जयपुर। कॉटन वायदा 16200 से 16300 तक जा सकता है। अमेरिकी कृषि विपणन विभाग के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय मिलो में कॉटन की खपत पिछले वर्ष के मुकाबले 2% अधिक रह सकती है। खपत में थोड़ी वृद्धि की संभावना है क्योंकि लॉक डाउन के बाद टेक्सटाइल मिलों का संचालन शुरू हो गया है और रिकवरी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। निर्यात के मोर्चे पर, भारतीय निर्यातकों को अमेरिका और ब्राजील के निर्यातकों से प्रतिस्पर्धा मिलने की संभावना है क्योंकि उनके भी कई निर्यात आदेशों को निरस्त किया गया है और उनके पास काफी मात्रा में बिना बिका हुआ माल पड़ा है। इसके अलावा देश में कपास आयात में भी गिरावट दर्ज की जा सकती है। रुपया कमजोर होने के चलते उच्च एवं प्रीमियम ग्रेड के लिए ही कपास की खरीद होगी।
चना वायदा जून को 4130 पर रुकावट का सामना करना पड़ सकता है और यह है 4050 रुपए तक गिर सकता है। कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग के नवीनतम अपडेट के अनुसार देश में अब तक दलहन की बुवाई गत वर्ष में दर्ज 5.92 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 10.35 लाख हेक्टेयर में दर्ज की गई है। मेंथा ऑयल जून वायदा में भी नरमी का रुख देखा जा सकता है और इसे ऊपर में 1160 रुपए पर रजिस्टेंस मिल सकता है और यह नीचे में 1120 का स्तर छू सकता है। इस मौसम में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में करीब 200000 हेक्टेयर में इसकी खेती दर्ज की गई है और उत्तर प्रदेश सरकार किसानों की हर संभव मदद कर रही है। इसकी फसल खरीफ गर्मी और सर्दी की फसलों के बीच के समय में होती है और यह है सिंचित भूमि में होती है। इसलिए यह फसल मानसून की वर्षा पर निर्भर नहीं होती। इस बार पानी की अच्छी उपलब्धता है।
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