जयपुर, जयपुर में आयोजित एक मीडिया कार्यशाला में स्टेट टीबी ऑफिसर डॉ विनोद गर्ग ने जानकारी दी कि राजस्थान में ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) रोगियों की सूचनाएं दर्ज कराने के मामले में 45 प्रतिशत वृद्धि हुई है, 2017 में यह आंकड़ा 1.05 लाख था जो 2018 में 1.6 लाख हो गया। उन्होंने बताया कि यह वृद्धि इसलिए हुई है क्योंकि प्राइवेट सेक्टर के स्वास्थ्य प्रदाताओं को बड़े पैमाने पर इस मुहिम के साथ जोड़ा गया है और राज्य में सक्रिय टीबी के मामलों का पता लगाने के काम में उन्हें शामिल किया गया है।
टीबी द्वारा जन स्वास्थ्य के लिए खड़ी की गई चुनौती के मद्देनजर भारत सरकार ने घोषित किया है कि भारत 2025 तक टीबी उन्मूलन कर देगा यानी सतत विकास लक्ष्यों की समयसीमा से पांच वर्ष पहले। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सरकार ने टीबी उन्मूलन हेतु नेशनल स्ट्रेटेजिक प्लान (एनएसपी) की घोषणा की।
स्टेट टीबी ऑफिसर डॉ विनोद गर्ग ने इस पर बल दिया की टीबी कार्यक्रम के हालिया कदमों के बारे में जागरुकता पैदा करनी होगी जिनमें हाल ही में शुरु की गई Óनिक्षय पोषण योजनाÓ (एनपीवाय) भी शामिल है, यह टीबी रोगियों के कल्याण हेतु Óडायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफरÓ स्कीम है। इस स्कीम के तहत हर टीबी रोगी को इलाज की पूरी अवधि के दौरान प्रति माह 500 रुपए दिए जाते हैं। राजस्थान में अप्रैल 2018 से लेकर जनवरी 2019 तक 42,000 से ज्यादा मरीजों को इस स्कीम का फायदा दिया जा चुका है। डॉ गर्ग ने बताया कि मई 2019 में रोगियों को 2 लाख से अधिक एसएमएस भेजे जा चुके हैं जिनके माध्यम से उन्हें अप्रैल 2018 में आरंभ की गई निक्षय पोषण योजना का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
पिछले वर्ष भारत सरकार ने जॉइंट ऐफर्ट फॉर ऐलिमिनेशन ऑफ टीबी यानी जीत प्रोग्राम लांच किया जिसका उद्देश्य प्राइवेट सेक्टर के प्रदाताओं को प्रोत्साहित करना है कि वे सरकार को टीबी के रोगियों के बारे में सूचना दें और उपचार परिणाम सुधारने में सहायक बनें। गैर सरकारी संगठन विलियम जे. क्लिंटन फाउंडेशन के प्रतिनिधि डॉ तुषार परमार ने बताया कि ÓजीतÓ प्रोग्राम को राज्य के 23 जिलों में लागू किया जा रहा है।
राजस्थान में प्राइवेट सेक्टर तक व्यापक पहुंच और उन्हें इस अभियान में शामिल करने के फलस्वरूप उनसे प्राप्त होने वाली सूचनाओं में ठोस वृद्धि दर्ज की गई है। डॉ परमार ने राज्य में प्राइवेट सेक्टर को साथ शामिल करने की योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी।
राज्य में प्राइवेट सेक्टर से मिलने वाली सूचनाओं में प्रभावी वृद्धि हुई है। 2018 में कुल टीबी रोगियों में से लगभग 28.8 प्रतिशत (1,60,168 में से 46,196) की सूचना प्राइवेट सेक्टर से प्राप्त हुई जबकि 2017 में यह आंकड़ा 19.9 प्रतिशत था। प्राइवेट सेक्टर के स्वास्थ्य प्रदाताओं (डॉक्टर, कैमिस्ट, डायग्नोस्टिक लैब) की ओर से टीबी रोगियों की सूचना वृद्धि होने तथा प्राइवेट डॉक्टरों द्वारा उपचार की पहले से ज्यादा रिपोर्टिंग होने की वजह से सरकार को यह जानने में मदद मिलेगी की प्राइवेट सेक्टर में इलाज करा रहे रोगियों के उपचार का क्या परिणाम रहा और इससे उनका इलाज पूरा करवाने में भी मदद मिलेगी।
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