रविवार 5 नवंबर 2023 को सुबह मैं अखबार पढ़ रहा था भास्कर का। 'भारतीयों ने 70000 करोड़ रुपए लगा' शीर्षक वाली खबर पर नजर डाली तो मुझे लगा कि तथ्यों में कुछ कमी है। इस खबर के पहले पैराग्राफ में विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा पिछले 3 महीने में 75000 करोड़ रुपए निकालने की बात कही गई है। विदेशी संस्थागत निवेशक भारतीय बाजारों में इक्विटी और डेट में पैसा डालते और निकलते हैं। यहां पर यह स्पष्ट नहीं है कि यह आंकड़े इक्विटी के है या डेट के। इक्विटी में भी एफआईआई फ्यूचर और कैश में खरीदारी करते हैं। फिर 75000 करोड़ का आंकड़ा भी स्पष्ट नहीं लग रहा। फिर मैंने इकोनामिक टाइम्स पर इक्विटी में आउटफ्लो का आंकड़ा देखा तो पिछले 3 महीने में करीब 28000 करोड़ का आउटफ्लो दिख रहा है। इसके बाद भारतीय शेयर बाजारों में 3 महीने में 3.5 फ़ीसदी की गिरावट बताई गई है। यहां पर भी यह नहीं बताया कि सेंसेक्स में कितनी और निफ्टी में कितनी गिरावट आई है। फिर मैंने मनी कंट्रोल पर सेंसेक्स का 3 महीने का रिटर्न पता किया तो यह 1.34 % था और निफ्टी में यह 0.78 फीसदी। ऐसे ही आगे अमेरिकी बाजारों में 4.4 फीसदी की गिरावट बताई गई है। यहां पर भी यह नहीं बताया गया कि यह गिरावट डाउ जॉन्स में आई है, या फिर नैस्डेक कंपोजिट इंडेक्स या फिर एस&पी 500 इंडेक्स में। फाइनेंशियल समाचारों में सटीकता बेहद आवश्यक है। कुछ तकनीकी तथ्यों का ध्यान रखा जाए तो आर्थिक जगत से जुड़ी खबरें काफी अच्छी तरीके से लिखी जा सकती है।
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