जयपुर। किसी का प्राइवेट या लिमिटेड कंपनी में शेयर होल्डर होना और शेयर मार्केट का निवेशक होना दो अलग तथ्य हैं। 'ऐसे बढ़ रही दिग्गज नेताओं की लक्ष्मी' वाली भास्कर की खबर में शेयर होल्डिंग और शेयर मार्केट का अर्थान्वयन गलत हुआ है।
दीया कुमारी का जिन तीन कंपनियों में निवेश बताया गया है। वें सब प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां है। इन कंपनियों में दीया कुमारी एक शेयर होल्डर है। इसे शेयर मार्केट में निवेश नहीं कहा जा सकता। जब ये कंपनियां पब्लिक लिमिटेड हों और शेयर बाजार में जैसे की बीएसई और एनएसई में सूचीबद्ध हों, तभी शेयर मार्केट में निवेश कहा जा सकता है। हालांकि अनलिस्टेड पब्लिक लिमिटेड कंपनियों के शेयर भी खरीदे या बेचे जा सकते हैं।
इस खबर में अशोक गहलोत का तथ्य सही लग रहा है जहां पर उनका टाटा स्टील लिमिटेड के शेयर में निवेश बताया गया है। राजेंद्र राठौड़ का तथ्य भी सही है क्योंकि उसमें लिस्टेड कंपनियों में निवेश बताया गया है।
अमीन कागजी का तथ्य तो पूर्ण रूप से गलत है। यहां पर उपशीर्षक 'इन नेताओं का फोकस केवल शेयर मार्केट पर' से ऐसा लग रहा है कि यहां बताए गए नेताओं ने केवल शेयर मार्केट पर फोकस किया है।
किशनपोल से कांग्रेस प्रत्याशी का सांगा मोटर्स, सांगा बिल्डर्स, सांगा होटल्स और सलीम पेपर्स में निवेश बताया गया है। यें सभी उनकी पारिवारिक कंपनियां हैं जिनमें वें प्रमोटर के तौर पर शेयर होल्डर हैं। इस आधार पर यह कहना कि उनका फोकस सिर्फ शेयर मार्केट के निवेश पर है, बिल्कुल गलत तथ्य होगा।
गलत तथ्यों से किसी की छवि को नुकसान हो सकता है और खासकर तब, जब वें किसी प्रमुख पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने जा रहे हों।
No comments:
Post a Comment