जयपुर। कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 18 फरवरी, 2020 को देश के चना उत्पादन के दूसरे एडवांस्ड अनुमानित आंकड़े जारी किए गए थे। इसके अनुसार मार्केटिंग ईयर (अप्रैल-मार्च) 2020-21 में देश का चना उत्पादन 112.2 लाख टन होने का अनुमान है जबकि मार्केटिंग ईयर (अप्रैल-मार्च) 2019-20 में देश में चना उत्पादन 99.4 लाख टन हुआ था और करीब 3.48 लाख टन चने का आयात और 0.96 लाख टन चने का निर्यात किया गया था।
मंडियों में चने की आपूर्ति
गौरतलब है कि गत वर्ष 1 अप्रैल से 15 अप्रैल तक देश की मंडियों में 395106 मीट्रिक टन चने की आपूर्ति हो चुकी थी जबकि वर्तमान वर्ष के 1 अप्रैल से 15 अप्रैल तक देश की मंडियों में मात्र 24732 मीट्रिक टन चने की आपूर्ति हुई है जोकि गत वर्ष के मुकाबले 94% की कमी दिखाता है।
इसी प्रकार गत वर्ष 1 अप्रैल से 15 अप्रैल तक देश की मंडियों में 44505 मीट्रिक टन काबुली चने की आपूर्ति हो चुकी थी जबकि वर्तमान वर्ष के 1 अप्रैल से 15 अप्रैल तक देश की मंडियों में मात्र 3582 मीट्रिक टन काबुली चने की आपूर्ति हुई है जोकि गत वर्ष के मुकाबले 92% की कमी दिखाता है। यह सब कोरोनावायरस और लॉकडाउन के कारण मंडी बंद होने से हुआ है। अब मंडियां खुलने से चने की आपूर्ति में बढ़त होने की संभावना है।
दलहन एवं चने का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य
प्राप्त समाचारों के अनुसार देश में वर्ष 2020 21 में 3 मिलियन टन दलहन का आयात किया जाएगा। वही 13 राज्यों को दाल खरीद के मंजूरी मिल चुकी है और वे राज्य अपनी कुल उपज का 25 फ़ीसदी तक खरीद सकते हैं। केंद्र सरकार ने दलहन खरीद के लिए 1250 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। गर्मियों में होने वाली दलहन की बुवाई 3.01 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 3.97 लाख हेक्टेयर दर्ज की गई है। लॉक डाउन के दौरान मध्यप्रदेश में 70% गेहूं और 95% चने की कटाई पूर्ण हो चुकी है। वर्ष 2019-20 में मध्यप्रदेश में 2.7 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल पर चने की बुवाई की गई थी जोकि पूरे देश का करीब 25% है और चने के उत्पादन में यहां की भागीदारी 11.2 मिलियन टन रही है जोकि पूरे देश का करीब 50 फीसदी है। देश में दलहन और तिलहन की खरीद के लिए नेफेड तेजी से आगे आया है। कनाडा की सरकार ने मार्च में जारी चना निर्यात के संभावित आंकड़ों में कटौती की है क्योंकि उनका अनुमान है कि पाकिस्तान से चना आयात में कमजोरी दर्ज की जाएगी। इससे वहां तेजी से चने का स्टॉक बढ़ने की संभावना है। यूएसडीए के अनुमानों के अनुसार अमेरिका में चने का उत्पादन 2.83 लाख टन रहने का अनुमान है जोकि वर्ष 2018-19 के मुकाबले करीब 50% कम है। भारत से कमजोर मांग के चलते ऑस्ट्रेलिया में भी चने का उत्पादन औसत उत्पादन से कमजोर रहा है। वहां के सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019-20 में ऑस्ट्रेलिया चने का उत्पादन 2.81 मीट्रिक टन दर्ज किया गया है जोकि गत वर्ष वर्ष 2.82 मीट्रिक टन था।
क्या होगा आगे?
लॉक डाउन में ढील के चलते चने की आपूर्ति बेहतर होने से मांग भी बढ़ने की संभावना है। आंशिक रूप से रेस्टोरेंट्स इत्यादि की गतिविधियां होने से भी चना दाल की मांग में सुधार होने की संभावना है। वहीं अब मंडियों में तेज गति से चना आना शुरू हो जाएगा। इस वर्ष उत्पादन भी अच्छा है। लेकिन कोरोनावायरस व लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था के वही हालत है जो नोटबंदी के समय थे। ऐसे में लोगों की खरीद क्षमता प्रभावित होने की संभावना है। ऐसी स्थितियों को देखते हुए चने में किसी बड़ी तेजी की संभावना नहीं नजर आती हालांकि अल्पावधि में चने में घटत- बढ़त जारी रहेगी। ऐसा लगता है कि आने वाले 6 महीने में चना नीचे में 3700 और ऊपर में 4300 रुपए की रेंज में कारोबार करना चाहिए।
नोट- चने की खरीद के लिए अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए। किसी भी प्रकार के लाभ व नुकसान के लिए कारोबार टुडे की टीम जिम्मेदार नहीं होगी।
No comments:
Post a Comment