नई दिल्ली। आने वाले समय में बासमती चावल की कीमतें मांग पर अधिक निर्भर होगी। बासमती चावल की कीमत निर्धारण में घरेलू पर विदेशी कारक महत्वपूर्ण साबित होंगे। कोविद-19 से उपजी परिस्थितियों के चलते बासमती चावल की कीमतें प्रभावित होने लग गई है और अल्पावधि में भी बासमती चावल की कीमतें प्रभावित होने की संभावना बनी रहेगी। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही में बासमती चावल की घरेलू बाजार में अच्छी उपलब्धता रहेगी और इसकी कीमतों पर दबाव बना रहेगा। मध्यम अवधि में बासमती चावल की कीमतों पर ईरान की परिस्थितियों का भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा क्योंकि ईरान कोविद-19 से बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और सऊदी अरब में भी इस बीमारी के चलते बासमती चावल की मांग प्रभावित हो रही है।
इक्रा की रिपोर्ट के अनुसार अभी भी प्रमुख निर्यात स्थलों पर वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है और लॉक डाउन व परिवहन के साधनों की कमी के चलते भी बासमती चावल इंडस्ट्री पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। ऐसा ही प्रभाव घरेलू स्तर पर भी पड़ रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2018 में बासमती चावल के निर्यात में 25% की वृद्धि दर्ज की गई थी जबकि वित्त वर्ष 2019 में भी बासमती चावल के निर्यात में 22% की वृद्धि दर्ज की गई थी लेकिन वित्त वर्ष 2020 के 9 माह में बासमती चावल का निर्यात अपेक्षाकृत कमजोर रहा है। इसके पीछे प्रमुख कारण ईरान से कमजोर मांग का होना भी है। वित्त वर्ष 2019 में कुल 32804 करोड रुपए का चावल निर्यात हुआ था जबकि वित्त वर्ष 2020 के 9 माह में अभी तक केवल 20 925 करोड़ रुपए का ही कारोबार हुआ है। वित्त वर्ष 2020 के चौथी तिमाही भी कमजोर रहने की आशंका है। देश के कुल बासमती निर्यात सबसे बड़ी यानी कि 33% हिस्सेदारी ईरान की है लेकिन गत वर्ष के मुकाबले ईरान के बासमती आयात में मात्रा के स्तर पर 13% और मूल्य के स्तर पर 11% की गिरावट दर्ज की गई है। सऊदी अरब भी भारत से बासमती चावल निर्यात करने वाला प्रमुख देश है और वहां पर भी इस बीमारी के प्रकोप के चलते आने वाले समय में बासमती चावल की मांग में कमी देखी जा सकती है। इन आधारों के चलते बासमती चावल की कीमतें आने वाले समय में नीचे के रुख के साथ ही आगे बढ़ेंगी।
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