जयपुर। नियमों में शिथिलता देकर 604 ग्राम सेवा सहकारी समितियों को गौण मंडी घोषित किया गया। इन गौण मंडियों में 427 गौण मंडियों ने किसानों को खेत के समीप ही उपज बेचान की सुविधा प्रदान की।
प्रदेश में हो रही खरीद में 427 ग्राम सेवा सहकारी समितियां एवं क्रय-विक्रय सहकारी समितियां गौण मंडी के रूप में सक्रिय रूप से कार्य कर रही है।बीकानेर संभाग में 141, उदयपुर संभाग में 71, जोधपुर संभाग में 66, अजमेर संभाग में 42, जयपुर संभाग में 40, भरतपुर संभाग में 39 तथा कोटा संभाग में 28 सहकारी समितियों गौण मंडी का कार्य कर रही है। इन गौण मंडियों के संचालन में सहकारिता के साथ कृषि विभाग के अधिकारियों का भी भरपूर सहयोग रहा।
6 लाख 13 हजार क्विंटल उपज का विक्रय
गौण मंडी सहकारी समितियों के 31 मई तक के आंकड़ों पर गौर करे तो 15 हजार से अधिक किसानों से 16 फसलों को गौण मंडी प्रांगण से विक्रय किया गया। जिसके पेटे 135 करोड़ रूपए से अधिक का भुगतान किसानों को हुआ। 6 लाख 13 हजार 729 क्िंवटल से अधिक उपज बेची गई। मंडी शुल्क के रूप में 1.66 करोड़ रूपए की आय हुई। जिसमें से लगभग 1 करोड़ रूपए सहकारी समितियों को प्राप्त हुए।
पहले जहां किसान को 20-25 किलोमीटर दूर मंडी में उपज बेचने जाना होता था लेकिन इस व्यवस्था से यह दूरी घटकर 2 से 5 किलोमीटर हो गई। लॉकडाउन के दौरान टे्रक्टर सहित अन्य वाहनों की किल्लत भी थी। ऎसे में सैम्पल के आधार पर ही बोली लग जाती थी और स्थानीय स्तर पर ही प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य में उपज बिकने से किसान की वित्तीय जरूरतें भी पूरी हुई। अधिक किसानों के मंडी में जाने पर सोशल डिस्टेंसिंग में भी समस्या रहती है गौण मंडियां बनने से इसका लाभ हुआ।
16 फसलों की बिक्री, बीकानेर संभाग रहा अव्वल
427 गौण मंडी सहकारी समितियों के प्रांगण से किसानों ने 16 फसलों जिनमें गेहूं, बाजरा, सरसों, चना, मक्का, तारामीरा, जौ, मैथी, मसूर, सोयाबीन, अरंडी, लहसुन, अलसी, ग्वार, मौठ एवं इसबगोल को विक्रय किया। संभागों में सर्वाधिक बीकानेर संभाग से 6 हजार 464 किसानों ने 4 लाख 47 हजार 569 क्विंटल उपज बेची। जिसकी राशि 75.80 करोड़ रूपए है। गंगानगर जिले के ही 6 हजार 117 किसानों ने 4.39 लाख क्विंटल उपज का बेचान गौण मंडी सहकारी समितियों के माध्यम से किया।
सहकारी समितियों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई
सहकारी समितियों को गौण मंडी का दर्जा मिलने से इनकी आय में बढ़ोतरी हुई। सरकार ने निर्णय लिया कि मंडी टैक्स का 60 प्रतिशत गौण मंडी सहकारी समितियों के पास रहेगा। इस प्रकार करीब 1 करोड़ रूपए इन समितियों को मिले। इससे समितियों अपने अन्य व्यवसाय में वृद्धि करेगी। गौण मंडी कार्य में लगे कार्मिकों को 10 प्रतिशत राशि प्रोत्साहन के रूप में भी मिल रही है। आज भी अधिकांश समितियां खाद-बीज एवं ऋण वितरण तक ही सीमित है लेकिन इस पहल ने सहकारिता की मजबूती की दिशा में एक नई सोच दी है।
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