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Thursday, August 6, 2020

सरसों कई सालों बाद 5000 पार, माल बेचने और मुनाफा बुक करने का समय


Rmseed fundamental report



जयपुर। पिछले कुछ महीनों में सरसों के बाजार तेजी से बढ़े हैं, जिससे स्टॉकिस्टों और किसानों को उनकी खरीद / उत्पादन लागत पर अच्छा रिटर्न मिला है। पिछले वर्ष की कीमतों में ठहराव देखा गया था, लेकिन इस वर्ष इसकेेेेे भाव तेजी से बढ़े  हैं, और पीक मौसम में कीमतें लगभग 35%  अधिक हैं। वास्तव में, सरसों इतने सालों के बाद 5000 के स्तर को पार कर गई है। खाद्य तेलों में तीव्र मांग को  तेजी के लिए जिम्मेदार मानाा जा सकता है। 2019-2020 में किसानों द्वारा बेहतर मूल्य पारिश्रमिक मिलने के कारण इस वर्ष बुवाई क्षेत्र में वृद्धि के अनुमान हैं। मार्च और अप्रैल के महीनों के दौरान हरियाणा और राजस्थान के क्षेत्रों में भारी वर्षा के कारण पुराने मौसम की फसल का अनुमान कमजोर रहा।

गौरतलब है कि सरसों डेरिवेटिव और थोक कीमतें इस सप्ताह 5000 रुपए के स्तर को पार कर कर गई हैं। व्यापारियों और किसानों के अनुसार फसल में लगभग 20-25% नुकसान संभावित है।  घरेलू उपभोग में वृद्धि के कारण सरसों के तेल की माँग स्वस्थ रहती है। सरकार से खरीद ने भी मूल्य वृद्धि का समर्थन किया था। हरियाणा कृषि मंत्रालय के अनुसार, सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य 4,425 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीद की गई। व्यापार स्रोतों के अनुसार राजस्थान और हरियाणा के प्रमुख उत्पादक राज्यों में इस वर्ष कुल खरीद 12 लाख टन तक पहुंच गई है। कुल मिलाकर, सरसों की खरीद एक संतोषजनक गति के साथ समाप्त हुई।
अप्रैल के महीने में सरसों की खरीद हरियाणा के 165 खरीद केंद्रों पर शुरू हुई जबकि गत वर्ष केवल 64 खरीद केंद्रों पर खरीद की गई थी। कोरोना को देखते हुए केवल 100 किसानों को खरीद केंद्र पर आने की मंजूरी दी गई।
 गुजरात राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड इस वर्ष भी सरसों की खरीद में सक्रिय था।
सरसों तेल पाम आयल को देखते हुए मजबूत बना हुआ है। क्योंकि पाम तेल में भी मजबूती का रुख दर्ज किया जा रहा है। वही सरसों तेल की मांग भी मजबूत बनी हुई है। मलेशियन पाम तेल में तेजी का रुख दर्ज किया जा रहा है। इससे सरसों की कीमतों को निरंतर रूप से बल मिल रहा है।
 ये सभी कारक इस रबी फसल के लिए कीमतों को स्थिर रखने में काफी प्रभावशाली हैं। हालांकि कीमतें चरम स्तर के करीब हैं और बाजार के सूत्रों को लगता है कि मौजूदा दरों से, 10-20% की और तेजी देखी जा सकती है। नवंबर तक सरसों की फसल के लिए बुआई शुरू हो जाएगी और अक्टूबर तक सोयाबीन की नई आवक होगी। इस बार सोयाबीन की शुरुआती बुआई में नवंबर महीने के बजाय अक्टूबर की अच्छी संख्या होगी। ये कारक किसी भी उल्लेखनीय मूल्य वृद्धि को रोक सकते हैं। इसलिए किसानों को अपनी उपज को नियमित अंतराल पर बेचना चाहिए। आने वाले हफ्तों में खरीद के नए अवसर सामने आ सकते हैं और किसानों को ऐसे अवसरों को पकड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए। किसानों को अपनी उपज को बेचने और अपनी खरीद लागत से मुनाफे को प्राप्त करने की सलाह दी जाती है।  वह अपने स्टॉक  का केवल 15-20% हिस्सा बचा के सकता है, जिसे बाद में बेचा जा सकता है, यह देखते हुए कि 10-20% मूल्य बढ़त अक्टूबर तक संभव है।
    गौरतलब है कि कोरोना के कारण मंडियों में किसानों का माल उतनी तेजी से नहीं आया, जितनी की अपेक्षा थी। वहीं कोरोना में लोगों ने स्वास्थ्य लाभ के लिए सरसों तेल को प्राथमिकता दी। लेकिन अब भाव ऐसी जगह पर है जहां से स्टॉकिस्ट और किसानों को मुनाफा वसूली करनी चाहिए। सरसों ग्वार की अपेक्षाकृत बड़ी फसल है और इसमें वैसा बबल मिलने की संभावना नहीं है। क्योंकि सरकार के पास बहुत सा भंडार पड़ा है और पेरिटी नहीं आने से तेल मिलों की मांग भी कमजोर पड़ जाती है।

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