आधुनिक कृषि तकनीकों के चलते अब किसान पहले के मुकाबले बेहतर आय अर्जित कर रहे हैं। अन्य व्यक्तियों के समान किसान को भी भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए अपनी बचत पूंजी में से निवेश की रणनीति बनानी चाहिए। किसान को निवेश से प्राप्त होने वाले रिटर्न के साथ सुरक्षित निवेश के साधन को अपनाना चाहिए। क्योंकि हमने देखा है की कई प्रकार की पोंजी निवेश स्कीमों में अन्य लोगों के समान किसानों ने भी बहुत सी राशि व्यर्थ की है। इसके साथ ही किसान को निवेश की अवधि, पूंजी की आवश्यकता कब पड़ेगी ?, उसकी अनुपस्थिति में परिवार की देखभाल के लिए आवश्यक पूंजी कितनी हो ? इत्यादि प्रश्नों की सूची बनानी चाहिए। इसके साथ ही समय का आंकलन भी आवश्यक है। जैसे कि किसान को यह सोचना चाहिए कि आज मेरी आयु कितनी है और मैं कितने साल और काम करूंगा? जैसे किसी किसान की आयु 35 वर्ष है और वह सोचता है कि वह 60 वर्ष तक ही किसानी करेगा तो उसके पास कमाई का समय 25 वर्ष ही है।
किसान को अपने पैसे यहां निवेश करने चाहिए।
1. खेती की जमीन- किसी भी व्यक्ति के लिए वहां निवेश करना सबसे ज्यादा सुरक्षित और अधिक रिटर्न देने वाला साबित होता है जिस विषय में उसे विशेषज्ञता हासिल होती है। किसान के लिए विशेषज्ञता का क्षेत्र खेती ही है। इसलिए अगर किसान के पास पैसा है तो उसे खेती की जमीन में निवेश करना चाहिए। किसान को मिट्टी का उपजाऊपन ,भूजल का स्तर, क्षेत्र, मालिकाना हक, लाभकारी फसल इत्यादि विषयों के संबंध में तथ्यात्मक जानकारी हासिल करके ही खेती की जमीन खरीदनी चाहिए। साथ ही किसान को नई- नई तकनीक और अन्य संबंधित कारोबार जैसे दुग्ध उत्पादन में अपनी पूंजी को निवेश करना चाहिए। इससे किसान की आय बढ़ेगी और आय में स्थिरता भी आएगी।
2. मनी मार्केट में निवेश - मनी मार्केट में निवेश से मतलब स्टॉक मार्केट, म्यूचल फंड और एनसीडी में निवेश से होता है। प्रत्यक्ष तौर पर शेयर बाजार में सीधा निवेश करना किसान के लिए मुश्किल हो सकता है। लेकिन फिर भी किसान उन कंपनियों में अपनी बचत का 5 से 10% निवेश कर सकता है जिसके बारे में उसे अच्छी जानकारी है। जैसे कि किसान बीज, उर्वरक, ट्रैक्टर आदि खरीदता है और उसे इनसे संबंधित कंपनियों की जानकारी भी होती है। किसान अगर सोचता है कि इनसे संबंधित कंपनियां आने वाले 20 से 30 साल में अच्छा कारोबार करती रहेंगी और वृहद आकार लेंगी तो उसे इन कंपनियों में निवेश करना चाहिए। जैसे कि बीज की कंपनियों में मोनसेंटो, उर्वरक की कंपनियों में चंबल फर्टिलाइजर और ट्रैक्टर की कंपनियों में महिंद्रा एंड महिंद्रा।
यह कंपनियां यहां उदाहरण के तौर पर बताई गई है , किसान अपना निर्णय स्वयं लेवे। म्यूचल फंड में भी दीर्घावधि के लिए कुछ चुनिंदा कंपनियों के सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान में बचत की कुछ राशि किसान को डालनी चाहिए। एनसीडी जैसे अधिक ब्याज वाले साधनों में किसान को सिर्फ सरकारी कंपनियों पर ही भरोसा करना चाहिए। क्योंकि कई बड़ी कॉरपोरेट कंपनियां भी एनसीडी का पैसा चुकाने में पूर्व में विफल रही हैं।
3. सोने में निवेश- भूतकाल से ही किसान सोने में निवेश को निवेश का प्रमुख साधन मानता आया है। विपत्ति में सोना तुरंत बिकने वाला होता है। किसान सोने को अपने घर की महिलाओं के आभूषण के तौर पर खरीदता है। किसान को अपने निवेश की 10 से 20% राशि सोने में भी निवेश करनी चाहिएं। किसान को सोने में निवेश गोल्ड इटीएफ के माध्यम से भी करनी चाहिए क्योंकि इससे सोने की औसत में खरीद होती है जिससे गिरावट की कीमतों पर भी किसान को सोने में खरीद का मौका मिलता है।
4. बीमा में निवेश- कुछ बीमा के एजेंट गांव में किसानों को जीवन बीमा में अच्छे रिटर्न के नाम पर निवेश करवाते हैं। लेकिन किसान को यहां यह ध्यान रखना चाहिए कि बीमा उतना ही लेना है जो विपत्ति काल में उसके परिवार के काम आ सके। इसके लिए आसान रणनीति यह है कि किसान को देखना चाहिए की उसकी अनुपस्थिति में कितनी राशि पर्याप्त होगी उसके परिवार के समस्त भरण पोषण व अन्य खर्चों के लिए। उदाहरण के तौर पर माने कि यह राशि ₹100 है तो किसान को उठना ही बीमा लेना चाहिए जो इस राशि को कवर करे। जीवन बीमा लेने के लिए सरकारी व प्रमुख प्राइवेट कंपनियों पर ही भरोसा करना चाहिए। जैसे कि भारतीय जीवन बीमा निगम, एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस, एचडीएफसी आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल इत्यादि। इसके साथ ही किसान को स्वास्थ्य बीमा भी लेना चाहिए जोकि विपत्ति के समय उसके काम आए।
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