जयपुर, राजस्थान में एक सप्ताह पहले शुरू किए गए #ZeroTeenMothers अभियान को राज्य के नीति निर्धारक तबके से जोरदार समर्थन मिला है। इनमें विधायक, राजनेता और नौकरशाही के वो लोग शामिल हैं जो एक ठोस परिवर्तन लाने में विश्वास रखते हैं। पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के इस अभियान की शुरुआत युवा दिवस के मौके पर 12 जनवरी को प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने की थी। किशोरों के स्वास्थ्य से जुड़ा ये महत्वपूर्ण अभियान राजस्थान में कम उम्र में गर्भावस्था के खिलाफ जनजागरुकता पैदा करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है।
महज एक सप्ताह की अवधि में ही इस महत्वपूर्ण अभियान को समर्थन देने वाले प्रमुख लोगों में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री सुभाष गर्ग, स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह, (IAS), सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में उपनिदेशक श्री गोविंद पारीक, उप-निदेशक जैसे प्रभावशाली नाम शामिल हैं। वहीं जनप्रतिनिधियों में राजस्थान के विधायकों में, देवली टोंक से हरीश चंद्र मीणा, फुलेरा से निर्मल कुमावत, निवाई-टोंक से प्रशांत बैरवा ने अभियान का समर्थन किया है। चूरू के सादलपुर से विधायक कृष्णा पूनिया ने भी अभियान का समर्थन किया, और अन्य लोगों की तरह ज़ीरो टीनएज प्रेग्नेंसी का प्लेकार्ड पकड़े हुए खुद की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की। पूनिया एक एथलीट और अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता हैं और बालिका विकास की पहल में सक्रिय रूप से जुटी हुई हैं।
अभियान को अपना संपूर्ण समर्थन देते हुए देवली-टोंक के विधायक और राजस्थान के पूर्व पुलिस महानिदेशक हरीश्चंद्र मीना ने किशोरों की शिक्षा और स्वास्थ्य अधिकारों की पुरजोर वकालत की है। मीना इस मुद्दे से सक्रिय तौर पर जुड़े हुए हैं और उनका कहना है कि किशोरावस्था में गर्भधारण नहीं होना चाहिए। निवाई (टोंक) के विधायक प्रशांत बैरवा ने इस अभियान के समर्थन में सोशल मीडिया पर लिखा है कि " स्वस्थ युवा एवं किशोर एक स्वस्थ समाज की नींव हैं जिसपर ध्यान दिया जाना बहुत जरूरी है"
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में उपनिदेशक गोविंद पारीक ने भी इस अभियान का समर्थन किया है। पारीक सूचना, शिक्षा एवं संचार के विशेषज्ञ हैं और उन्होंने इस राज्यव्यापी अभियान को विश्वसनीयता एवं समर्थन प्रदान किया है।
राष्ट्रीय परिवार एंव स्वास्थ्य सर्वे-4 के अनुसार राजस्थान में 35 प्रतिशत लड़कियों का 18 वर्ष की उम्र होने से पहले ही विवाह हो जाता है और जब ये सर्वे किया गया था तब इस उम्र की 6 प्रतिशत से ज्यादा लड़कियां या तो मां बन चुकी थीं या फिर गर्भवती थीं। ऐसी स्थिति में जीरो टीनएज प्रग्नेंसी कैंपेन, न केवल आम लोगों को बल्कि चुने गए जनप्रतिनिधियों, सरकारी अधिकारियों और अन्य सामुदायिक भागीदारों को साथ लेकर राजस्थान में किशोर गर्भावस्था से जुड़े खतरों पर बात करने और किशोर गर्भावस्था को पूरी तरह खत्म करने के उद्धेश्य से शुरू किया गया है।
इस अभियान को समर्थन करने वाले कुछ अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों में टोंक जिले के पुलिस अधीक्षक श्री आदर्श सिद्धू, (IPS) भी हैं जो 'बाल अधिकारों' का समर्थन करते रहे हैं। इनके साथ ही एक युवा अधिकारी बूंदी जिले की पुलिस अधीक्षक ममता गुप्ता (IPS) भी हैं जो पहले से ही महिलाओं एवं बालिकाओं के सशक्तीकरण के विभिन्न प्रयासों में जुटी हुई हैं।
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने किशोर स्वास्थ्य में सुधार की चुनौतियों और सिफारिशों को पहचानने और आगे बढ़ाने के लिए देश भर में पहले से ही युवाओं की अगुवाई वाले आठ परामर्श कार्यक्रम आयोजित किए हैं। पीएफआई उत्तर प्रदेश और बिहार में किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और विशेष रूप से निशक्तजनों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करने के लिए भी काम करता है। पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया एक राष्ट्रीय सामाजिक संगठन है, जो लैंगिक संवेदनशील जनसंख्या, स्वास्थ्य एवं विकास रणनीतियों और नीतियों के प्रभावी निर्माण व कार्यान्वयन को बढ़ावा देता है।
भारत रत्न जेआरडी टाटा ने 1970 में पीएफआई की स्थापना की थी। पीएफआई, महिलाओं और पुरुषों को सशक्त बनाने के लिए जनसंख्या के मुद्दों पर काम करता है, ताकि वे लोग अपनी प्रजनन क्षमता, स्वास्थ्य एवं कल्याण बारे में उचित निर्णय लेने में सक्षम हों।
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