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Tuesday, July 21, 2020

मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में सोयाबीन की बुवाई सामान्य- सोपा



Soybean sowing update by sopa




जयपुर। सोया सेक्टर के हितार्थ कार्य करने वाली संस्था दी सोयाबीन प्रोसेसर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में सोयाबीन की बुवाई के संबंध में अपडेट जारी किया है। संस्था के सर्वे के अनुसार उक्त राज्यों में सोयाबीन की फसल की बुवाई सामान्य है। मध्य प्रदेश में सोयाबीन की बुवाई 55.070 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में की गई है। यहां पर सोयाबीन की बुवाई जून के दूसरे सप्ताह से लेकर जुलाई के पहले सप्ताह तक पूरी हो चुकी है। करीब 50% फसल पर फूल आ चुके हैं। बाकी फसल में 10 से 15 दिन में फूल आ जाएंगे। यहां अभी तक फसल की स्थिति सामान्य है। यहां पर अगले 5 से 7 दिनों में वर्षा की आवश्यकता है अन्यथा नमी की कमी के कारण उत्पादन में नुकसान होगा। यहां पर सबसे ज्यादा प्रचलित वैरायटी जेएस 95-60 है जो कि जल्दी तैयार हो जाती है। यहां की अधिकांश फसल कीट और शैवाल से मुक्त है। लेकिन कुछ इलाकों में चना फली वेधक, तंबाकू इल्ली और हरी लट का प्रकोप देखा जा रहा है। इनका कीटनाशकों से प्रभावी तरीके से सफाया किया जा रहा है। निमार संभाग के कुछ इलाकों में येलो वायरस का प्रकोप भी देखा जा रहा है। 
    महाराष्ट्र में सोयाबीन की बुवाई 35.175 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में हुई है। यहां पर जून के दूसरे सप्ताह से लेकर जुलाई के दूसरे सप्ताह तक सोयाबीन की बुवाई हुई है। यहां के लगभग 20 से 25% क्षेत्रफल में फिर से बुवाई हुई है क्योंकि पहली बुवाई में अच्छी तरीके से अंकुर नहीं फूटे थे। यहां पर फसल की स्थिति सामान्य है। लातूर, उस्मानाबाद और बीड जिलों में अगले 5 से 7 दिनों में वर्षा की आवश्यकता है। अन्यथा नमी की कमी के चलते यहां पर फसल प्रभावित होने की आशंका है। यहां पर प्रचलित सोयाबीन की वैरायटी जेएस 335 दर्ज की गई है। यहां की अधिकांश फसल कीट और शैवाल से मुक्त है। लेकिन कुछ इलाकों में चना फली वेधक, तंबाकू इल्ली और हरी लट का प्रकोप देखा जा रहा है। इनका कीटनाशकों से प्रभावी तरीके से सफाया किया जा रहा है। 
     राजस्थान में सोयाबीन की बुवाई 9.808 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में हुई है। यहां पर जून के दूसरे सप्ताह से लेकर जुलाई के दूसरे सप्ताह में सोयाबीन की बुवाई हुई है। यहां पर फसल की स्थिति सामान्य है और अगले 5 से 7 दिनों में वर्षा की आवश्यकता है। यहां पर सबसे ज्यादा प्रचलित वैरायटी जेएस 95-60 है जो कि जल्दी तैयार हो जाती है। यहां की अधिकांश फसल कीट और शैवाल से मुक्त है। लेकिन कुछ इलाकों में चना फली वेधक, तंबाकू इल्ली और हरी लट का प्रकोप देखा जा रहा है। इनका कीटनाशकों से प्रभावी तरीके से सफाया किया जा रहा है। 

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