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Friday, April 24, 2020

लहसुन के तेल का इस्तेमाल कर कोविड रोधी दवा बनाने के काम में जुटे वैज्ञानिक





SCIENTISTS WORKING ON ANTI COVID DRUGS USING GARLIC ESSENTIAL OIL


नई दिल्ली। मोहाली में बायोटेक्नोलॉजी सेंटर ऑफ इनोवेटिव एंड एप्लाइड बायोप्रोसेसिंग (डीबीटी-सीआईएबी) विभाग ने ऐसी अनेक अनुसंधान परियोजनाएं बनाई है जिनका उद्देश्य ऐसे उत्‍पाद तैयार करना है जिनका इस्‍तेमाल घातक कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम, निदान या इलाज के लिए किया जा सकता है जो वर्तमान में पूरी दुनिया में बड़े पैमाने पर फैला हुआ है।
इस योजना को इसके वैज्ञानिकों की विशेषज्ञता का उपयोग करने के लिए तैयार किया गया है, जो रसायन,रासायनिक इंजीनियरिंग,जैव प्रौद्योगिकी,आणविक जीव विज्ञान,पोषण,नैनो प्रौद्योगिकी सहित अनुसंधान के विविध वर्गों से आते हैं।
रोग निरोधी प्‍लेटफॉर्म के अंतर्गत,संस्थान ने एंटीवायरल कोटिंग सामग्री विकसित करने के लिए काष्‍ठ अपद्रव्‍यता (लिग्निन) से उत्‍पन्‍न नोबल धातु नैनोकम्पलेक्सोंऔर चिकित्सा शास्‍त्र प्लेटफॉर्म के तहत रोज़ ऑक्साइड-समृद्ध सिट्रोनेला तेल, कार्बोपोल और ट्राइथेनोलामाइन युक्त अल्कोहल सैनिटाइज़र का उपयोग करने पर काम करने की योजना बनाई है,इसमें पोलीपायरोलिक फोटोसेन्‍सीटाइजरों और एंटीवायरल फोटोडायनामिक थेरेपी,इम्युनोमोडायलेटरी के माइक्रोबियल उत्पादन और संक्रमण रोधी फ्रक्‍टन बायोमॉलिक्‍यूल्‍सतथा कोरोना संक्रमण से पीडि़त व्‍यक्ति की छाती में भारीपन (कंजेशन) को कम करने के लिए नैजल स्प्रे किट के विकास और उसके व्‍यावसायिक निर्माण के लिए उसके नैनो संरूपण पर मुख्‍य रूप से ध्‍यान दिया जाएगा।
दवा की खोज प्लेटफ़ॉर्म के अंतर्गत, इस अनुसंधान से सार्स-सीओवी-2को रोकने के लिए एसीई 2 प्रोटीन अवरोधक के रूप में फलों के बीज और छिलकों तथा लहसुन के कुदरती तेल के प्रयोग से चिकित्सीय और मूल्यवान औषधीय घटकों को अलग करने के बारे में पता लगाया जाएगा।
इसके अलावा, संक्रमण रोधी दवा की डिलीवरी की संभावना और न्‍यूट्रास्‍युटिकल के रूप में करक्यूमिन फोर्टीफाईड छाछ प्रोटीन पाउडर का उपयोग करने के साथ एंटीवायरललिग्निन से उत्‍पन्‍न नैनोकैरियर्स (एलएनसी) के विकास के लिए भी अध्‍ययन किया जाएगा।
शोधकर्ता उन उत्पादों के साथ बाहर आने का प्रयास करेंगे जो जैव-रासायनिक,किफायती कम लागत वाले हैं और जिनका आकार बदला जा सकता है। इन्‍हें छह महीने से एक वर्ष की समय-सीमा के साथ व्‍यवस्थित किया गया है। अध्ययन बीएसएल-3 सुविधा के साथ रासायनिक उद्योगों और अन्य सरकारी प्रयोगशालाओं के सहयोग से किया जाएगा।

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