भारत में एमएसएमई ऋण उधार में गुजरात का प्रदर्शन सबसे अच्छा है
मार्केट साइज पैरामीटर पर महाराष्ट्र सबसे ऊपर है
आंध्र प्रदेश मार्केट ग्रोथ में सबसे ऊपर है
निम्न एनपीए दर को बनाए रखने के मामले में गुजरात शीर्ष पर
एमएसएमई स्कोर की गुणवत्ता में नई दिल्ली सबसे आगे
मुंबई। ट्रांसयूनियन सिबिल (सीआईबीआईएल)- सिडबी (सीआईडीबीआई) एमएसएमई पल्स रिपोर्ट के छठे वर्जन के अनुसार मार्च 19 को समाप्त तिमाही में सालाना आधार पर 12.4 फीसदी की वृद्धि जारी है। भारत में कुल ऋण मार्च, 2015 से मार्च, 2019 की पंचवर्षीय अवधि में 13.3 फीसदी सीएजीआर से बढ़ कर 253 ट्रिलियन रुपए के स्तर तक पहुंच गया है। कुल ऋण में सरकारी ऋण, कॉर्पोरेट संस्थाओं का ऋण और व्यक्तिगत उधारकर्ता शामिल हैं। पिछले चार वर्षों में सकल ऋण में वृद्धि व्यक्तियों (उपभोक्ता ऋण, व्यक्तियों को व्यावसायिक ऋण और अन्य ऋण सहित) पर उधार देने पर 22 फीसदी सीएजीआर वृद्धि से संचालित है, वाणिज्यिक संस्थाओं (एमएसएमई और कॉर्पोरेट संस्थाओं सहित) के ऋण की सीएजीआर 13.4 फीसदी और सरकारी ऋण की 10.6 फीसदी है। तुलनात्मक रूप से पर्सनल लोन की उच्चतर दर ने लोन इंडस्ट्री को इस क्षेत्र में लंबी पारी खेलने के लिए प्रवृत्त किया है।
एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) में एक उल्लेखनीय गिरावट इन विकास रुझानों के लिए और अधिक उम्मीद जगाने वाली रही है। वाणिज्यिक उधार में समग्र सकल एनपीए की दर वित्तीय वर्ष 2019 में 16.0 फीसदी थी, जो पिछले साल की समान अवधि के 17.2 फीसदी से काफी कम है। मिडिल और बिग सेगमेंट के लिए मार्च 18 के बीच की अवधि के लिए एनपीए की दर अपने चरम पर पहुंच गई थी। हालांकि, पहले आए तनाव के दौर के बाद अब वाणिज्यिक ऋण क्षेत्र में वसूली चल रही है, एनपीए ने अंततः धीरे-धीरे जून, 2018 की तिमाही के बाद गिरावट दिखाना शुरू कर दिया है।
एमएसएमई पल्स के इस संस्करण के निष्कर्षों पर प्रकाश डालते हुए, मोहम्मद मुस्तफा, चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर, सिडबी ने कहाः ’एनपीए में गिरावट के साथ वाणिज्यिक उधार में निरंतर वृद्धि एमएसएमई के विकास के लिहाज से एक बहुत ही आशाजनक संकेतक है। यह आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे भी अधिक दिलचस्प है व्यवसायों के लिए व्यक्तिगत उधार की बढ़ती दर का रुझान जो व्यक्तियों के पक्ष में उधार उद्योग की संरचना में एक बड़ी पारी खड़ी कर रहा है। यह निष्कर्ष भारत में एमएसएमई के साथ व्यापार करने में आसानी को उल्लेखित करते हुए बता रहे हैं कि अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए एमएसएमई तेजी से और जल्दी ऋण प्राप्त कर रहे हैं।’
एमएसएमई पल्स का यह संस्करण ’क्रेडिट अपॉर्चुनिटी’ और ’रिस्क इंडेक्स’ मापदंडों के तहत एमएसएमई को उधार देने पर राज्य-वार प्रदर्शन विश्लेषण करने वाली एक स्टडी को भी शामिल करता है, जो कि कॉर्पोरेट संस्थाओं के क्रेडिट का विस्तार करने वाली राज्यवार क्षमता के आधार पर कुल क्रेडिट एक्सपोजर 50 करोड़ रुपए को परिभाषित करता है। एमएसएमई पल्स रैंकिंग मॉडल कुल ऋण जोखिम, खातों और उपभोक्ताओं के मामले में बाजार के आकार को देखता है। वित्त वर्ष 2015 से वित्त वर्ष 2019 तक की अवधि के लिए बाजार की वृद्धि की पहचान करने के लिए वर्ष-दर-वर्ष वृद्धिशील परिवर्तन भी ध्यान में रखा गया है। रिस्क इंडेक्स के एक हिस्से के रूप में भूगोल के आधार ग्राहकों के जोखिम सूचकांक, नाजुकता और स्कोर गुणवत्ता (जोखिम प्रोफाइल) को भी शामिल किया गया है। अध्ययन से पता चलता है कि भारत में एमएसएमई उधार के लिए प्रदर्शन और विकास क्षमता के मामले में गुजरात शीर्ष रैंकिंग वाले राज्य के रूप में उभरा है, इसके बाद आंध्र प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक और दिल्ली है। कॉर्पोरेट ऋण में उच्च क्षमता वाले अन्य राज्य महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और जम्मू और कश्मीर हैं।
राज्य वार प्रदर्शन पर इस निष्कर्ष को लेकर टिप्पणी करते हुए, ट्रांसयूनियन सिबिल के प्रबंध निदेशक और सीईओ, श्री सतीश पिल्लई ने कहा, ’क्रेडिट अवसर, एमएसएमई विकास की क्षमता और भारत भर में जोखिम की भविष्यवाणी पर राज्य-वार प्रदर्शन महत्वपूर्ण प्रकाश डालते हैं। गुजरात ने लगातार पिछले चार वर्षों (वित्त वर्ष 2016 से वित्त वर्ष 2019) तक नंबर 1 की स्थिति बनाई है। जहां महाराष्ट्र बाजार के आकार में सबसे ऊंचा है, वहीं इसके एनपीए ऋण जोखिम में भी उच्च संकेत हैं। एमएसएमई पोर्टफोलियो की समय पर निगरानी और समय पर जोखिम की पहचान और नियंत्रण के उपाय स्वस्थ एमएसएमई विकास और निरंतर आर्थिक विकास को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।’
एमएसएमई पल्स का यह संस्करण ’क्रेडिट अपॉर्चुनिटी’ और ’रिस्क इंडेक्स’ मापदंडों के तहत
भारत में कुल ऋण मार्च, 2015 से मार्च, 2019 की पंचवर्षीय अवधि में 13.3 फीसदी सीएजीआर से बढ़ कर 253 ट्रिलियन रुपए के स्तर तक पहुंच गया है। कुल ऋण में सरकारी ऋण, कॉर्पोरेट संस्थाओं का ऋण और व्यक्तिगत उधारकर्ता शामिल हैं। पिछले चार वर्षों में सकल ऋण में वृद्धि व्यक्तियों (उपभोक्ता ऋण, व्यक्तियों को व्यावसायिक ऋण और अन्य ऋण सहित) पर उधार देने पर 22 फीसदी सीएजीआर वृद्धि द्वारा संचालित है, वाणिज्यिक संस्थाओं (एमएसएमई और कॉर्पोरेट संस्थाओं सहित) के ऋण ने 13.4 फीसदी सीएजीआर और 10.6 फीसदी सरकारी ऋण है। तुलनात्मक रूप से पर्सनल लोन की उच्चतर दर ने लोन इंडस्ट्री के इंडिविजुअल के पक्ष में एक बड़ी पारी बनाई है।
बिहार, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में कम एमएसएमई क्रेडिट प्रवेश: राज्यों में क्रेडिट की पैठ को एमएसएमई ऋण / स्टेट डिपोजिट और एमएसएमई ऋण / राज्य जीडीपी अनुपात के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह देखा गया है कि बिहार, उत्तर प्रदेश और ओडिशा में ऋण प्रवेश बहुत कम है, इसलिए इन राज्यों में ऋण देने का अवसर बहुत कम है।
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