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Tuesday, December 31, 2019

डीसीएम श्रीराम लिमिटेड की समृद्ध व ऐतिहासिक धरोहर का प्रदर्शन कर रही है कंपनी की हेरिटेज गैलेरी एवं आर्काइव



DCM Shriram | Kota Archvies visit


 

कोटा।हमें हमारी समृद्ध धरोहर तथा हमारे संस्थापक महोदय श्री राम पर गर्व है, जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में उल्लेखनीय योगदान दिया है। गैलेरी का विचार तब आया जब हम महोदय श्री राम के योगदान को अन्य लोगों के साथ साझा करना चाहते थे। यह बहुत कम लोग जानते हैं कि दिल्ली क्लोथ एण्ड जनरल मिल्स की अवधारणा श्री राम के अंकल लाला गोपाल राय की पहल है, जो बैंकर्स एवं रिएल्टर्स की फर्म में अकाउन्टेन्ट थे। उनके पास न तो पैसा था, न ही मशीनों की समझ। हालांकि उन्होंने शहर में कॉटन मिल स्थापित करने का सपना देखा था, जिसे श्री राम ने साकार किया। श्री राम ने एक साधारण कर्मचारी से शुरूआत की और भारत का सबसे बड़ा कारोबार सदन-डीसीएम ग्रुप स्थापित किया। एक सामान्य परिवार में जन्मे श्री राम ने अपने जीवन के 79 वर्ष एक ऐसे कारोबार को दिए जो टेक्सटाईल से लेकर चीनी, कैमिकल्स, वनस्पति, पॉटरी, पंखों, सिलाई मशीनों, इलेक्ट्रिक मोटर और कैपेसिटर्स के साथ जुड़ा है।
उन्होंने अपने समय के उद्यमियों को अपने साथ जोड़ा तथा फिक्की और च्भ्क्ब्ब्प् जैसे संगठनों को एक ही मंच पर लाए। ये संस्थान तब से लगातार विकसित हो रहे हैं और आज आधुनिक भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्हें 1930 में 46 वर्ष की उम्र में फिक्की का अध्यक्ष चुना गया। श्री राम जनवरी 1935 में गठित रिज़र्व बैंक ऑफ इण्डिया के पहले बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में शामिल थे तथा आईएसआई, दिल्ली नगर निगम एवं बॉम्बे प्लान जैसे संगठनों के साथ जुड़े थे। वे देश के सांस्कृतिक मूल्यों एवं उत्कृष्ट शिक्षा को महत्व देते थे। दिल्ली के कुछ सर्वश्रेष्ठ संस्थान जैसे श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, लेडी श्री राम कॉलेज, श्री राम सेंटर फॉर आर्ट एण्ड कल्चर उनकी इसी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं। यहां तक कि ब्रिटिश सरकार ने भी श्री राम के योगदान को पहचाना और समाज विकास में योगदान के लिए उन्हें नाईटहुड की उपाधि से सम्मानित किया।

विरासत- राजस्थान के कोटा में हेरिटेज गैलेरी आम लोगों के लिए खुरी है, जहां लोग राष्ट्र निर्माता के रूप में उनकी यात्रा के बारे में जानकारी पा सकते हैं। यहां आगंतुकों के लिए पर्याप्त विज़ुअल डिस्प्ले और डिजिटल कंटेंट पेश किया गया है, साथ ही शोध विद्वानों, पत्रकारों के संदर्भ प्रस्तुत किए गए हैं। यह गैलेरी मौजूदा एवं नए कर्मचारियों को गर्व का अनुभव प्रदान करती है, जिन्हें हमारे संस्थापक की उपलब्धियों को जानने का मौका मिलता है।
हेरिटेज गैलेरी और अभिलेखागार की शुरूआत
गैलेरी की शुरूआत के लिए सबसे पहले अभिलेखागार के लिए संग्रह किया गया। हमने भीतरी एवं बाहरी सामग्री जुटाई, राष्ट्रीय संग्रहालय, जवाहरलाल नेहरू मैमोरियल पुस्कालय, आरबीआई संग्रहालय तथा डीसीएम श्रीराम लाइब्रेरी से सामग्री जुटाई। मौजूदा एवं सेवानिवृत कर्मचारियों ने भी इस संग्रहण में योगदान दिया। सभी सामग्री जुटाने के बाद हमने श्री राम के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी इकट्टा की, हमने डीसीएम के विकास एवं अन्य संबंधित संगठनों के बारे में जानकारी जुटाई। इस संग्रहालय से जुड़े लोगों एवं अन्य शोधकर्ताओं की टीम के साथ मिलकर हमने नियमित रूप से रिकॉर्ड इकट्ठा किए। हाल ही में हमने अभिलेखागार में कुछ अतिरिक्त जानकारी शामिल करने के लिए ओरल हिस्ट्री आर्काइव की स्थापना भी की।
अब जबकि हम गैलेरी की स्थापना कर चुके हैं, अब हम भावी कार्यक्रमों की योजना बनाएंगे। हमने छात्रों एवं आम जनता के लिए विज़िट्स की योजना बनाई है, जहां उन्हें श्री राम के द्वारा ओद्यौगिकीरण में शुरूआती योगदान के बारे में जानने का अवसर मिलेगा।

गैलेरी में प्रदर्शित ऐतिहासिक यादगार पहलुः
डीसीएम श्रीराम हेरिटेज गैलेरी में कई ऐतिहासिक यादगार पहलुओं को पेश किया गया है। इनमें शामिल हैं- 22 सितम्बर 1888 को दिल्ली क्लोथ एण्ड जनरल मिल्स के पहले बोर्ड मिनट्स, ब्रिटिश सरकार का दस्तावेज जिसमें 1941 में श्री राम को नाईटहुट की उपाधि देने का उल्लेख है।
अन्य कुछ यादगार पहलु जो लोगों को इतिहास के बारे में जानकारी देंगेः 1945 में शुरू हुए डीसीएम फुटबॉल टूर्नामेन्ट के विेजेता को ट्रॉफी दिया जाना, यह टूर्नामेन्ट 1995 तक जारी रहा; मार्च 1968 में चियोदा, टोकियो, जापान द्वारा कोटा में डिज़ाइन किया गया यूरिया प्लांट का मॉडल’ 1947 में स्वतन्त्र भारत मिल्स के सिविल कार्य की शुरूआत से पहले डीसीएम ईंट भट्टी की शुरूआत। इसमें एक खास तौलिया भी है जिस पर श्री राम की तस्वीर है, इसे स्वतन्त्र भारत मिल्स द्वारा डिज़ाइन किया गया और उन्हें भेंट किया गया। सर श्री राम के पारिवारिक वंश तथा श्री जेआरडी टाटा एवं अन्य दिग्गजों के साथ उनके संवाद को दर्शाया गया है।
एक रिकॉर्ड रूम भी बनाया गया है जहां महत्वपूर्ण दस्तावेज, प्रमाणपत्र, 1889 में दिलली क्लोथ एण्ड जनरल मिल्स से जुड़े दस्तावेज तथा 1990 में डीसीएम श्रीराम लिमिटेड के गठन के बाद के दस्तावेज मौजूद हैं। इससे संस्थागत स्मृति को संरक्षित रखने में मदद मिलेगी।
प्रबंधन का उद्धरणः
 अजय एस श्रीराम, चेयरमैन एवं सीनियर मैनेजिंग डायरेक्टर, डीसीएम श्रीराम लिमिटेड ने डीसीएम श्रीराम आर्काइव के बारे मं कहा, ‘‘मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी का अनुभव हो रहा है कि गैलेरी आने वाले आगंतुकों से हमें बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। हमें गर्व है कि इसके माध्यम से हम राष्ट्र निर्माण में योगदान की यात्रा पर रोशनी डाल रहे हैं। हमारा मानना है कि राष्ट्र निर्माण निरंतर जारी रहने वाली प्रक्रिया है, और आने वाले समय में भी हम इस क्षेत्र में अपने योगदान को जारी रखेंगे। उदारीकरण के बाद संगठन के विकास को भी यहां दर्शाया गया है।’’ 

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