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Thursday, April 30, 2020

रिकॉर्ड खाद्यान्‍न उत्पादन के साथ बागवानी फसलों का रिकार्ड उत्पादन- फुल रिपोर्ट


record foodgrain production. From 285.20 million tonnes in 2018-19, this FY the estimated foodgrain production is set to reach 291.95 million tonnes and for the next fiscal a target of 298.3 million tonnes is fixed.




298.3 मिलियन टन रिकॉर्ड खाद्यान्‍न उत्‍पादन की उम्मीद
अकेले पीएम-किसान स्कीम में महीनेभर में किसानों को दिए 17,986 हजार करोड़ रू.
प्रारंभ से अब तक 9.39 करोड़ किसान परिवार लाभान्‍वित, 71,000 करोड़ रू. अंतरित
पीएमएफबीवाई से किसानों को लाभ, 9,214 करोड़ रू. प्रीमियम के बदले 50,289 करोड़ रू. भुगतान



नई दिल्ली। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) स्कीम में ही गत 24 मार्च से अब तक करीब एक महीने में किसानों के खातों में 17,986 करोड़ रूपए जमा किए गए हैं। प्रारंभ से अब तक 9.39 करोड़ किसान परिवार लाभान्वित हुए हैं तथा 71,000 करोड़ रू. की राशि अंतरित की जा चुकी है।
 केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि किसानों को 24 मार्च 2020 से अब तक 17,986 करोड़ रू. अंतरित किए हैं। प्रारंभ से अब तक 9.39 करोड़ किसान परिवार लाभान्‍वित हुए हैं तथा इस संबंध में 71,000 करोड़ रू. की राशि अंतरित की गई है। एक अप्रैल से 31 जुलाई 2020 की अवधि के लिए देय किस्‍त का अप्रैल के पहले पखवाड़े की अवधि के भीतर 8.13 करोड़ लाभार्थियों को भुगतान कर दिया गया था।
रिकॉर्ड खाद्यान्‍न उत्पादन- तोमर ने बताया कि वर्ष 2018-19 में 285.20 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ था, जबकि 2019-20 (अनुमानित) में यह आंकड़ा 291.95 मिलियन टन है और अब 2020-21 (लक्षित) में 298.3 मिलियन टन उत्पादन की उम्मीद है। दलहन के उत्‍पादन में 28.3 प्रतिशत की वृद्धि करके प्रोटीन क्रांति लाई गई है, जिसके तहत वर्ष 2014-15 में दलहन का उत्‍पादन 17.20 एमटी से बढ़कर 2019-20 में 23.02 एमटी हो गया। ग्रीष्‍मकालीन फसलों पर विशेष ध्‍यान दिए जाने के कारण पिछले वर्ष 41.31 लाख हेक्‍टेयर के सापेक्ष इस वर्ष 57.07 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र पर बुआई की गई है, जो कि 38 प्रतिशत ज्यादा है।
बागवानी फसलों का रिकार्ड उत्पादन - वर्ष 2018-19 में 310.74 मिलियन टन, 2019-20 (अनुमानित) में 313.35 मिलियन टन बागवानी फसलों का रिकार्ड उत्‍पादन।




रियायती संस्‍थागत ऋण के लिए सार्वभौमिक पहुंच- कृषि मंत्री ने बताया कि पीएम-किसान लाभार्थियों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के लाभ दिए जाने हेतु फरवरी 2020 में केसीसी सेच्‍यूरेशन अभियान चलाया गया था। केसीसी के तहत पंजीकरण प्रक्रिया को एक पृष्ठ वाला प्रपत्र बनाकर सरल कर दिया गया है तथा इस संबंध में केवल ज़मीन के दस्‍तावेज की प्रति ही प्रस्‍तुत की जाएगी। बैंकों को तब से लेकर अब तक पीएम-किसान लाभार्थियों से 75 लाख से अधिक आवेदन प्राप्‍त हुए है। लगभग 20 लाख आवेदकों को करीब 18 हजार करोड़ रू. स्‍वीकृत भी कर दिए गए हैं।
रबी फसलों की एमएसपी -  तोमर ने बताया कि वर्ष 2019-20 में रबी फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि करके किसानों को दिवाली का उपहार दिया गया था। विभिन्‍न फसलों की उत्‍पादन लागत के सापेक्ष 50 प्रतिशत से 109 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई थी। गेहूं और जौ की एमएसपी में 85 रू., चने में 255 रू., मसूर में 325 रू. और सरसों की एमएसपी में 225 रू. प्रति क्‍विंटल की वृद्धि की गई। 25,637 करोड़ रू. की कीमत वाली 54.46 लाख एमटी दलहन और तिलहन की खरीद के लिए स्‍वीकृति जारी कर दी गई है। रबी फसल के दलहन-तिलहन से संबंधित केंद्रों को पिछले वर्ष 1485 के सापेक्ष इस वर्ष 2790 अर्थात दोगुना कर दिया गया है। जैसे-जैसे खरीद बढ़ेगी, आवश्‍यकतानुसार और अधिक केंद्र खोले जाएंगे। रमेश चंद्र ने बताया कि खरीद केंद्रों में करीब 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
पीएम फसल बीमा योजना -तोमर ने जानकारी दी कि किसानों की मांग पूरी करने के लिए इस स्‍कीम को सभी किसानें के लिए स्‍वैच्‍छिक बनाया गया है। प्रीमियम में किसानें के हिस्‍से में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। मंत्रालय के अनुसार, अब भारत सरकार पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के लिए पहले की अपेक्षा 50 प्रतिशत के बजाय 90 प्रतिशत प्रीमियम राजसहायता देयता को वहन करेगी।  तोमर के अनुसार, पीएमएफबीवाई से किसानों को हुए लाभ को इससे ही समझा जा सकता है कि 9,214 करोड़ रू. की प्रीमियम के बदले 50,289 करोड़ रू. का भुगतान किया गया है। अधिकांश राशि का भुगतान लाकडाउन अवधि के दौरान कर दिया गया, जिससे किसानों को राहत मिली है।

किसान कल्याण हेतु तकनीक- एक नई तकनीक के साथ ई-नाम को किसानों की सहायता के लिए प्रस्तुत किया गया है। 2 अप्रैल 2020 को ई-नाम में 3 नए मॉड्यूल लॉन्च किए गए थे-
वेयरहाउस आधारित ट्रेडिंग मॉड्यूल: ई-एनडब्ल्यूआर के साथ ई-नाम को एकीकृत किया।
एफपीओ मॉड्यूल: जो सीधे अपने संग्रह केंद्रों से उपज, बोली और भुगतान अपलोड करने में सक्षम बनाता है। एफपीओ आसपास के शहरों और कस्बों में भी सब्जियों की आपूर्ति कर रहे हैं। माल की आवाजाही और उसके व्यापार से उत्पन्न सभी समस्याओं का समाधान वास्तविक समय (रियल टाइम) के आधार पर किया जाता है। राज्यों ने पहले ही एफपीओ के लिए पास/ई-पास जारी करने का निर्णय ले लिया है। किसानों और व्यापारियों के लिए कृषि उपज की आवाजाही के सही तरीके की पहचान करने के लिए “किसान रथ” ऐप लॉन्च किया है। लॉजिस्टिक्स एग्रीगेटर्स के ऊबराइजेशन मॉड्यूल के रूप में 11.37 लाख से अधिक ट्रक और 2.3 लाख ट्रांसपोर्टर पहले से ही इस मॉड्यूल से जोड़ दिए गए हैं। इसी तरह, अखिल भारतीय कृषि परिवहन कॉल सेटर शुरू किया गया है। इस सेंटर की स्‍थापना सब्‍जी, फलों और कृषि आदानों जैसी नाशवान जिंसों की अंतर्राज्‍यीय ढुलाई के लिए राज्‍यों के बीच समन्‍वय के लिए की गई है। कॉल सेटर के नंबर 18001804200 और 14488 हैं।
लॉकडाउन अवधि के दौरान रेलवे ने तीव्र गति से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने के लिए 567 पार्सल स्पेशल (जिसमें से 503 टाइम टेबल पार्सल ट्रेनें हैं) ट्रेनों के परिचालन हेतु 67 मार्ग निर्धारित किए। इन ट्रेनों ने देश भर में 20,653 टन खेप पहुंचाई है।
लॉकडाउन के दौरान खेती के लिए की गई विशेष छूट- खेत में किसानों व श्रमिकों द्वारा खेती कार्य करने के साथ ही खेती-किसानी के संबंध में लॉकडाउन के दौरान विशेष छूट दी गई है।

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