2021 में धनिया ने बनाया धनीराम, जानिए 2022 में कैसी रहेगी इसकी चाल? - Karobar Today

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Tuesday, January 4, 2022

2021 में धनिया ने बनाया धनीराम, जानिए 2022 में कैसी रहेगी इसकी चाल?

 


Coriander report 2022





ध्यान दिए जाने वाले बिंदु
- राजस्थान एवं मध्यप्रदेश में धनिया की बुवाई पर रखनी चाहिए नजर।
-घरेलू एवं निर्यात मांग पर निर्भर होगी तेजी।
-किसानों और व्यापारियों के पास बचा हुआ स्टॉक।
-गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान की मंडियों में आवक।
-कोविड-19 स्थिति और मसाला उद्योग की मांग।

      ऑक्सीडेंट से भरपूर धनिया ने वर्ष 2021 में निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न प्रदान किया और मसालों में सबसे ज्यादा करीब 50 फ़ीसदी का रिटर्न प्रदान किया। धनिया ने 5550 रुपए से 9150 रुपए के विस्तृत दायरे में कारोबार किया। वर्ष 2021 की शुरुआत धनिया के लिए शानदार रही और पहली तिमाही में इसकी कीमतों में 20% की तेजी दर्ज की गई। क्योंकि देश के अधिकांश हिस्सों में लॉकडाउन में ढील देने के कारण होटल खुलने से धनिया की मांग में तेज वृद्धि दर्ज की गई। वहीं निर्यात के लिए अच्छी क्वालिटी के धनिया और दक्षिण भारत में मसाला मिलों द्वारा मध्यम क्वालिटी के धनिया की मांग में तेजी से इसकी कीमतों को बल मिला। वर्ष 2021 की पहली तिमाही देखें तो पता चलता है कि इस दौरान धनिया का निर्यात वर्ष दर वर्ष 40 फ़ीसदी अधिक हुआ। दूसरी तिमाही में धनिया की कीमतों में स्थिरता रही। दूसरी तिमाही में धनिया की निर्यात मांग कमजोर पड़ने और कोविड-19 महामारी के फैलने व लॉकडाउन लगने के कारण धनिया की कीमतों में करीब 13 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इसी दौरान देश के मसाला बोर्ड ने 2019-20 में धनिया के हुए उत्पादन करीब 7 लाख टन के मुकाबले 2020-21 में 8.2 लाख टन उत्पादन का अनुमान जताया। 
   लेकिन लॉकडाउन खुलने के साथ ही धनिया की भौतिक मांग में जबरदस्त वृद्धि देखी गई और दूसरी छमाही में धनिया की कीमतों में तकरीबन 43% बढ़त देखी गई और एनसीडीएक्स पर इसमें 5 सालों का उच्चतम स्तर 9146 रुपए का स्तर दर्ज किया गया। इसके साथ ही मानसून की शुरुआत में कम वर्षा के कारण राजस्थान और गुजरात के स्टॉकिस्ट धनिया की बुवाई और उत्पादन को लेकर चिंतित हुए और उन्होंने इसका स्टॉक बढ़ा दिया। वही इस समय कृषि विशेषज्ञों ने अनुमान जताया था कि रबी सीजन में कम वर्षा के चलते धनिया की बुवाई प्रभावित हो सकती है। लेकिन सितंबर महीने में अच्छी बारिश के बाद धनिया की अच्छी बुवाई की संभावनाएं बढ़ गई और कीमतों में 7400 रुपए तक गिरावट दर्ज की गई। लेकिन अक्टूबर व नवंबर के दौरान धनिया बुवाई की धीमी प्रगति के कारण इसकी कीमतों को फिर से बल मिला शुरू हो गया। 
    धनिया के वैश्विक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 80 फीसदी मानी जाती है। इंडोनेशिया, मलेशिया और श्रीलंका भारतीय धनिया के प्रमुख आयातक हैं। वर्तमान में धनिया की कीमतें गत वर्ष की तुलना में 30% अधिक है इसलिए इसकी निर्यात मांग कमजोर हो रही है। अप्रैल से अक्टूबर की अवधि में धनिया की निर्यात मांग 33000 टन से 12.7% घटकर 28800 टन रही है। 
    जैसे-जैसे धनिया की बुवाई बढ़ रही है और इसकी कीमतें भी बढ़ रही है। उससे यह संकेत मिल रहा है कि धनिया की बुवाई कमजोर है। इसके परिणाम स्वरूप आने वाले दिनों में राजस्थान और गुजरात में धनिया का रकबा अपेक्षाकृत कम दर्ज हो सकता है। वही स्टॉकिस्ट और कारोबारियों में धनिए का रकबा कमजोर होने की धारणा के कारण वे अपना स्टॉक आक्रामक रूप से बाजार में नहीं उतार रहे हैं। वहीं किसानों का रुख चना और सरसों जैसी फायदेमंद फसलों की तरफ हो रहा है। जानकार विशेषज्ञों के अनुसार पहली तिमाही में धनिया की कीमतों में तेजी बनी रह सकती है लेकिन दूसरी तिमाही में सीजन के दौरान धनिया की कीमतों में कुछ गिरावट भी आ सकती है। यह गिरावट फिर से खरीदारी का अच्छा मौका उपलब्ध करा सकती है। इसके साथ ही त्योहारी, मौसमी मांग के साथ ही निर्यात मांग में वृद्धि धनिया कीमतों को बढ़ाने में सहायक साबित हो सकती है। यहां यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि कोविड-19 की स्थिति में अगर सुधार होता है तो मसाला उद्योग में धनिया की मांग बढ़ेगी और अगर इसकी स्थिति बिगड़ती है तो धनिया की मांग कमजोर भी हो सकती है। 
     वर्ष 2022 में निवेशकों को धनिया काउंटर में गिरावट पर खरीददारी की रणनीति अपनानी चाहिए और आने वाले दिनों में धनिया के काउंटर में 11000 से 12000 का स्तर आने की उम्मीद रखी जा सकती है। कमोडिटी विशेषज्ञ मुकेश भाटिया का मानना है की आबादी बढ़ने के अनुपात में धनिया का उत्पादन नहीं बढ़ रहा और धनिया निवेश के लिए हमेशा ही एक अच्छी कमोडिटी बना रहेगा। 

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