स्वास्थ्य विभाग बना धृतराष्ट्र, बंट रहा खूंटेटा कचौरी में ज़हर, भास्कर के वीडियो से हुआ खुलासा
ठंड का मौसम, गरम-गरम आलू की कचौरी का स्वाद से लेते हुए लोग, सिगड़ी पर तैयार, 70 साल पुराना जायका, घर पर पिसे हुए मसाले , खूंटेटा नमकीन भंडार के नाम से किशनपोल बाजार में गली, पकौड़ी भी खाते हैं लोग, ऑनर द्वारा खुद निर्माण।
यह सब भास्कर के वीडियो से स्पष्ट होता है लेकिन इन सबके बीच ज़हर कहां पर है ?
जी हां! आपको ज़हर दिखेगा, जब आप एक पत्रकार के नजरिए से देखेंगे। चलिए खुलासा करते हैं कि ज़हर कहां है?
एफएसएसएआई के खाद्य सुरक्षा और मानक (पैकेजिंग) विनियम, 2018 के अनुसार भोजन के भंडारण और लपेटने के लिए समाचार पत्रों या इसी तरह की सामग्री के उपयोग पर सख्ती से प्रतिबंध है। इस नियम के अनुसार, समाचार पत्रों का उपयोग भोजन को लपेटने, ढकने या परोसने के लिए नहीं किया जाना चाहिए और न ही इसका उपयोग तले हुए भोजन से अतिरिक्त तेल को सोखने के लिए किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि समाचार पत्रों में उपयोग की जाने वाली स्याही में ज्ञात नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों के साथ विभिन्न जैव सक्रिय सामग्रियां होती हैं, जो भोजन को दूषित कर सकती हैं और निगलने पर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती हैं। इसके अतिरिक्त, मुद्रण स्याही में सीसा और भारी धातुओं सहित रसायन शामिल हो सकते हैं जो भोजन में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे समय के साथ गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो सकते हैं। इसके अलावा, समाचार पत्रों को वितरण के दौरान अक्सर विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिससे वे बैक्टीरिया, वायरस या अन्य रोगजनकों द्वारा संदूषण के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं जो भोजन में स्थानांतरित हो सकते हैं, जिससे संभावित रूप से खाद्य जनित बीमारियाँ हो सकती हैं।
27 सितंबर 2023 को जारी एक प्रेस रिलीज में एफएसएसएआई की सीईओ जी कमला वर्धना राव ने पूरे देश में कड़ाई से समाचार पत्रों का उपयोग भोजन को लपेटने, ढकने या परोसने के लिए नहीं करने के नियम की अनुपालना पर जोर दिया था।
प्रेस विज्ञप्ति इस लिंक पर देखी जा सकती है।
https://www.fssai.gov.in/press-note.php के सितंबर माह में।
जो जितना बड़ा उसकी जिम्मेदारी भी उतनी ही बड़ी। यह तो आपने सुना ही होगा। लेकिन खूंटेटा नमकीन भंडार पर लापरवाहीपूर्वक बड़ी संख्या में लोगों को समाचार पत्र में कचौरी खिलाई जा रही है, जैसा कि भास्कर ऐप में जारी वीडियो में दिख रहा है।
लेकिन सवाल उठता है कि प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग या एफएसएसएआई की मॉनिटरिंग करने वाला प्रशासन यहां पर धृतराष्ट्र क्यों बना हुआ है?
लंबे समय से ही समाचार पत्र में भोजन सामग्री परोसने पर विभिन्न नोटिफिकेशंस के माध्यम से रोक लगाई गई है लेकिन पर्याप्त कार्रवाई न होने की वजह से खुलेआम समाचार पत्र में भोजन सामग्री वितरित हो रही है। खूंटेटा नमकीन भंडार जैसा प्रतिष्ठित खाद्य सामग्री विक्रेता अगर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करेगा तो छोटे-छोटे फुटकर खाद्य विक्रेताओं को समाचार पत्र में भोजन सामग्री वितरित करने से नहीं रोका जा सकेगा।
दैनिक भास्कर तो खुद एक समाचार पत्र है और बड़ी संख्या में उसके समाचार पत्र पढ़ने के बाद लोगों द्वारा भोजन सामग्री में इस्तेमाल लिए जा रहे हैं। ऐसे में लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी दैनिक भास्कर की भी है।
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