विशेषज्ञों की समिति ने ऑडिट फर्मों और नेटवर्कों के नियमन पर अपनी रिपोर्ट पेश की |
नई दिल्ली। विशेषज्ञों की समिति ने ऑडिट फर्मों एवं नेटवर्कों के नियमन पर अपनी रिपोर्ट कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय में सचिव के जरिये भारत सरकार को सौंप दी है। एस.सुकुमार बनाम सचिव, इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए इस समिति का गठन 20 अप्रैल 2018 को किया गया था। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय में संयुक्त सचिव अनुराग अग्रवाल, वाणिज्य विभाग में अपर सचिव सुधांशु पांडे और औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग में संयुक्त सचिव रविन्दर इस समिति में शामिल थे। इस रिपोर्ट में ऑडिटरों की वैधानिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने और देश में ऑडिट पेशे के विकास को बढ़ावा देने पर फोकस करते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा उठाये गये मुद्दों को सुलझाया गया है। इस समिति ने चार बड़ी ऑडिट फर्मों, जिन्हें आमतौर पर बहुराष्ट्रीय लेखांकन (एकाउंटिंग) फर्मों के रूप में जाना जाता है, द्वारा अपनाई गई नेटवर्किंग व्यवस्थाओं पर बारीकी से गौर किया, ताकि उनके वैधानिक स्वरूप और कामकाज के तौर-तरीकों को समझा जा सके। समिति ने ऑडिटरों एवं उनके नेटवर्क द्वारा मुहैया कराई जाने वाली गैर-ऑडिट सेवाओं से उत्पन्न हितों के टकराव एवं पारदर्शिता से जुड़ी कई अन्य गंभीर चिन्ताएं भी दूर कीं। इसके साथ ही समिति ने आवश्यक नियंत्रण और संतुलन कायम करने का सुझाव दिया। रिपोर्ट में बाजार ताकतों के एक ही जगह केन्द्रित होने के मुद्दे पर भी गौर किया गया जो ऑडिट सेवाओं से जुड़े बाजार की एक और समकालीन समस्या है। वैश्विक रुझान से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि ऑडिट नियमन के क्षेत्र में स्व-नियमन के बजाय अब स्वतंत्र नियामकीय स्वरूप को अपनाया जा रहा है। विभिन्न प्रोफेशनलों के नियमन में स्व-नियामकीय मॉडल के विफल हो जाने के कारण ही अब ऐसी स्थिति देखी जा रही है। इन बदलावों को ध्यान में रखते हुए समिति ने राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) की स्थापना को एक आवश्यक संस्थागत सुधार माना है जिससे भारत में ऑडिट परिवेश आगे चलकर वैश्विक परिदृश्य के अनुरूप हो जाएगा। समिति ने एनएफआरए के परिचालन को और सुदृढ़ करने के उपायों की भी सिफारिश की है, ताकि ऑडिटरों एवं ऑडिट फर्मों के साथ-साथ भारत में परिचालन कर रहे उनके नेटवर्कों से जुड़ी समकालीन चुनौतियों से निपटा जा सके। चूंकि भारत में कॉरपोरेट जगत और प्रोफेशनलों के लिए व्यवसाय अनुकूल माहौल बनाने की जरूरत महसूस की जा रही है, इसलिए प्रोफेशनल सेवाओं पर भारतीय कानूनों एवं नियम-कायदों को बदलते बाजार परिदृश्य के अनुरूप बनाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय सार्वजनिक वित्त एवं नीति संस्थान के अनुसंधान कार्य इस समिति के लिए काफी मददगार साबित हुए। |
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Wednesday, October 31, 2018

ऑडिट फर्मों और नेटवर्कों के नियमन के लिए सरकार कर रही है सक्रिय प्रयास
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