क्या 2022 में भी खास बनेगा कपास ? - Karobar Today

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Wednesday, January 5, 2022

क्या 2022 में भी खास बनेगा कपास ?




Cotton report in Hindi 2022





वर्ष 2021 में कपास में अच्छी खासी तेजी देखी थी लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या 2022 में भी खास बनेगा कपास?
    ध्यान देने योग्य बिंदु
-कपास का घरेलू उत्पादन गत वर्ष के मुकाबले अधिक होने का अनुमान।
-भारत से निर्यात मांग।
-अमेरिकी सरकार की निर्यात बिक्री आंकड़े।
-नए साल की पहली छमाही में चीन के आयात आंकड़े।
-घरेलू बाजार में कपास की आवक।
    उल्लेखनीय है कि कपास दुनिया में सबसे ज्यादा कारोबार होने वाली वस्तुओं में से एक है, जिसका उपयोग कपड़े में काम आने वाले धागे के निर्माण में किया जाता है। कपास दुनिया के तकरीबन 100 देशों में उगाई जाती है और करीब डेढ़ सौ देशों में इसका कारोबार होता है। इसका उत्पादन दुनिया भर में तकरीबन 250 मिलियन लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाता है। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कपास की कीमतें एक दशक के उच्चतम स्तर 1.16 डॉलर प्रति पाउंड पर पहुंच गई और यह पिछले एक-दो वर्ष में 0.75 से 0.95 डॉलर प्रति पाउंड के दायरे में कारोबार कर रही है। अक्टूबर में आरसीई में कपास की कीमतें करीब 30% तक उस समय उछल गई जब भारत, अमेरिका और चीन की फसलें खेतों में थी। कीमतों में वृद्धि का मुख्य कारण आपूर्ति श्रंखला से जुड़ी लागत में वृद्धि, मौसम की अनिश्चितता के कारण आपूर्ति में कमी और मांग में बढ़ोतरी रहे। मौसम की खराबी मुख्य रूप से सूखे ने दुनिया के सबसे बड़े कपास निर्यातक अमेरिका में कपास के उत्पादन को प्रभावित किया। कपास के सबसे बड़े उत्पादक भारत में मानसून की धीमी चाल,उत्तरी राज्यों में वालवाम के हमले और देश के मध्य एवं पश्चिमी हिस्से में बेमौसम बारिश से कपास की फसल प्रभावित हुई। इससे कपास की कीमतों में तेजी आई ‌‌।
  इसी तरह मजबूत निर्यात मांग, अधिक घरेलू खपत, मानसून में देरी, कीटों के प्रकोप की खबरों, विश्व बाजार में कपास की अधिक खपत की खबरों वर्ष 2021 में कपास की कीमतों में 50% से अधिक वृद्धि दर्ज की गई। कपड़ा उद्योग की बढ़ती मांग और अर्थव्यवस्था के खुलने से एमसीएक्स पर यह अब तक के सबसे उच्चतम स्तर ₹33380 प्रति बेल्स के स्तर पर पहुंच गई। 
     यूएसडीए के मासिक आंकड़ों के अनुसार अगले सीजन 2021-22 में कपास का उत्पादन वर्ष दर वर्ष 8.6 प्रतिशत बढ़कर 121.8 मिलियन बेल्स (1 बेल्स-480 पाउंड) होने की उम्मीद है लेकिन मांग भी 3% बढ़कर 124 मिलियन बेल्स होने का अनुमान है। बाजार वर्ष 2021-22 में भारत में 12.4 मिलियन हेक्टेयर पर 28 मिलियन बेल्स कपास के उत्पादन होने का अनुमान है। देश में कपास की गत वर्ष के मुकाबले बुवाई 5% कम हुई है लेकिन पैदावार प्रति हेक्टेयर 492 किलो कपास के होने का अनुमान है। सूती धागे और कपड़ा उत्पादों की मजबूत मांग के चलते धागा मिलों की खपत बढ़कर 26 मिलियन बेल्स होने का अनुमान है। कच्चे कपास के निर्यात मांग भी बनी हुई है क्योंकि भारतीय कपास की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बहुत कम है। राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन के जिनजियांग प्रांत से आयात होने वाले अमेरिका में कपड़ों पर प्रतिबंध लगाया था जिसे  बाईडन प्रशासन ने भी जारी रखा है। लेकिन समस्या से निपटने के लिए चीन ने अमेरिका से ही उत्पादित कपास और कपड़े खरीद कर उसे वापस अमेरिका को ही निर्यात करना शुरू किया है। 
     कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा सितंबर में कपास के अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार भारत में कपास का उत्पादन वर्ष दर वर्ष 0.75 प्रतिशत घटकर 36.22 मिलियन बेल्स प्रति बेल्स 170 किलो होने का अनुमान जताया था जबकि कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने 36 मिलियन बेल्स उत्पादन का अनुमान लगाया है।
     लेकिन अक्टूबर माह की शुरुआत में कपास के प्रमुख उत्पादन राज्य जैसे तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश से कपास की फसल प्रभावित होने और उत्पादन बहुत ज्यादा घटने का अनुमान लगाया गया है। इसके अलावा पंजाब और हरियाणा में कीटों से फसल के खराब होने और राजस्थान में शुष्क परिस्थितियों के कारण फसल कमजोर होने का अनुमान भी है। इससे राजस्थान , पंजाब और हरियाणा जैसे उत्तर भारत के राज्यों में कपास का उत्पादन 20% कम होने का अनुमान है। 
     भारतीय कपास की कीमतें अन्य देशों के मुकाबले काफी कम बनी हुई है लेकिन विशेषज्ञों का अनुमान है कि अधिक कीमतों के कारण 2021-22 में कपास का निर्यात कम हो सकता है। भारतीय कपास के लिए प्रमुख निर्यात बाजार बांग्लादेश, चीन और वियतनाम है। बाजार वर्ष 2020-21 में अगस्त से जुलाई के बीच सूती कपड़े के निर्यात में 237% की वृद्धि दर्ज की गई। लेकिन फिलहाल कोविड-19 से फिर से कई देश प्रभावित होने लगे हैं। बांग्लादेश और वियतनाम की ताजा रिपोर्टों के अनुसार कोविड-19 के बढ़ने के कारण लॉकडाउन से फैक्ट्रियों के बंद होने की आशंका लगातार बनी हुई है। इससे निर्माताओं को अपना आर्डर पूरा करने में दिक्कतें आ रही है। कोविड-19 का नया संस्करण टेक्सटाइल कारोबार के लिए समस्या खड़ा कर सकता है। भारतीय कपड़ा उद्योग कच्चे कपास पर 10% आयात शुल्क समाप्त  करने का आग्रह कर रहा है। इसे हटाने से कपड़ा उद्योग को राहत मिलेगी विशेष तौर पर उन निर्माताओं को जो मूल्य वर्धित धागे, सूती धागे और महीन धागे का निर्माण करते हैं और प्रीमियम कीमतें प्राप्त करते हैं। घरेलू निर्माताओं के लिए कच्चे माल यानी कि कपास की बढ़ती कीमतें दिक्कतें खड़ा कर सकती है क्योंकि इससे अंतरराष्ट्रीय खरीदार अन्य देशों के धागा निर्माताओं से खरीदारी शुरू कर सकते हैं।
    विशेषज्ञों के अनुसार जनवरी-फरवरी में कपास की आवक बढ़ने से कीमती 26000 के स्तर तक गिर सकती है लेकिन यह कपास में खरीदारी का वक्त होगा क्योंकि 2022 में आगे जाकर सभी तथ्यों को देखते हुए कपास की कीमतें 35000 से 38000 रुपए प्रति बेल्स तक होने की भी संभावना है। 
     

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