मुंबई, कार्य-जीवन के संतुलन के बारे में, सात-में-से-पांच (74 प्रतिशत) पुराने मिलेनियल्स का कहना है कि वो अपने तरीके से जिंदगी नहीं जी पाते हैं, जबकि ऐसा मानने वाले जेन-एक्स प्रतिक्रियादाता सात-में-से-तीन (55 प्रतिशत) हैं। गोदरेज इंटेरियो के ‘मेक स्पेस फॉर लाइफ’ सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ। सर्वेक्षण के अनुसार, भारतीयों का दावा है कि काम के दबाव, तकनीक एवं दिनचर्या के चलते उन्हें स्वयं के लिए, परिवार के लिए, अपने शौक पूरा करने के लिए कम समय व अवसर मिल पाता है।
हाल के वर्षों में, मॉडर्न ऑफिस वर्क के डिमांडिंग नेचर एवं कार्यस्थल पर अधिक समय तक काम करने का प्रभाव मिलेनियल्स के कार्य-जीवन संतुलन पर पड़ रहा है। सर्वेक्षण से पता चला कि अधिकांश मिलेनियल्स ने माना कि वो अपने जीवन को अच्छी तरह नहीं जी पा रहे हैं। साथ ही, इससे यह भी पता चला कि बाद की पीढ़ी की तुलना में जेन-एक्स का कार्य-जीवन संतुलन बेहतर है।
सर्वेक्षण के निष्कर्षों के बारे में, गोदरेज इंटेरियो के मुख्य परिचालन अधिकारी, अनिल एस माथुर ने कहा, ‘‘आज के मिलेनियल्स की पीढ़ी, जेनरेशन-एक्स की तुलना में काफी अलग दुनिया में जीते हैं। उन दिनों, व्यक्ति के जीवन में पारिवारिक जिम्मेवारियों को पूरा करना महत्वपूर्ण हुआ करता था, जिसके लिए जॉब सिक्योरिटी एवं सुरक्षित निवेश जरूरी था। इस प्रकार, जेन-एक्स ने ऐशो-आराम वाली चीजों के चुनाव से पहले जीवन में सुरक्षा व स्थायित्व तलाशने में अपनी ऊर्जा लगा दी। इसके विपरीत, मिलेनियल्स ऐसे परिवेश में पले-बढ़े हैं, जहां तकनीकी प्रगतियों एवं दुनिया से संपर्क ने उनके विचार प्रक्रिया को आकार दिया है। उनके चारों ओर लगातार बदलती दुनिया ने इस पीढ़ी की महत्वाकांक्षाओं को पुनर्परिभाषित किया है और उन्हें अधिक स्वतंत्र एवं अधीर बनाने का काम किया है, जिससे वो तुरंत संतुष्टि चाहते हैं और अल्पकालिक आनंद पाना चाहते हैं। यह विचार प्रक्रिया और प्राथमिकताओं में अंतर मिलेनियल्स की तुलना में जेन-एक्स को जीवन के लिए बेहतर स्पेस बनाने में मदद करती है। गोदरेज इंटेरियो ब्रांड व्यक्ति के जीवन के सभी खंडों के महत्व को लेकर सजग है और उन्हें प्रोत्साहित करता है कि वो जीवन में अपने लिए भी थोड़ा समय निकालें। हमारे नये-नये फर्नीचर डिजाइन्स के जरिए, हम हमारे ग्राहकों के घरों में जिंदादिली लाना चाहते हैं और उन्हें याद दिलाना चाहते हैं कि जीवन में तरह-तरह के अनाप-शनाप के दबावों के बावजूद, हमें हमारे घर में अपने शौक, अपने परिवार व दोस्तों के लिए समय निकालना चाहिए।’’
अध्ययन से यह भी खुलासा हुआ कि 59 प्रतिशत जेन-एक्स अपने शौक पूरा करने पर समय देते हैं, जबकि ऐसा करने वाले पुराने मिलेनियल्स 38 प्रतिशत ही हैं। 61 प्रतिशत पुराने मिलेनियल्स अपने कार्य-जीवन संतुलन को भयानक मानते हैं, जबकि जेन-एक्स में ऐसा मानने वाले मात्र 48 प्रतिशत ही हैं।
इसके अलावा, इस राष्ट्रीय सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार, 61 प्रतिशत प्रतिक्रियादाताओं ने माना कि उनके पास अपने शौक पूरा करने के लिए समय नहीं है; 68.2 प्रतिशत प्रतिक्रियादाताओं को लगता है कि वो कार्य-जीवन संतुलन बनाये रखने की कोशिश में जिंदगी जीना भूल जाते हैं; 40 प्रतिशत प्रतिक्रियादाता महसूस करते हैं कि वो पैसे की दिक्कतों के चलते अपने शौक पूरा नहीं कर पाते हैं, और 56.7 प्रतिशत भारतीयों का कहना है कि उनका कार्य-जीवन संतुलन भयानक है।
यह सर्वेक्षण चंडीगढ़, मुंबई, जयपुर, पटना, कोयम्बतूर, पुणे, लखनऊ, हैदराबाद, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरू, व अहमदाबाद में रहने वाले 1300 भारतीयों पर किया गया।
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