जयपुर। आज से कुछ वर्षों पूर्व मोहाली स्थित नेशनल एग्री फूड बायो टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट की वैज्ञानिक डॉक्टर मोनिका गर्ग ने काले गेहूं का बीज विकसित किया था। आज यह काला गेहूं कई स्वास्थ्य गुणों से भरपूर होने के कारण चर्चा का विषय बना हुआ है। अब कमोडिटी उत्पाद का कारोबार करने वाली कंपनियों ने भी काला गेहूं में दिलचस्पी दिखाई है। गत शुक्रवार को राजस्थान के गंगानगर आधारित कंपनी विकास डब्ल्यूएसपी लिमिटेड ने भारत सरकार की डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री के अंतर्गत आने वाले नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित काले गेहूं की नई किस्म की खरीद के लिए संस्था के साथ एमओयू किया है। इसमें एंथोसायनानिन्स नेचुरल पिगमेंट- स्ट्रांग एंटीऑक्सीडेंट की उच्च मात्रा है जो कि कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ उपलब्ध करवाता है।
इस करार के अंतर्गत विकास डब्ल्यूएसपी लिमिटेड एनएबीआई के लोगो व प्रमोशन मटेरियल के साथ संस्था के मार्गदर्शन में काले गेहूं के आटे की घरेलू मार्केट के अलावा विदेशों में मार्केटिंग करेगी।
कंपनी ने एनएबीआई की निविदा में 65 क्विंटल काले गेहूं के बीज हासिल किए हैं। यह बीज सर्दियों में गेहूं की फसल लगाने में काम आएंगे।
उल्लेखनीय है कि काले गेहूं में कई सारे स्वास्थ्य गुणों के चलते मार्केट में इसके प्रति आकर्षण बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार कालेे गेहूं का आटा शुगर की बीमारी में बहुत लाभदायक है। इसको देखते हुए कहा जा सकता है कि जल्द ही मार्केट में काले गेहूं का जादू छायेेगा।
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