आशीष लोढ़ा और मनीष खत्री का कांटा निकला, इंदिरा आईवीएफ की वैल्यूएशन 1 बिलियन डॉलर की चर्चा जोरों पर
जयपुर। राजस्थान के कॉर्पोरेट जगत में आजकल उदयपुर आधारित आईवीएफ सेक्टर की दिग्गज कंपनी इंदिरा आईवीएफ की वैल्यूएशन एक बिलियन डॉलर आंकी की जाने की चर्चा जोरों पर है। इस लेख में हम टीए एसोसिएट को होने वाले फायदे, आशीष लोढ़ा और मनीष खत्री की भूमिका और आपसी विवाद, मुर्डिया परिवार का इंदिरा आईवीएफ पर दबदबा और नये प्लेयर।
टीए एसोसिएट को अच्छा खासा फायदा
जानकारों के अनुसार मई, 2022 में इंदिरा आईवीएफ और निवेशक कंपनी टीए एसोसिएट द्वारा पूर्व निवेशक आशीष लोढ़ा और मनीष खत्री की 26 फ़ीसदी हिस्सेदारी 1200 करोड़ रुपए में खरीदी गई। इसमें से 12 फ़ीसदी हिस्सेदारी टीए एसोसिएट द्वारा खरीदी गई। अब सामने आ रहा है कि कुछ ग्लोबल फंड टीए एसोसिएट की हिस्सेदारी 8000 करोड़ रुपए में खरीदने की तैयारी कर रहे हैं। टीए एसोसिएट ने वर्ष 2019 में इंदिरा आईवीएफ में 35 फ़ीसदी हिस्सेदारी 1100 करोड़ रुपए में खरीदी थी। 12 फ़ीसदी हिस्सेदारी के लिए कंपनी ने 500 से 550 करोड़ रुपए निवेश किए होंगे। अगर यह डील 8000 करोड़ रुपए की वैल्यूएशन पर होती है तो टीए एसोसिएट को दोगुना से ज्यादा फायदा हो सकता है।
क्या इंदिरा आईवीएफ को बड़ा बनाने में था आशीष लोढ़ा और मनीष खत्री का अहम किरदार?
बात शुरू से करते हैं। डॉ. अजय मुर्डिया ने सन् 1988 में इन्दिरा इनफरटीलिटी क्लीनिक की स्थापना की। वर्ष 2011 में इंदिरा आईवीएफ की शुरूआत की। आज देश में इंदिरा आईवीएफ के 114 सेंटर हैं। आशीष लोढ़ा सीए हैं और उन्होंने कॉरपोरेट तरीके से इंदिरा आईवीएफ को नए आयाम दिये। जबकि मनीष खत्री ने मेंटेनेंस का काम संभाला। पार्टनर के रूप में उन्हें कंपनी में हिस्सेदारी हासिल हुई। किसी भी कारोबार में विवाद कंपनी की बागडोर की बागडोर को लेकर होता है। जब कारोबार में नए सदस्य के तौर पर अजय मुर्डिया नीतीज मुर्डिया को अधिक अहमियत दी जाने लगी। बात तब बिगड़ गई जब डॉ. क्षितिज मुर्डिया को कंपनी का सीईओ बना दिया गया। दोनों पार्टियों के बीच उदयपुर में आपराधिक केस, राजस्थान हाई कर्ट में सिविल केस, एनसीएलटी कोर्ट में मिसमैनेजमेंट के केस हुए। जानकारी में आया है कि आशीष लोढ़ा और मनीष खत्री को उनकी शेयरहोल्डिंग के बदले में मई 2022 में पैसा चुका दिया गया है और सभी मामलों में राजीनामा हो गया है। इस वाक्ये से यह सीख मिलती है कि पार्टनरशिप पुख्ता लोगों के साथ करनी चाहिए और अगर किसी को पार्टनर बनाया है तो उसको पर्याप्त मान सम्मान एवं पद भी देना चाहिए। अब कंपनी पर टीए एसोसिएट के साथ मुर्डिया परिवार का दबदबा देखा जा सकता है।
कौन होंगे नए प्लेयर?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ब्लैकस्टोन, बैरिंग पीई एशिया ईक्यूटी, वारबर्ग पिंकस, बैन कैपिटल और केकेआर जैसे ग्लोबल फंड इंदिरा आईवीएफ में 8000 करोड़ रुपए के वैल्यूएशन पर हिस्सेदारी खरीद सकते हैं। भारतीय फर्टिलिटी उद्योग के 2030 तक 3 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसमें प्रत्येक आईवीएफ चक्र की लागत 1.5-2 लाख ($2,000-2,700) के बीच होगी। ऐसे में ग्लोबल इन्वेस्टर इंदिरा आईवीएफ में निवेश करके बड़ा फायदा कमाने की उम्मीद कर रहे हैं। इस बिक्री के बाद कंपनी का आईपीओ आने की संभावना भी बढ़ जाएगी। आशीष लोढ़ा और मनीष खत्री की समस्या भी अब खत्म हो गई है।
कारोबार टुडे की टीम ने कंपनी सीईओ डॉ. क्षितिज मुर्डिया से इस संबंध में जानकारी हासिल करने का प्रयास किया लेकिन इस संबंध में उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इस न्यूज़ में जो तथ्य हैं वह समय-समय पर प्रकाशित विभिन्न आर्टिकल से लिए गए हैं।
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