लखनऊ। बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और टाटा ट्रस्ट्स ने इंडिया एग्रीटेक इन्क्यूबेशन नेटवर्क की स्थापना और 'सोशल अल्फा क्वेस्ट फॉर एग्रीटेक इन्नोवशन्स' की शुरुआत के लिए संगठित होकर काम करने का निर्णय लिया है। लघु किसानों में अभिनव विचार और प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए देश भर में विकास सहायकों के नेटवर्क के रूप में आईएआईएन का काम चलेगा। आईआईटी कानपूर के इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन सेंटर में आईएआईएन का पहला केंद्र होगा जो सोशल अल्फा, कलेक्टिव्ज फॉर इंटीग्रेटेड लाइवलीहुड इनिशिएटिव्ज (सीआईएनएल) और उत्तर प्रदेश प्रशासन के साथ मिलकर चलाया जाएगा।
'सोशल अल्फा क्वेस्ट फॉर एग्रीटेक इन्नोवशन्स' की घोषणा प्रवर्तक और उद्यमिओं द्वारा किसानों के लिए विशेष तकनीकी सुविधाएं विकसित कर पाने के लिए अनुकूल परितंत्र निर्माण करने के उद्देश्य से की गई थी। लघु और सीमांत किसानों को उत्पादकता और मुनाफा बढ़ाने के लिए सक्षम करना इसका लक्ष्य होगा। इस क्वेस्ट में उन प्रवर्तकों और उद्यमिओं की खोज की जाएगी जिनके पास लघु किसानों की समस्याओं को दूर कर पाए ऐसी परिवर्तक प्रौद्योगिकी है। आईएआईएन के पहले दल में शामिल होने के लिए 12 इन्नोवशन्स को चुना जाएगा और उन्हें अगले 12 - 24 महीनों तक मूलभूत विकास सहायता प्रदान की जाएगी।
क्वेस्ट में सहभागी होने के लिए सम्पूर्ण कृषि और पूरक मूल्य श्रृंखला के लिए अभिनव प्रद्योगिकी सुविधाओं को आमंत्रित किया गया है। इन सुविधाओं में पूरा ध्यान वाजिब दाम, आसान पहुँच, कार्यक्षमता और इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को सबसे अच्छा अनुभव प्रदान करने पर केंद्रित होना आवश्यक है। उपज और कार्यक्षमता में सुधार लाना, फसल के बाद उसका नुकसान न हो इसलिए बेहतर प्रबंधन, मूल्य को बढ़ाना, बाजार में संबंधों में सुधार, आवश्यक बातों को खोज पाना आदि पर भी जोर दिया जाना चाहिए।
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की एशिया की कृषि विभाग की प्रमुख डॉ. पूर्वी मेहता ने बताया, "लघु धारक किसानों के वित्तीय विकास को गति देने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के उत्तर प्रदेश प्रशासन के लक्ष्य की हम सराहना करते हैं। कृषि में व्यापक परिवर्तन लाने के लिए कृषि में अभिनव विचार, विकास सहायता और निवेश पारितंत्र को लघुधारक कृषि और पशुपालन उद्यमों की जरूरतों के अनुकूल बनाना जरुरी है। हम मानते हैं कि, सोशल अल्फ़ा, सीआईएनएल और आईआईटी कानपूर उन स्टार्टअप्स को सही परितंत्र और गहन मार्गदर्शन प्रदान करेंगे जिनके पास बड़े पैमाने पर चिरस्थाई परिणाम लाने की क्षमता है। हमें आशा है कि, आईएआईएन एक सहयोगपूर्ण और अनुकूल नेटवर्क के रूप में काम करेगा। इस नेटवर्क में उद्यमिओं को उनके व्यवसाय को बढ़ा पाने के लिए सहायक परितंत्र निर्माण करते हुए लघुधारकों द्वारा तकनीक के उपयोग पर विशेष जोर दिया जाएगा।"
टाटा ट्रस्ट्स के इन्नोवेशन एंड एंट्रप्रिन्युअरशिप के प्रमुख और सोशल अल्फ़ा के सीईओ मनोज कुमार ने कहा, "कृषि प्रौद्योगिकी में उद्यम निवेश काफी मात्रा में किए जा रहे हैं हालांकि वे इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स, ई-कॉमर्स और खेत से थाली तक लॉजिस्टिक्स तक सीमित हैं। हमारे किसानों की कार्यक्षमता और मुनाफे को बढ़ाने के लिए कृषि और पशुपालन में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नवाचार को विकास और निवेश सहायता अधिक मात्रा में मिलनी चाहिए। लघु और सीमांत किसानों की जीवनशैली में सकारात्मक सुधार ला सके ऐसी सुविधाओं के विकास के लिए लक्ष्य से प्रेरित उद्यमिओं को सहायता, मार्गदर्शन प्रदान करना इस क्वेस्ट का उद्देश्य है।"
इस क्वेस्ट में 12 विजेताओं को निम्न सुविधाएं और सहायता मिलेगी –
- टाटा ट्रस्ट्स के विशाल नेटवर्क का उपयोग करते हुए उत्तर प्रदेश राज्य में शुरू किए गए नवाचार/प्रोजेक्ट्स का परिक्षण, मूल्यांकन आदि के लिए सैंडबॉक्स सुविधा
- सोशल अल्फ़ा के आरंभिक निवेश और / या ग्रांट्स निधि और बड़े निवेशक और डोनर नेटवर्क तक पहुँचने में सहायता।
- आईआईटी कानपूर की इन्क्यूबेटर सुविधा में सुधार और परिक्षण के लिए उच्च गुणवत्तापूर्ण लैब्स, सामग्री के साथ आधुनिक प्रौद्योगिकी इन्क्यूबेशन सुविधा
- उत्पाद विकास में सहायता जिसमें डिजाइनिंग, तेजी से प्रोटोटाइपिंग और उत्पादन के लिए डिज़ाइन शामिल होगा।
- उद्यम योजना में सहायता, बाजार में सक्षमता के लिए नीति बनाना और कुल कारोबार में सलाह के लिए विशेष कृषि-उद्यम तज्ञ
- वैश्विक और स्थानीय स्तर के निपुण तज्ञों द्वारा मार्गदर्शन और क्षमता निर्माण के लिए सेशन्स
- किसानों के समुदायों, स्थानीय स्तर की स्वयंसेवी संस्थाएं, कृषि तज्ञ और कॉर्पोरेट तथा सरकारी संस्थानों द्वारा व्यावहारिक जानकारी, सलाह
- सोशल अल्फ़ा या आईआईटी कानपूर इन्क्यूबेशन सेंटर्स में सहभाजित कार्यालयीन जगह और सुविधाएं, एकाउंटिंग, कम्पलायन्स, टैक्सेशन, क़ानूनी, आईपी आदि सहायता सेवाएं।
टाटा ट्रस्ट्स के जोनल मैनेजर और सीएलएनआई के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर गणेश नीलम ने बताया, "लघुधारक किसानों के लिए हमारे मिशन प्रोग्राम के तहत चिरस्थाई और फिरसे पहले की स्थिति में आना न पड़े ऐसी सफलता पाने के लिए ग्रामीण इलाकों में प्रौद्योगिकी के आधार पर नवाचार पर हमने ध्यान केंद्रित किया है। आईएआईएन प्रोग्राम के जरिए हम लघु और सीमांत किसानों के लिए कृषि प्रौद्योगिकी नवाचार प्रदर्शित करना चाहते हैं। वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्र विकसित करना हमारा लक्ष्य है और हमारा यह मानना है कि, कृषि में यूजर्स के लिए आसान प्रौद्योगिकी नवाचार से हम इस लक्ष्य को पूरा कर पाएंगे।"
आईएआईएन के हिस्से के रूप में आईआईटी कानपूर में एक वास्तविक इनक्यूबेटर स्थापित किया जाएगा। यहाँ से प्रदान की जाने वाली इन्क्यूबेशन सेवाओं में विशेष प्रयोगशाला सुविधाएं, उद्यम निर्माण स्त्रोत, वित्तीय सहायता और कृषि समुदायों तक पहुँच आदि शामिल होंगी जो शुरूआती परिक्षण से लेकर सफलता के आखरी पड़ाव तक की यात्रा में साथ देंगी। अगले पांच सालों में 60 उद्यमों को प्रौद्योगिकी और उद्यम विकास सहायता देने की योजना है जो 50,000 किसानों को प्रभावित करेगी।
आईआईटी कानपूर के निदेशक डॉ. अभय करंदीकर ने बताया, "भूमापन करके नक्शा बनाना, इनपुट और आउटपुट प्रबंधन, आईओटी सक्षम आधुनिक उपकरणों की सहायता से सिंचाई, कृषि वित्त और लॉजिस्टिक्स में नवाचार, फसल के बाद के कामों की कार्यक्षमता के लिए प्रौद्योगिकी आदि आधुनिक प्रौद्योगिकी में कृषि को एक आकर्षक पेशे में बदलने के कई अवसर हैं। सस्ती, तकनीक सक्षम, भारत की जरूरतों और समस्याओं को ध्यान में रखते हुए बनाई गई सुविधाएं भारतीय किसानों को कार्यक्षमता और आय में बढ़ोतरी लाने में मदद कर सकती हैं। मुझे ख़ुशी है कि, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और टाटा ट्रस्ट्स ने आईएआईएन के प्रौद्योगिकी साझेदार के रूप में आईआईटी कानपूर को चुना। सभी विषयों में अनुसन्धान में निपुणता, स्टार्टअप्स तक आसानी से पहुँच सके ऐसी आधुनिक आधारभूत सुविधाएं और इनक्यूबेटर इन क्षमताओं के साथ आईआईटी कानपूर इन मुद्दों पर सफलतापूर्वक काम करता सकता है जिससे भारत में कृषि और जीवनशैली में परिवर्तन आ सकते हैं।"
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