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Friday, July 24, 2020

पिछले 10 सालों में ₹4000 पर सरसों खरीद करने वालों ने कमाया है


Price trend of mustard seed



जयपुर। पिछले 10 सालों का सरसों का मंथली चार्ट देखें तो यह पता चलता है की यह नीचे में ₹3600 और ऊपर में ₹5000 के दायरे में चलती है। हर बार सरसों ने हाईअर लो हाईअर हाई फॉरमेशन बनाया। कहने का तात्पर्य यह है कि सरसों ने पिछले 10 सालों में 3300, 3600, 3800  और अभी लॉकडाउन के दौरान करीब 3900 का लो बनाते हुए ₹4800 रुपए तक तेजी दर्ज की है। लेकिन सरसों में ऐसा नहीं देखा गया कि कोई बबल बना हो जैसा कि पूर्व में गवार, हल्दी, मिर्च, धनिया इत्यादि में बना था और भाव कई गुना हो गए थे। पिछले 10 सालों का अगर चार्ट देखें तो यह समझेंगे कि जिसने भी सरसो को ₹4000 के स्तर पर खरीदा उसे एग्जिट का मौका मिला और उसने पैसा कमाया लेकिन जिसने भी 4600 से ₹5000 रुपए पर सरसों को खरीदा उसे ज्यादा लाभ नहीं हुआ और कहीं ना कहीं नुकसान ही हुआ। अब सरसों फिर अपर रेंज में है। सरकार द्वारा नियमित रूप से कमोडिटी के समर्थन मूल्य बढ़ाकर किसानों की आय में इजाफा करने का प्रयास किया जा रहा है और उन्हें विशेषकर तिलहन की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। 
   सरसों का फंडामेंटल- गौरतलब है कि दुनिया में सोया तेल और पाम तेल के बाद सरसों तेल सबसे प्रमुख वेजिटेबल ऑयल है। सोया मील के बाद सरसों मील दूसरा सबसे प्रमुख प्रोटीन का स्रोत है। सरसों में 
33 से 46% ऑयल कंटेंट होता है और मुख्य रूप से इसमें 32 से 38% ऑयल की रिकवरी होती है। रबी सीजन में इसकी बुआई होती है और फरवरी-मार्च तक बाजारों में इसका उत्पादन बिक्री के लिए आता है।  

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