस्तकें बिना किसी खर्च के इन शैक्षणिक संस्थानों को वितरित की जाती हैं। बहुत कम समय में ही 8 लाख से अधिक पुस्तकें संग्रह की जा चुकी हैं और करीब 7 लाख पुस्तकें दान की जा चुकी हैं जिससे भारत में 2,000 से अधिक संस्थानों में करीब 25 लाख विद्यार्थी लाभान्वित हुए हैं। बाल शिक्षा में सुधार लाने का एक अन्य प्रयास यूसी शिक्षा अभियान है। यूसी शिक्षा एक ऑनलाइन से ऑफलाइन पुस्तक दान कार्यक्रम है जिसने दो महीने के भीतर 15 लाख यूज़र्स की भागीदारी आकर्षित की है और इससे 50,000 विद्यार्थी लाभान्वित हुए हैं। यूसी ने इस परियोजना का दायरा बढ़ाने की योजना बनाई है जिससे जरूरतमंद अधिक बच्चों की व्यापक तरीके से मदद की जा सके।

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